अभी दो चार दिन से लोजपा के नये अध्यक्ष पर पूरा बिहार खूब अँगड़ाई ले रहा था। फिर नया शगूफा मायावती और ओवैसी का चला फिर कांग्रेस और जेडीयू और माँझी के उम्मीदवार की लिस्ट आई, जिस मे अल्पसंख्यक बहस और मोबाहेसा करने लगे।
अब देखये यह बीजेपी के राम नरेश यादव को यह बीजेपी मे लालू जी के काट पैदा हो रहे थे और अब 15 साल मे पिट गये तो लगे नीतीश कुमार को बूरा कहने। यह समझते हैं कुर्मी लोगो को बेवक़ूफ़।
नीतीश जी को अगर बीजेपी ने धोका दिया तो याद रखिये गा दूसरे चरण मे नीतीश जी कुर्मी वोट आरजेडी को देलवा दे गें। कुर्मी लोग जानते हैं नितीश के बाद अगले पचास साल उन लोगो को कुर्मी नेता अब नही मिले गा जिस तरह से लालू जी के बाद यादव लोगो को कोई दूसरा नेता यादव को नही मिले गा।
सात साल मे केन्द्र सरकार ने भारत को आर्थिक तौर पर 1967 मे पहुँचा दिया और 370 हटा कर उत्तर भारत के 3400 कि० मी० बोडर के संवेदनशील बना दिया और चीन और नेपाल को गलवान और कालापानी मे बूला लिया और कोरोना ने बर्बाद व्यवस्था के आग मे तेल का काम किया।
Kausar Jahan Yusuf साहेबा ने सही लिखा है “नीतीश कुमार हैं जो पुलिस प्रशासन निष्पक्ष रहता है और नीतीश के समय मे 15 साल से अल्पसंख्यक चैन से खा-पी रहे हैं और चैन से आज़ादी से रह रहे हैं। इन्ही के राज मे सब्ज़ी बाग का NRC आंदोलन शांति और संवैधानिक अधिकारो के साथ चला। ईद-बक़रीद शांति से हो गया”
जबकि केजरीवाल के दिल्ली का दंगा और जोगी के यूपी का हाल बिहारी लोगो के सामने है।अगले साल भारत की अर्थव्यवस्था और चीन-भारत संबंध क्या होगा वह बिहार के आम जनता को न पता हो मगर “किंग मेकरस” को खूब पता है।इस वजह कर मेरा कहना है अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक को नीतीश कुमार को बहुमत से जीताईये और कोई नया “ऐक्सपेरिमेंट” नही किजये, यह कोरोना की बर्बादी लम्बी है.