Post of 12 August 2022
1973 के अरब-इस्राईल लडाई के बाद तेल का दाम बढा और गल्फ़ के मूल्क ने तरक्की करना शुरू किया, अमेरिका मे निवेश किया, Treasuries bonds खरीदा और अमेरिका के तरक्की मे योगदान दिया।
पचास साल बाद, फिर तेल और गैस का दाम कोविड तथा रूस-यूक्रेन लडाई से बढ कर $80-120 प्रति बैरल हो गया। इस साल मिडिल इस्ट और सेंट्रल एशिया के देश को पिछले साल से $320 billion अतिरिक्त रेवेन्यू आ गया। IMF के रिपोर्ट मे अनुमान है कि अगले पॉच साल मे तेल और गैस उत्पादक देशो को $1.4 trillion का surplus revenue हो गा।
#इस साल GCC देशो के पास $400 billion का current account surplus है (निचे दी एकौनोमिस्ट, लंदन का चार्ट-२ देखे). कहा जा रहा है कि सऊदी अरब कई बडा “mega-projects” खलीज आक़बा (Gulf of Aqaba) मे आधुनिक Neom शहर तथा तबुक के पास 120 km लम्बा शहर $500 billion मे अगले दस साल मे बनायें गें जो दुनिया का पहला दो अजूबा शहर होगा।
#बहरैन जो ग्रेटर लंदन शहर के क्षेत्रफल का आधा मूल्क है वह समंदर से 11% land-reclamation कर के दुबई के Palm Jumeirah के तरह 5 नया शहर बनाये गा।दुबई कई मेगा-प्रोजेक्ट शुरू कर 40,000 जौब पैदा करे गा। कोवैत और ओमान मे बीस साल के बाद नया नया प्रोजेक्ट शुरू करे गा। क़तर तो इस साल FIFA, 20 नवंबर से शुरू कर रहा है।
इस surplus money को मिडिल इस्ट अफ्रिका मे बडे पैमाने पर निवेश करने की योजना बना रहा है। सेंट्रल एशिया के देश तथा यूएई भारी निवेश तुर्किया, कोसोवो, बोसनिया, इंगलैंड मे करने की योजना बना रहे हैं। इस बार oil windfall का पैसा अमेरिका बहुत कम जाये गा क्योकि अमेरिका की साख ‘अरब सप्रिंग’ के बाद अरब देशो मे ख़त्म हो गया।
#नोट: पहली तस्वीर खलीज आक़बा मे 120 km लम्बे नये शहर की है, यह शहर Neom और तबुक से जुटा हो गा। बाकी दो आज के The Economist, London का ग्राफ है।