Post of 31 August 2022
मिखाईल गोर्बाचोफ़ जो 1985 से 1991 तक सोवियत संघ के सत्ता मे थे, कल रात मौस्को मे 91 साल की उम्र मे उन्होने अपने जिंदगी की आखरी साँस लिया।
गोर्बाचोफ़ सोवियत रूस के एक महान नेता थे।वह स्टैलिन और ब्रेजनेफ के पाप को धो कर 29 दिसंबर 1922 को बने सोवियत संघ को 26 दिसंबर 1991 को भंग होने के इतिहास के आखरी राजनीतिज्ञ थे।
गोर्बाचोफ़ 20वी सदी के अंत के एक “ऐतिहासिक नेता” थे जिस ने सोवियत संघ के 15 देशो को अपने सामने आज़ाद होते देखा, जिन्होने जर्मनी को एक किया और दुनिया मे मार्क्स के सिद्धांत का अंत किया।
बहुत से लोग गोर्बाचोफ़ को सोवियत संघ के 1990 मे टूटने का ज़िम्मेदार मानते हैं मगर हम गोर्बाचोफ़ को नही बल्कि सोवियत संघ के ग़द्दार राजनीतिज्ञ तथा राष्ट्रपति ब्रेज़नेव को इस का ज़िम्मेदार मानते हैं, जिस ने 24 दिसंबर 1979 को अफगानिस्तान मे सेना भेज कर काबूल को क़ब्ज़ा किया।सोवियत संघ को अफगानिस्तान ने तोडा, न की गोर्बाचोफ़ ने।
गोर्बाचोफ़ ने BBC को दिये अपने एक इंटरव्यू मे कहा कि वह सोवियत संघ के टूटने के ड्रामा के ज़िम्मेदार नही हैं ब्लकि “मेरे पिठ पिछे लोगो ने ग़द्दारी किया, एक सिगरेट जलाने के लिए नेताओं ने पूरा घर जला दिया”
Gorbachev said, “Behind my backs there was treachery. They were burning down the whole house just to light a cigarette. Just to get power.”
MAY HIS SOUL REST IN PEACE
https://www.bbc.co.uk/news/world-europe-38289333?fbclid=IwAR0lyTUhj2RlzRNRyPumVinjUP4GCfX3Dn3KmryF3QAHPcwFC-YPlGTs2vA
============
Some comments on the Post
Neeraj Singh इस थ्योरी को समझने के लिए बहुत लंबा पढ़ना पड़ेगा।
- Mohammed Seemab Zaman, Neeraj Singh साहेब, आप ने बहुत शांदार कौमेंट किया है, “इस थ्योरी को समझने के लिए बहुत लंबा पढना पड़ेगा” हम लोग तो चश्मदीद गवाह है सोवियत संघ को बिखरने के। मेरा तो बहुत पोस्ट है सोवियत संघ पर।
Shambhu Kumar A day after the Feb. 24 attack, he issued a statement calling for “an early cessation of hostilities and immediate start of peace negotiations.”
“There is nothing more precious in the world than human lives. Negotiations and dialogue on the basis of mutual respect and recognition of interests are the only possible way to resolve the most acute contradictions and problems,”
- Mohammed Seemab Zaman Gorbachev was not happy with Putin. Let us see Putin gives him a State Funeral or not.
Syed Abid Naqvi सर उम्दा एनालिसिस किया है आपने, गल्फ वॉर 1991 से अपने को अलग रखना भी USSR के टूटने की एक वजह हो सकती है।।
- Mohammed Seemab Zaman, Syed Abid Naqvi साहेब, गल्फ़ वार 14 January 1991 को जो शुरू हुआ उस पर तो हम दो चार पोस्ट लिख दें। जिस दिन यह लडाई शुरू हुई उस दिन मेरी मिसेज़ Salford Hospital मे काम कर रही थीं और हौसपिटल के फ़्लैट मे हम लोग रह रहे थे। रात के 2AM मे हौसपिटल से फोन आया Operation Desert Shield शुरू हो गया, आप को किसी भी वक्त emergency मे काम पर बोलाया जा सकता है। 35 मूलको का coalition सद्दाम और USSR से इतना डरा हुआ था और कितनी तैयारी coalition ने की थी, इस फोन से आप अंदाज़ा लगा सकते हैं। हम अपनी ज़ाति बातें एफ़बी पर कभी ज़ाहिर नही किया है, आप ने गल्फ़ वार याद देलाया तो यह थोड़ी बाते लिखनी पडी।