My Post of 9th November 2019, reposted by Shambhu Kumar on 9th Nov. 2020

9 नवंबर को मोहम्मद इक़बाल का जन्म दिन है और कारतारपूर मे दुनिया का सब से बडा गुरुद्वारा दरबार साहेब का नये सिरे से उद्घाटन है। यह गुरुद्वारा 140 एकड़ मे बसा है। 42 एकड़ गुरुद्वारा है और 64 एकड़ मे खेती और बाग़ की ज़मीन है, जो पाकिस्तान सरकार ने अभी दिया है। रोज़ 5000 श्रध्दालुओं के जाने की व्यवस्था पाकिस्तान सरकार ने किया है।हर गुरुद्वारा मे गुरू नानक देव जी की वाणी गुरूमुखी मे दिवार पर लिखी होती है। गुरू जी की मशहूर वाणी है:

“अव्वल अल्लाह नूर उपाया, कुदरत के सब बन्दे,एक नूर से सब जग उपज्यो, को भले को मंदे।”

मोहम्मद बदिउजजमा साहेब ने इक़बाल पर अपनी किताब मे गुरू जी की वाणी का मानी लिखा है: “दर हक़ीक़त हम एक जिनस है. एक ही नूर हमारे रूहों मे मौजूद है, लिहाज़ा हम को प्यार मोहब्बत से रहना चाहिये. हम सब एक है हम सब का ख़ालिक़ एक है और उसी के हम सब औलाद है. खुदा के मखलूक की ख़िदमत करो. ईसारे नफस और आपसी मेल जोल के ज़रिये दुनिया को अमन शान्ति का गहवारा बनाओव”.

मोहम्मद इक़बाल ने एक लम्बी नज़्म गुरू नानक देव जी पर लिखी ही। इक़बाल ने गुरू जी को “मर्द -ए-कामिल” बताया है।”नानक” नज़्म का आख़री चार लाईन निचे पढ़े:

“बुतकदा फिर बाद मुद्दत के मगर रोशन हुआ,नूर-ए-इब्राहीम से आज़र का घर रोशन हुआ।फिर उठी आखिर सदा तौहीद की पंजाब से,हिन्द को एक “मर्द-ए-कामिल” ने जगाया ख़्वाब से”(इक़बाल के पिता तो कश्मीरी थे मगर माँ पंजाबन थी। एक जगह बह लिखते है की माँ के सामने पंजाबी शब्द ज़्यादा ईसतमाल करते थे)

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आज पाकिस्तान के इमरान खान ने 14 करोड सिख क़ौम को वह तोहफ़ा (करतारपुर कॉरिडोर) दिया जो शायद किसी सिख क़ौम ने 1971 मे बंगलादेश बनने के वक़्त सोचा नही होगा।

आज बाबा गुरू जी की 550 सालगिरह है, जो कहते हैं अपने वाणी मे “खुदा एक है, वही सच है, सभी इन्सान बराबर हैं, कोई छोटा नही, कोई बडा नही, सब से मुहब्बत करो, सब की मदद करो, अपना किरदार पाक रखो, दिल को साफ रखो, ज़ात की बुनियाद पर कोई बेहतर या बत्तर नही”

यह हम को आज पता चला की गुरू जी ने अपनी ज़िन्दगी का 6 साल इराक़ के बुज़ुर्गो और सूफ़ीओ के शहर बग़दाद मे गुज़ारा और रोज़ सुबह हज़रत इमाम मूसा काज़ीम और हज़रत शेख क़ादिर जिलानी रहमतउल्लाह अलेह (जिन्हें बडे पीर साहेब भी लोग कहते हैं) के मज़ार पर जा कर हाज़िरी दिया करते रहे।

मोहम्मद बदीउज्जमॉ साहेब ने अपनी इकबाल की किताब (जिन का 9 नवंबर योमे पैदाईश है) मे गुरू जी के वाणी का एक लेख मे तजकिरा किया है”

गुरू जी ने बताया के ज़ात और जन्म की ज़रूरत नही। जैसे तेरे आमाल होंगें, वैसी तेरी ज़ात-पाक होगी”.