Post of 16 October 2022

Faisal Mohammad Ali साहेब नागपुर मे आरएसएस के स्थापना दिवस और #विजयादशमी के अवसर पर हिन्दु से बौद्ध धर्म अपनाने के 66 सालो से जारी “धम्म दीक्षा” मे भीमराव आंबेडकर की 22 प्रतिज्ञाएँ की जानकारी दिया, जिस मे शुरू की पॉच प्रतिज्ञाएँ हिन्दु धर्म के देवी-देवताओं के विरूद्ध चौंकाने वाला संकल्प है।

भीमराव आंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर मे त्रिशरण और पंचशील की पंक्तियों की पाली भाषा में पाठ के बीच बौद्ध धर्म ग्रहण किया और वहीं मंच पर एलान किया कि जो लोग हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध मत अपनाना चाहते हैं वो त्रिशरण और पंचशील का पाठ करें और 22 प्रतिज्ञाएँ का संकल्प दोहराने को कहा- जिसमें ब्रह्मा, विष्णु, महेश और दूसरे हिंदू देवी देवताओं का नाम लेकर कहा गया कि वो न तो उनमें आस्था रखेंगे, न ही उनकी पूजा करेंगे।

फैसल साहेब लिखते हैं कि आरएसएस और बीजेपी आज आंबेडकर को भारत के “महान विभूतियों” में गिनती है और महाराष्ट्र में कई राजनीतिक नेता नागपुर मे “अशोक विजयादशमी” को दीक्षा भूमि जाते हैं, जहॉ 22 प्रतिज्ञाएँ खुले आम मैदान मे ली जातीं हैं।इस बार भी वहाँ जाने वालों में केंद्रीय मंत्री और संध के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी भी थे जो सुबह रेशिम बाग़ के आरएसएस मुख्यालय के कार्यक्रम में भी शामिल हुए थे।

नागपुर जहॉ सौ साल से RSS का मुख्यालय है वहॉ चौदह (14) एकड़ में फैले मैदान में जहाँ आंबेडकर ने धर्म परिवर्तन किया था, उस जगह को अब “दीक्षा-भूमि” कहा जाता है वहॉ 66 साल से हिंदू से बौद्ध बन रहे हैं लोग।”अशोक विजयादशमी” पर आंबेडकर के लाखों अनुयायी दुनिया के कोने-कोने से हर साल नागपुर में इकट्ठा होते हैं, शहर पहुँचने वाली सड़कों पर लोगों का हजूम दिखाई देता है।

फैसल साहेब लिखते हैं कि “दीक्षा-भूमि” मे दो दिनों के भीतर दस हज़ार से अधिक लोग बौद्ध धर्म स्वीकार कर चुके हैं और ये सिलसिला दूसरे दिन यानी “अशोक विजयादशमी” तक जारी रहेगा।

यानी 66 साल से RSS मुख्यालय के नज़दीक 20-30 हज़ार हिन्दु 22 संकल्प ले कर धर्मान्तरण कर बौद्ध हो रहे हैं मगर आज तक कोई संघ के लोग या हिन्दु अपने स्नातन धर्म के देवी-देवताओं के पॉच प्रतिज्ञायों के विरूद्ध हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट नही गया मगर शाह बानो, तीन तलाक़, हेजाब, कार्बन डेटिंग के लिए न्यायालय का चक्कर काट कर एक धर्म विशेष के विरूद्ध ज़हर घोल कर स्नातन धर्म को बचाने का निरर्थक ड्रामा करता रहा और पडोसी चीन 30 साल मे विकास पैदा कर आज आर्थिक तथा सैन्य शक्ति हो कर विस्तारवादी हो गया।

#नोट: फैसल मोहम्मद अली साहबे के संघ के मुख्यालय नागपुर मे हिन्दु से बौद्ध धर्म अपनाने के ग्राउंड ज़िरो के एतिहासिक तथा चौंकाने वाला वीडियो को सूनये और पूरा लेख कौमेंट मे पढिये।
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Some comments on Post

Mohammed Seemab Zaman जब 1981 मे तमिलनाडु के मीनाक्षीपुरम मे दलित ने इस्लाम घर्म अपनाया था तो हिन्दु घर्म के देवी-देवता के विरूद्ध कोई संकल्प नही लिया था केवल “कलमा” पढ कर घर्म परिवर्तन किया था।
मीनाक्षीपुरम को संघ ने मुद्दा बनाया मगर नागपुर मे 66 साल से घर्म परिवर्तन हो रहा है मगर संघ के लोग वहॉ जा कर आशिर्वाद देते हैं। आज तक हिन्दु या बुद्धिजिवी संघ के इस दोहरी नीति को सराहते रहे मगर कोई हिन्दु उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट नही गया।

Sirajuddin Zainul Khan सर कल जब मैंने ये न्यूज यूट्यूब पर देखी तो दिमाग ठनक गया।फिर मैने एक वीडियो डाला सुधीर चौधरी का ।की आंबेडकर की मुसलमानो के लिए क्या सोच थी। जबकि ये जिस रफ्तार से बढ़ रहे है बहुत महंगा पड़ेगा देश को पूरी बात यहां नही लिख सकता।नवबुद्घ हिंदू से ज्यादा मुसलमान को अपना दुश्मन समझता है।हिंदू उतना दुश्मन मुसलमान को नही समझता जितना ये नवबूध लोग समझते है,

  • Mohammed Seemab Zaman ताज्जुब तो यह है कि आज तक कोई हिन्दु अंबेडकर के 5 प्रतिज्ञाओं पर कोर्ट नही गया मगर रोज़ अंबेडकर के मूर्ती को हार और फूल माला चढ़ाता है।