Post of 12 October 2023

मोहम्मद बदिऊज़्ज़मॉं साहेब अपनी किताब “इक़बाल की जोग़राफिआई और शख़्सियतों से मंसूब इस्तलाह” मे लिखते हैं कि इक़बाल के कलाम मे “मसीह” की इस्तलाह क़ुरआनी है।

ज़मॉं साहेब लिखते हैं कि कुरआन की सूरह नेसा आयत 172 और सूरह तौबह आयत 30 मे सिर्फ “मसीह” वारीद हुआ है।

फिर हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम को सूरह बक़रा आयत 253, सूरह तौबह आयत 131 और सूरह नेसा आयत 157-171 मे “मसीह ईसा इब्न मरियम” कहा गया है।

और सूरह नेसा की आयत 171 मे मसीह ईसा इब्न मरियम को روح منہ (खुदा के तरफ से एक रूह) कहा गया है।सूरह बक़रा आयत 253 मे وایدنہ بروح القدوس (और हम ने पाक रूह से मसीह की मद्द की) कहा गया है, मे इस का मतलब यह है कि अल्लाह ने मसीह अलैहिस्सलाम को वह पाकिज़ा रूह अता की थी जो बदी से ना आशना थी।

चूकि ईसाई मसीह को खुदा का बेटा कहते हैं, गरचह वह बेग़ैर बाप के पैदा हुऐ थे।इस लिए खुदा ने हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम की मिसाल हज़रत आदम अलैहिस्सलाम से देते हुऐ एक मौक़ा पर फ़रमाया,

“अल्लाह के नज़दीक ईसा की मिसाल आदम की सी है के अल्लाह ने उसे मिट्टी से पैदा किया और हुकम दिया के हो जा और वह हो गया”

अल्लाह ताला ने हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम को कई मुअज्ज़ह अता फ़रमाये थे जिन मे एक मुअज्ज़ह मुर्दे को ज़िंदा करना भी है, जिस का ज़िक्र सूरह आले इमरान आयत 49 मे वारिद है।

“मसीह” इस्तलाह से ईक़बाल के कलाम मे दो शेर है।”मसीह इब्न मरियम” के इस्तलाह से ईक़बाल के कलाम मे सिर्फ एक ही शेर नज़म “मोहब्बत” का है,

تڑپ بجلی سی پائ، حور سے پاکیز گی پائ

حرارت لی نفسہا ے مسیح ابن مریم سے

(مسیح ابن مریم کی مناسبت سے حرارت کا لفظ لایا گیا ھے یعنی زندگی)

#नोट: “मेहराब मरियम” पूराने मस्जिद अक़्सा मे आज भी मौजूद है, जहॉ पर ही रह कर मरियम रज़ीअल्लाह अनहो एबादत करती थीं।

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Some comments on the Post

Mohammed Seemab Zaman जिन लोगों ने कल का मेरा पोस्ट AHH PALESTINE पढा है, वह दोनों पोस्ट पढ़ लें। इब्राहिम एलैहिस्सलाम ने मक्का में दोबारा खाने काबा की तामीर के बाद फलस्तीन चले गये और 40 साल बाद वहॉ मस्जिद बनाई। इस वजह कर मक्का मसजिद हराम और अक्सा मे 40 साल का फ़र्क है।

इस्लाम के शुरू मे 14 साल तक लोग बैतुलुमोकद्दस के रूख मे नेमाज़ अदा करते रहे, जहॉ से अल्लाह के हुक्म से रसुल अल्लाह ﷺ मेराज के लिए ले जाये गए थे।

.Jamshed Jamshed Mohammed Seemab Zaman भाईजान, ये पॉइंट ज़्यादा ऑथेंटिक है… 40 साल वालीबात अक्सर कन्फ्यूज़्ड करती थी. शुक्रिया.

Zeenat Khan बेहद उमदा. आसान लफ्ज़ो में समझ आजाने वाली बात…
हम तो ख़ैर एक एक कमेंट और उसका रिप्लाई भी पढ़ते हैँ..
आपकी पोस्ट पे यही मामूल पिछले 4 साल से था.

Rumana Tabassum Bahut umdah post.

Jagdish Bhambhu हरदीप पुरी ने जो स्वीकारा था. उसका तो अब हमारे विश्व गुरु ने फिर से नुकसान बढ़ाया ही है, इजरायल के साथ रहने की घोषणा करते हुए।

  • Mohammed Seemab Zaman, Jagdish Bhambhu साहेब, हरदीप पुरी फिर कल रोये-गाये हैं।आज सोचा था उन्हीं पर पोस्ट करने को मगर फिर एरादह बदल दिया और फलस्तीन पर पुराना पोस्ट शेयर कर दिया।करें गें दो दिन बाद।

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