Post of 16 May 2024
अगस्त 2017 में, रोहिंग्या मुसलमानों पर म्यांमार की सेना द्वारा किये गये नरसंहार (Genocide) के कारण लाखो मुस्लिम सीमा पार कर बांग्लादेश भाग आये और आज तक वह बांग्लादेश में शरणार्थी की ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं।
2021 मे म्यांमार की सेना ने प्रधानमंत्री आंग सांग सू ची की सरकार का तख्तापलट कर सत्ता पर कब्ज़ा किया, तब से सैकड़ों अलग-अलग प्रतिरोधी-ताक़तें जवाबी कार्रवाई कर रहे हैं जिस के कारण तीन साल से म्यांमार के सीमावर्ती इलाके असुरक्षित हो गया है।
11 अप्रैल 2024 को थाईलैंड की सीमा पर एक महत्वपूर्ण व्यापारिक शहर म्यावाडी (Myawaddy) पर बाग़ी प्रतिरोधी ताक़तों ने कब्ज़ा कर लिया। सशस्त्र बाग़ी जातियॉ ने चीन के बगल में शान (Shan) राज्य और भारत और बांग्लादेश के बगल में चिन (Chin) राज्य के बड़े क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लिया है।
पश्चिमी राखीन (Rakhine) राज्य में, जातीय सशस्त्र बाग़ी समूह अराकान आर्मी का कहना है कि उसने 17 टाउनशिप में से 9 पर कब्ज़ा कर लिया है, जिसमें लगभग 10 लाख लोग रहते हैं, जिस पर अब सेना की सरकार का नियंत्रण नहीं है।
कहा जा रहा है कि “प्रतिरोधी ताकतों” ने म्यांमार के 60% से अधिक हिस्से पर क़ब्ज़ा कर लिया है (निचले तस्वीर देखें)।
भारत से सटे सीमावर्ती राज्यों में म्यांमार के लोगों 19 गाँव में आ कर बस गये हैं, लेकिन भारत में चार महीना से चल रहे चुनाव मे कोई नेता हिन्दु-मुस्लिम कर रहे हैं तो कोई 5-10 किलो अनाज और बीड़ी-खैनी के लिए खटाखट खटाखट रूपया देने की बात कर रहा है, तो कोई संविधान ख़त्म कर दलित आरक्षण ख़त्म की बात कर रहा है, या संविधान फाड़ कर फेंकने का डर बना रहा है, तो कोई काशी-मथुरा मस्जिद तोड कर मंदिर का नारा लगा रहा है…..
आज Parmod Pahwa (prp) साहेब ने लिखा है कि “मालदीव से हमे निकाल बाहर कर दिया, नेपाल, श्रीलंका और भूटान तक ने हमारे उपर केस कर दिये। लेटेस्ट बांग्लादेश भी चीन की झोली में चला गया, उधर बॉर्डर पर जो हुआ है वो खबरों से गायब है”
#नोट: बहुत दु:खद है कि इतना बड़ा देश है मगर किसी पार्टी का कोई नेता या वरिष्ठ पत्रकार देश की सीमा पर चीन या म्यांमार के आतंकी से सुरक्षा की बात नहीं कर रहा है, सब हिन्दु-मुस्लिम, ईरान-पाकिस्तान के नारे में ही व्यस्त हैं।