Post of 28 September 2022
“जो ताबीर अयां हो रही है सामने
वो ख़्वाब मैंने ही देखे थे कभी” (Islam Hussain)
यूक्रेन-रूस लडाई ने तेल और गैस को हथियार बना दिया और मिडिल ईस्ट के देश डॉलर से माला माल हो रहे हैं।इस साल GCC के छ: देशो के समूह का current account surplus $400 billion है।अनुमान है कि तेल और गैस से अगले पॉच साल मे जीसीसी और ओमान के पास $3.45 trillion अधिक पैसा हो जाये गा।यह सभी देश इन पैसों को निवेश कैसे किया जाय, इस चिंता मे हैं।
दुबई जो हॉंगकॉग के बाद एशिया का आर्थिक केन्द्र बन गया था, वह अब दुनिया का सब से बडा तेजारत का केन्द्र बनता जा रहा है।दुबई चीन के मद्द से $2 billion एक बडा व्यापार मंडल/ गोदाम बनाया है जिस को अंग्रेज़ी मे #Entrepot कहते हैं।दुबई मे अब एशिया, अफ्रिका और यूरोप से सामान आये गा और इन महाद्वीप मे हर जगह फिर निर्यात होगा।इस के पहले छोटे पैमाने पर इंटरेपोट की मिसाल सिंगापुर हुआ करता था।
इस साल दुनिया मे सब से ज्यादा 4,000 करोड़पति दुबई मे बने है।नवंबर मे 50 दिन बाद जब कतर मे फ़ुटबॉल मैच (FIFA) शुरू होगा तो अनुमान है दुनिया से 10 लाख लोग दुबई और अबूधाबी आयें गें और पूरे गल्फ़ मे दो महीना पर्यटक और फ़ुटबौल प्रेमी रहें गें जिस से होटल, हवाईजहाज़, मोबाईल तथा दूसरे सभी इंडस्ट्री का मुनाफा बढे गा।
अभी क़तर दुनिया को 33% LNG निर्यात करता है।गैस के बढे दाम और विश्व कप फ़ुटबॉल मैच से उस की अर्थव्यवस्था तेज़ी से आगे बढ रही है।जर्मनी के Luxury Car Porsche मे क़तर शेयर खरीद कर पार्टनर बन रहा है। GCC ने इस साल $22 billion मिस्र मे निवेश किया है।
अभी दुबई चॉंद के आकार का एक विशाल होटल बनाने जा रहा है जिस की ऊँचाई 735 मीटर होगी और परिधि 2,042 फीट होगा।
#नोट: अफसोस की बात यह है कि बराक ओबामा द्वारा हमारे दिल को अंधा नही किया जाता तो $3.45 trillion मे से $500 billion आता और हम विश्वगुरू हो जाते मगर खुशी यह है कि GCC तरक्की करे गा तो हम भारतीयों को वहॉ नौकरी मिले गी और वहॉ से पैसा कमा कर भारत मे विदेशी मुद्रा भेजें गें और देश मे विकास पैदा हो गा। जय अल हिन्द।
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Some comments on the Post
Islam Hussain
जो ताबीर अयां हो रही है सामने
वो ख़्वाब मैंने ही देखे थे कभी
- Mohammed Seemab Zaman आप के शेर से पोस्ट को शुरू कर दिया। क्या बरजस्ता शेर कहा है, वाह।
कुलदीप सिंह , बेहतरीन लेख. वहां जो विकास होगा वहां हम नौकरी करके उसको भारत में भेजेंगे जिससे हमारे नेता उस पैसे का उपयोग नफरत फ़ैलाने में हिंदू मुस्लिम करने में ,इसके बाद उस पैसों से ऐश की जिंदगी गुजारेंगे??
Verma Rajesh रूपया पैसा कुछ और है। इंसानी जुगाड़ है। बरक्कत खुदाई सौगात है। रूपया पैसे की कमी तो रावण को नहीं थी। माफियाओं को भी नहीं है। कंस को नहीं थी। जिंगपिंग पुतिन और ट्रम्प को नहीं है। कितने ऐसे हैं जो इनका मुंह भी देखना पसंद करते हैं। बरक्कत को लक्ष्मी कहते हैं। दौलत को नहीं।
- Mohammed Seemab Zaman, Verma Rajesh साहेब, सही कहा दौलत मे बरक्कत होनी चाहिये। यह लोग तो बहुत दान करता है, बरक्कत तो होगा। पिछले हफ्ता तुर्की को दुनिया मे सब से बडा दानी देश यूएनओ मे कहा गया है। GCC तो दान करता है। चीन दान नही करता है, वह कर्ज़ा देता है।
- Verma Rajesh, Mohammed Seemab Zaman आपका दिल हिंदुस्तानी है जो किसी का बुरा नहीं सोचता। तवारीख इन लोगों की कुछ दूसरी कहानी कहती है। ऊपरवाला इन्हें सद्बुद्धि दे। ये तरक्की की राह पर चलें।
Neshat Karim Shaukat सवाल ये है इन सब के बीच हम कहाँ हैं।काश मुंबई दुबई की जगह ले पाता।
- Mohammed Seemab Zaman मुम्बई को बनाया जा रहा था हॉंगकॉग की जगह लेने के लिए मगर शिव सेना ने दंगा करा कर सब बरबाद दिया। बैंगलोर हॉगकॉग या दुबई नहीं हो सकता है क्योंकि समुंदर नही है। अब 25-30 साल मुंबई दुबई नही बन सकता है। एक तो इन लोगो को नाम पता बदलने की एसी बिमारी लगी है कि वह इसी को विश्वगुरू बनने का पैमाना समझते हैं। क्या जरूरत थी बम्बई का नाम बदल कर मुम्बई करने का VT station का नाम बदल कर शिवा जी रखने का। बैंगलोर, मद्रास, कलकत्ता सब का नाम बदल दिया, क्या जरूरत थी.
Neeraj Singh भारतीय अखबारों ने आरएसएस की नीतियों के कारण देश की डूबती अर्थव्यस्था का कारण पूरे विश्व पर थोपने की तैयारी शुरू कर दी है।
- Mohammed Seemab Zaman, Neeraj Singh साहेब अब वह ज़माना गया जो भारतीय अखबार लिख दे गा वह लोग यकीन कर ले गा। हम तो 2015 से लिख रहे थे कि यह हशर होगा, उस वक्त तो यूक्रेन लडाई सोंचा भी नही था। हम ने “वन्स मोर ….” का नारा 2019 मे यह कह कर दिया था कि जो बरबाद किया है वही भूगते। देख रहे हैं न भूगत रहा है। अभी 2024 तक कुर्सी पर इन को रखिये ताकि यही भूगतें।
Saurabh Prasad सर, गल्फ देश उधार में तेल बेचता है या नकद में या एडवांस पेमेंट पर।
- Mohammed Seemab Zaman गल्फ़ बहुत से देश को long term contract पर तेल बेचता है। जो open market मे बेचता है उस का payment तीन महीना बाद delivery पर मिलता है। कतर ने दो दिन पहले जर्मनी के शुल्ज़ को गैस देने से इंकार कर दिया क्योकि वह 1-2 साल का contract कर रहे थे जबकि कतर सब को 10-20 का contract पर LNG देता है या open market में बेचता है।
Saurabh Prasad गल्फ देशों को चाहिए कि अफ्रीका के गरीब देशों में इन्वेस्ट करें, उन्हें शशक्त करें और उन्हें अपने साथ जोड़ें।अमेरिका, यूरोप, भारत में अगर पैसा लगाएंगे तो एक दिन उनका सारा इन्वेस्टमेन्ट डूब जाएगा, इन जगहों पर एन्टी मुस्लिम सेंटीमेंट कभी भी जाग सकता है।इन्वेस्ट करवा लेगा चाट के और बाद में सब लूट लेगा या बर्बाद कर देगा।
अफ्रीकी देश ईसाइयत के आड़ में यूरोपियन देशों का बर्बरता, धूर्तता, लुटेरापन, मक्कारी , नस्लवाद देख चुके हैं और साथ ही वो ये भी समझते हैं की इस्लाम के अलावा दूसरा कोई अन्य मजहब नहीं है जो उन्हें खुले दिल से अपनाएगा।इस्लाम के लिए अफ्रीका महाद्वीप एक उर्वर भूमि है साथ ही वहाँ खनिज, कृषि, पानी, बिजली इत्यादि की भी प्रचुर संभावनाएं हैं।
गल्फ देशों को वहाँ शिक्षा, सफाई, जागरूकता, चिकित्सा, शहरीकरण के साथ ही इस्लामी शिक्षा में भी इन्वेस्टमेंट करना चाहिए।लैटिन अमेरिकी देशों में भी समान परिस्थितियां हैं।वहाँ भी ऑप्शन देखा जा सकता है।
- Mohammed Seemab Zaman, Saurabh Prasad साहेब, देख नही रहे हैं अफ्रिका मे चीन, तुर्किया और यूएई ने यूरोप और जापान को निकाल फेंका। यह उसी की तैयारी हो रही है। मिस्र अफ्रिका मे ही है जहॉ अब तक $22 billion GCC लगा चूका, नई राजधानी कैरो से 200km पर बन रहा है। अब तो अफ़्रीका का ही नम्बर है, गल्फ़ वग़ैरह तो तरक्की कर चूका और उन के लिए वह तरक्की अगले 25-50 साल के लिए काफी है।