Post of 23 February 2020

एक मौलवी साहेब ने अपने बेटा के लिये एक नौकर रखा मगर शरत यह था कि अगर तुम काम छोड कर जाओ गे तो हम तुम्हारा नाक-कान काट ले हे और अगर हम तुम को घर से निकाला तो तुम मेरा नाक कान काट लेना। बेचारा ग़रीब परिवार का था वह तैयार हो गया।

मौलवी साहेब उस से बहुत काम लेते थे, खाना थोडा देते थे, बदन पर कपडा नही एक बिशटी पहन कर रहता था। जाड़ा मे कम्बल ओढ़ता था, मछछर के डर से मिट्टी का तेल लगा कर सोता था और मौलवी साहेब और उन का बेटा रज़ाई और मछछर दानी मे सोते थे। कुछ दिन रहने के बाद वह मौलवी साहेब को बोला हम जा रहे हैं आप मेरा नाक-कान काट लिजये। वायदा के मुताबिक़ मौलवी साहेब ने नाक-कान काट लिया। वह अपने गॉंव वापस चला गया।

उस के जाति के लडके ने जब यह बात सूनी तो वह मौलवी साहेब के यहॉ नौकरी करने चला गया। मौलवी साहेब ने वही नाक-कान काटने वाली शरत रखा और वह तैयार हो गया। मौलवी साहेब के बेटा के साथ खेलता था और डराता भी था। घर मे पका खाना बेगैर पूछे खॉ लेता था। मौलवी साहेब के लेहाफ ओढ़ कर मछछरदानी मे सो जाता था। पूरा घर उस लडके से आजिज़ था।

एक दिन मौलवी साहेब के यहॉ बहुत मेहमान आये थे, खूब ढोल बाजा बज रहा था। इसी बीच मौलवी साहेब के लडके ने कहा पैखाना करे गे। मौलवी ने लडके को कहा जा मेरे बेटा को बाहर खेत मे पैखाना करा कर ले आ। वह नौकर लेजाते हुए मौलवी साहेब को बोला अगर पैखाना के साथ पिशाब किया तो वह उठा कर पटक दे गा।

थोड़ी देर बाद खेत से एक चीख़ की आवाज आई और मौलवी ने बाहर जा कर देखा तो बेटा का हाथ पैर टूटा बेहोश पडा था। नौकर ने कहा यह पिशाब-पैखाना दोनो कर दिया तो हम ने पटक दिया।मौलवी बोले दो दिन बाद मेहमान के जाने के बाद तू मेरा नाक-कान काट कर चला जा मगर मेरे नस्ल को बरबाद मत कर।

दो दिन बाद वही हुआ वह मौलवी साहेब का नाक-कान काट कर अपने जाति के बडे भाई का बदला लेकर चला गया। 70 साल मौलवी साहेब बेगैर नाक-कान के ज़िन्दा रहे। यह हाल-फ़िलहाल की सच्ची कहानी।