Post of 19 April 2024
मार्च 2023 के पहले मिडिल ईस्ट मे अमेरिका और इसराइल अपनी राजनीति को बहुत आसानी से मैनिपुलेट कर आतंक फैलाते रहे थे।
2002 मे अमेरिकी राष्ट्रपति बुश ने ईरान को न्यूक्लियर प्लांट देकर 20 साल ईरान द्वारा खाड़ी देश, अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और अफ़्रीका मे खूब आतंक फैलाया। फिर ओबामा ने 2011 से अरब स्प्रिंग किया और अरब को एक नये आतंक के चक्रव्यूह में फँसा दिया। ओबामा ने JCPOA का नाटक कर ईरान-सऊदी अरब का रिश्ता सब से ज़्यादा ख़राब कर दिया।
हद तो 2019 में हो गया जब ईरान ने अपने आधुनिक ड्रोन से सऊदी तेल के संयंत्रों पर हमला किया और अमेरिका चुप चाप देखता रहा। इस के बाद इमरान खान ने 15 अगस्त 2021 को “फ़ॉल ऑफ काबूल” करा कर वियतनाम के बाद अमेरिका की बहुत बड़ी बेइज्ज़ती करा दिया।
ईरान ने 2022 में यूएई की राजधानी अबू धाबी पर हमले किया मगर अमेरिका ने फिर जवाब में कुछ खास नहीं किया। ये सब घटनायें अमेरिका-इसराइल को मिडिल ईस्ट मे “अब्राहम एकोर्ड” की सफलता की उम्मीद दिला दिया।
मगर रूस 2022 मे फ़ॉल ऑफ काबूल के बाद यूक्रेन में मार-काट शुरू कर दिया और चीन अपनी शांतिपूर्ण कूटनीति कर ईरान को सऊदी अरब और यूएई से मार्च 2023 में लिखित (written) दोस्ती करा दिया और अमेरिका-इसराइल के सारे खेल (अरब स्प्रिंग, ISIS, JCPOA, अब्राहम एकोर्ड) का जनाज़ा निकाल दिया।
ईरान ने 14 अप्रैल 2024 को 170 ड्रोन, 150 मिज़ाईल इसराइल पर मार कर वह द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पहली बार अमेरिका और यूरोप को चौंका दिया और नये युग को पायदारी दे दिया। ईरान ने पहली बार इसराइल पर हमला किया और वह सफल रहा क्योंकि ईरान की दोस्ती सऊदी अरब-यूएई से हो गई है और उस पूरे खित्ते मे ईरान को मिडिल ईस्ट, अफ़ग़ानिस्तान तथा पाकिस्तान से अ-लिखित (un-written) शांति मिल गई है।
#नोट:ईरान द्वारा 14 अप्रेल को इजरायल पर हमला ने द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद चले आ रहे पुराने नियम सब खत्म हो गए तथा इसराइल के मित्र राष्ट्रों तथा अमेरिका की स्थिति बहुत ख़राब हो गई है क्योंकि अब चीन भी इस खित्ते मे एक महत्वपूर्ण एक्टर बन गया है और ईरान द्वारा इसराइल पर हमला ने मिडिल ईस्ट की सब से पूरानी लड़ाई को एक नया आयाम दे कर पूराने युग का आख़री अध्याय लिख दिया है।