Post of 25th December 2022
मोहम्मद बदिऊज़्ज़मॉं साहेब अपनी किताब “इक़बाल की जोग़राफिआई और शख़्सियतों से मंसूब इस्तलाह” मे लिखते हैं कि इक़बाल के कलाम मे “मसीह” की इस्तलाह क़ुरआनी है।
ज़मॉं साहेब लिखते हैं कि कुरआन की सूरह नेसा आयत 172 और सूरह तौबह आयत 30 मे सिर्फ “मसीह” वारीद हुआ है।
फिर हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम को सूरह बक़रा आयत 253, सूरह तौबह आयत 131 और सूरह नेसा आयत 157-171 मे “मसीह ईसा इब्न मरियम” कहा गया है।
और सूरह नेसा की आयत 171 मे मसीह ईसा इब्न मरियम को روح منہ (खुदा के तरफ से एक रूह) कहा गया है।सूरह बक़रा आयत 253 मे وایدنہ بروح القدوس (और हम ने पाक रूह से मसीह की मद्द की) कहा गया है, मे इस का मतलब यह है कि अल्लाह ने मसीह अलैहिस्सलाम को वह पाकिज़ा रूह अता की थी जो बदी से ना आशना थी।
चूकि ईसाई मसीह को खुदा का बेटा कहते हैं, गरचह वह बेग़ैर बाप के पैदा हुऐ थे।इस लिए खुदा ने हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम की मिसाल हज़रत आदम अलैहिस्सलाम से देते हुऐ एक मौक़ा पर फ़रमाया,
“अल्लाह के नज़दीक ईसा की मिसाल आदम की सी है के अल्लाह ने उसे मिट्टी से पैदा किया और हुकम दिया के हो जा और वह हो गया”
अल्लाह ताला ने हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम को कई मुअज्ज़ह अता फ़रमाये थे जिन मे एक मुअज्ज़ह मुर्दे को ज़िंदा करना भी है, जिस का ज़िक्र सूरह आले इमरान आयत 49 मे वारिद है।
“मसीह” इस्तलाह से ईक़बाल के कलाम मे दो शेर है।”मसीह इब्न मरियम” के इस्तलाह से ईक़बाल के कलाम मे सिर्फ एक ही शेर नज़म “मोहब्बत” का है,
تڑپ بجلی سی پائ، حور سے پاکیز گی پائ
حرارت لی نفسہا ے مسیح ابن مریم سے
(مسیح ابن مریم کی مناسبت سے حرارت کا لفظ لایا گیا ھے یعنی زندگی)
#नोट: नीचे तस्वीर मे “मेहराब मरियम” है, जो पूराने मस्जिद अक़्सा मे आज भी मौजूद है। यहॉ पर ही रह कर मरियम रज़ीअल्लाह अनहो एबादत करती थीं।
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Mohammed Seemab Zaman मेरा June 2020 मे अंग्राजी मे एक पोस्ट है, “Jerusalem: Land of Prophets”.