हम ने कल पोस्ट पर कौमेंट मे लिखा था “किसान आंदोलनकर्मी सरकार से पाकिस्तान के बोडर खोलने की मॉग करे फिर देखे कैसे सरकार 24 घंटा मे बिल वापस लेती है क्योकि फिर महाराष्ट्रा और गुजरात का महत्व भारत के अर्थव्यवस्था से ख्तम हो जाये गा। उत्तर भारत चावल,दाल,गेहूँ, चीनी या साग सब्ज़ी सब ईरान और सेंट्रल ऐशिया के देश तजाकिस्तान, उज़बेकिसतान, तुर्कीमिनस्तान वगैरह हर जगह अच्छे दाम पर भेजे गे। उन देशो मे यह सब चीज़ की बहुत कमी है। वह सारे देश दुबई और दूसरे अफ्रिका के देश से यह सब सामान खरीदते हैं”

#मेरे कौमेंट पर Parmod Pahwa साहेब ने लिखा: “पंजाब के किसान यह मांग कर चुके हैं और पड़ोसी खोल भी देगा, यह आंदोलन बहुत कुछ नया करके जाएगा। पहवा साहेब ने पहले भी लिखा है कि डॉ मनमोहन सिंह जी के समय में हमने रास्ता खोलने के विषय पर काम किया था और काफी आगे बढ़ चुके थे लेकिन गहन राज्य ने अन्ना आंदोलन शुरू करा दिया और सत्ता बदल गई।ये सरकार आईं ही इसके विरोध के लिए है। नहीं तो ढाका से काबुल तक और फिर ईरान तथा यूरेशिया ( पूर्व सोवियत ) तक हमारी पहुंच होती जिसके लिए हमने तालिबान और अफ़गान सरकार से मिलकर सड़क भी बनवाई थी”

#पोस्ट पर Lalit Nayyar साहेब ने लिखा: “लुधियाना, जालंधर में बना माल लगभग 10 दिन सड़क के रास्ते गुजरात तक पहुंचता है.. इतने दिन तक तो भारतीय माल ईरान, काबुल तक पहुंचाया जा सकता है.. चीन की तरह ही भारत भी अपनी रोड़ व बेल्ट नीति बना कर अर्थव्यवस्था को उठा सकता है। पाकिस्तान में भारतीय माल की घुसपैठ करा चीन को करारी टक्कर दी जा सकती हैं”

#Naween Verma साहेब ने लिखा: “बहुत अच्छा सुझाव है लेकिन ये govt (कोई दूसरी भी) मानेगी नही । लेकिन अगर ये हो जाये तो दोनों मुल्कों के उद्धार हो जायेगा” और

Lalit Nayyar साहेब ने जवाब दिया “Naween Verma सरकारें चीन से सबक ले सकती हैं कि अर्थव्यवस्था को किस प्रकार उठाया जाए।सड़कों, रेलवे जहाज़ रानी पर काम करना होगा ताकि देश का माल देश से बाहर बिके.. सरकार भी तो किसानों को अपनी फसल एक्सपोर्ट करने के लिए इशारा करना चाह रही है।फसल को विदेश भेजने के लिए उसे खुले अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर, रोड़ व रेल नेटवर्क भी तो चाहिए”