FB Post of 27th August 2021
यह कहा जाता रहा है कि हजारो साल से “इंसानियत का गहवारा/मानवता का पालना”, cradle of humanity अफ्रिकी महाद्वीप है।मगर पिछले दस साल मे जर्मनी के पुरातत्त्ववेत्ता/माहीर आसारे क़दीमा ने सऊदी अरब के रबे-अल-ख़ाली मे शोध कर एक नई चौंकाने वाली खोज की है।
हम लोग तो आज तक 7000 साल पूरानी मिस्र की सभ्यता, भगवान, देवी, देवताओं और मंदिर को ही देख और पढ कर दुनिया की सब से पूरानी सभ्यता जानते और कहते थे।उस के बाद हजारो साल पूरानी इराक़-सिरिया-तुर्की के मेसोपोटामिया के खँडहर, मंदिर, भगवान और देवी-देवता को पूरानी सभ्यता जाना, या भारत के 2500 BC साल पूराने हडप्पा या बौद्ध के 400 BC समय के पूराने खंडहर को ही पूरानी सभ्यता जाना।
संघ के मुखिया डॉ० मोहन जी भागवत कहते हैं कि हमारी देश की सभ्यता 40,000 साल पूरानी है, मगर आज तक कोई मंदिर 1400 साल से ज्यादा पूराना नही नजर आता है।जो भी मंदिर भारत मे बना या नजर आता है वह सब सात सौ (700 AD) का बना है, यहॉ तक के बोध गया मे महाबोधी मंदिर जो आज नजर आता है वह भी 700 AD का है। एशिया मे पूराना कंबोडिया का मंदिर अंकोरवाट (Angkor Wat) भी एक हजार साल पूराना नही है।
#नीचे मिस्र मे संगमरमर पर बैठे एक पुरूष के हाथ मे “विणा” है, यह मूर्ती 4,900 साल पूरानी (2800-2700 BC) है। दूसरी तसवीर पिरामिड के दिवार मे पुजारी के हाथ मे वीणा की है।
#दो तसवीर 3000 साल पूराने मंदिर की है।एक मिस्र के आसवान मे 3,000 साल पूराने मंदिर की है जो आज भी सही सलामत है। दूसरी रामसिस-३ (Ramesses III, 1186 BC) की बनाई हाबु शहर मे मंदिर की है। मिस्र का कारनक मंदिर तो 5,000-7,000 साल पूराना है।
#पॉचवी तसवीर इराक़ के मेसोपोटामिया मे 4,000 साल पूराने चंद्रमा भगवान (Moon God) की “उर मंदिर” की है जिस को Sumerian King Ur-Nammu ने बनाया था, जिस को आज the Great Ziggurat of Ur Temple कहा जाता है।गौर से देखये गा पूराने नालंदा विश्वविद्यालय की सीढ़ी भी उर के मंदिर के सीढ़ी के तरह है।