Post of 5 June 2024

नरेन्द्र मोदी जो संघ के प्रचारक से भारत के प्रधानमंत्री बने उन की सरकार ने हमारे विश्व प्रख्यात दार्शनिक, धारा प्रवाह हिन्दी वाचक संघ प्रमुख डाक्टर मोहन जी के संघ के राजनीतिक विचारधारा जो हिन्दू राष्ट्रवाद के सांस्कृतिक औचित्य और भारत तथा विदेश मे हिंदू आधिपत्य स्थापित करने के विश्वास को “निचा देखा दिया”.

कई दशकों से संघ के वरिष्ठ बुद्धिजीवी अपने “हिन्दु राष्ट्रवाद” के सोच पर चलते रहे मगर उन्हें इस शताब्दी में दुनिया मे तेज़ी से बदलती “जियोपोलिटिक्स” और “जियोइकोनॉमिक्स” समझ में नहीं आई।

2014 में केन्द्र मे संघ की सरकार बनी और वह “हिन्दू राष्ट्रवाद” का झंडा मलेशिया से अमेरिका तक फहराने लगी जिस के कारण पिछले दस साल मे भारत की पहचान दुनिया में एक कट्टर “हिन्दु राष्ट्रवादी देश” के रूप में होने लगा, जिस को संघ या संघ की सरकार पहचानने में असमर्थ रही।

पिछले दस साल मे भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) घटता गया, कोई विदेशी निवेश (FDI) देश मे नहीं आया, विकास के नाम पर दर्जन भर सरकारी बैंक को दिवालिया कर खत्म कर दिया गया और सराकर टैक्स लगा कर देश के विकास का ढोंग करती रही मगर संघ के वरिष्ठ विचारक तथा बुद्धिजीवी यह सब मौन देखते रहे।

कल के चुनाव परिणाम के बाद भारत में जिस की भी सरकार बने वह दुनिया मे भारत के पर्सेप्शन (Perception) को बदलने की ही कोशिश करती रहे गी मगर कामयाबी नहीं मिले गी।

क्योंकि, भारत की हिन्दुत्ववादी क्षवी, भारतीय सीमा पर भटकती आत्माएँ, कोरोना से बर्बाद दुनिया की अर्थव्यवस्था, रूस-यूक्रेन युद्ध तथा इसराइल-प्रतिरोधी ताक़तों के मार-काट भारत मे विदेशी निवेश नहीं आने देगा जिस के कारण 140 करोड़ जनता का विकास दशकों असंभव है।

#नोट: कल के चुनावी परिणाम ने संघ की विचारधारा को पूर्ण रूप से ध्वस्त नहीं किया है मगर एक बहुत गहरी चोट लगा दिया, जिस ज़ख़्म को संघ दशकों भूगते गा।अब बहुसंख्यक समाज के बुद्धिजीवी इस का ठिकरा नरेन्द्र मोदी या नड्डा पर फोंडें गें मगर मेरा मान्ना है कि इस का ठिकरा संघ प्रमुख, वरिष्ठ विचारकों और बुद्धिजीवियों पर फोड़ना होगा।
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https://www.youtube.com/watch?v=-RiKYx8uLRw