Post of 8th October 2023
मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन (MS Swaminathan) का जन्म 7 अगस्त 1925 को कुंभाकोणम, मद्रास में हुआ था और पिछले महीना 28 सितंबर को 98 साल के आयु मे उन का निधन हुआ।
स्वामीनाथन एक ऐसे शख़्सियत थे जिसने सचमुच #भारत_की_किस्मत बदल दी।वह आज़ाद भारत के उन वैज्ञानिक मे थे जिन्होंने “हरित क्रांति” कर भारत का निर्माण किया।
स्वामीनाथन (1925-2023) ने द्वितीय विश्व युद्ध के समय बंगाल के विनाशकारी अकाल (1942-43) देखा था, जिस मे 30 लाख लोग चावल के कमी से एक साल मे भूख से मरे थे। स्वामीनाथन उस समय केरल के एक विश्वविद्यालय मे Zoology के छात्र थे।बंगाल आपदा को देखकर उन्होने फ़ैसला किया कि वह गरीब किसानों को अधिक चावल पैदा करने में मदद करने के लिए कृषि मे अनुसंधान करे गें।
उन्हें ब्रिटिश अधिकारियों ने छात्रवृत्ति दिया, नीदरलैंड में प्लांट इंजीनियरिंग पर शोध किया, फिर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से PhD किया।इसी बीच उनकी मुलाकात अमेरिकी कृषि वैज्ञानिक Norman Borlaug से हुई, जिन्हें वैश्विक खाद्य आपूर्ति पर उन के काम के लिए 1970 मे Nobel Prize मिला था।
विदेश से भारत वापस आकर, स्वामीनाथन ने Central Rice Research Institute, Orissa में उच्च पैदावार वाले चावल की नई नस्लें बनाने का अनुसंधान और प्रयोग किया।
1970 के दशक में प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने कृषि में आत्मनिर्भर होने की योजना बनाई और स्वामीनाथन को सरकार में वरिष्ठ भूमिकाएँ दी।
स्वामीनाथन भारत की “हरित क्रांति” के Architect हैं, जिसने एक लंबे समय से भूखे देश को दुनिया के सबसे बड़े खाद्य उत्पादक देश में बदल दिया और इंदिरा गांधी के सपने को पूरा किया।
#नोट:आज भारत अनाज उत्पादन जनसंख्या की ज़रूरत से ज़्यादा करने लगा और अनाज निर्यातक देश बन गया।