FB Post of 6th July 2021
चल दिए हरम कूऐ बुतां से मोमिन
जब रंज दिया बुतों ने तो खुदा याद आया” (मोमिन खॉ मोमिन)
आज तेल का दाम $77.60 प्रति बैरल हो गया क्योकि OPEC+ की मिटिंग को सऊदी अरब और रूस ने अनिश्चित काल के लिये टाल दिया।
कुछ देश जैसे यूऐई तेल का प्रोडक्शन बढ़ाने पर अडे थे, मगर सऊदी अरब और रूस अप्रील तक प्रोडक्शन बढ़ाने को तैयार नही थे।सऊदी अरब का कहना है यह कोविड अप्रील 2022 तक रहे गा और दुनिया की अर्थव्यवस्था तब तक खराब रहे गी, इस वजह कर तेल का उत्पादन बढा कर दाम गिराना 23 देशो के समूह ओपेक+ के हक़ मे ठीक नही है।
हमारे सौ साल के सोंच के संघ प्रमुख का हज़रत मुसा अलैहिसल्लाम को याद करना एक साधारण घटना नही है और न ही धिरूभाई अमंबानी के रिलाएंस कम्पनी का टूट कर सितंबर मे एक अलग कम्पनी बन्ना, ताकि भारत मे सऊदी अरब का निवेश आये।
आज से आठ साल पहले गुजरात मॉडल की सरकार जब देश मे बनी थी तब संघ प्रमुख या मुकेश या हिन्दी मिडिया ने यह नही सोंचा होगा कि विश्व गुरू बन्ने के लिये मुसा अलैहिसल्लाम को याद करना और रिलाएंस का टूटना लाजिम होगा।
इस पैंडेमिक ने भारत मे बहुत बडी मानसिक और आर्थिक बरबादी कर दिया है और भारत क्या दुनिया का बहुत सारा मूल्क अब पहले के तरह नही हो पाये गा।टूरिज़्म, हवाई सेवा, होटल इंडस्ट्री, बैंकिंग, इंशोरेंस वगैरह पहले की तरह नौकरी नही दे पायें गें और यह भारत ऐसे बडे आबादी वाले देश के लिये बहुत बडा दुर्भाग्य है।
अब संघ प्रमुख के धारा प्रवाह भाषण से हालत नही बदले गा बल्कि इन को दस साल उसी तरह से सामाजिक प्रेम बढ़ाना होगा जैसे चालीस साल ज़हर घोला है।संघ प्रमुख को हर समय यह याद रखना हो गा, मंचूरिया नस्ल मेरा पड़ोसी है और उस के साथ तेल उत्पादक देश हैं।
सबरन जमील, “अबू लहब के दोनों हाथ नाश हो गये और वह स्वयं भी नाश हो गया”