Post of 25th February 2022

“नक़श दर नक़श तहरीरें बदल जाएंगीं
देखते देखते तस्वीरें बदल जाऐंगीं
धीरे धीरे कसा जायेगा फंदा हर सू
ख़ाब तो होंगे वही ताबीरें बदल जाऐंगीं”

यह शेर हम अपने सौ साल के सोंच वाले आदरणीय जगतगुरू, विश्व प्रख्यात दार्शनिक, धाराप्रवाह हिन्दी वाचक डाक्टर मोहन जी के नज़र कर रहे हैं ताकि वह अपनी संस्था की बनाई सरकार के सोंच को बदलें।

पिछले दस साल मे आस्था के नाम पर जो भारत मे हुआ उस से ज्यादा ख़तरनाक अगला दस महीना हो गा।तथाकथित जगत गुरू जौसेफ बाईडेन एक साल हो गया शाह सलमान का दर्शन नही किया है और प्रिंस सलमान से बात नही करना चाहते हैं, जिस कारण ओपेक ने तेल के बाजार मे artificial कमी बना दिया ताकि लोग तेल store नही कर सकें। ईरान, यमन, सिरिया का संकट भी लम्बा चलाया जा रह है, इसी बीच पुटिन ने अपना पुराना मंत्र पढना शुरू कर दिया और यूरोप मे नक़्श दर नक़्श बदल कर नया इतिहास लिखने लगे।

मोहन जी चीन देखते देखते तस्वीरें बदले गा, हेजाब का फंदा धीरे धीरे कसा जाये गा।अगर आप का ख़ाब नही बदले गा तो आप के ख़ाब की ताबिरें बदल जाएंगी।

نقش درنقش تحریریں بدل جائنگیں
دیکھتے دیکھتے تصویریں بدل جائنگیں
دھیرے دھیرے کسا جائے گا پھندا ہرسو
خواب تو ہونگے وہی تعبیریں بدل جائنگیں
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Neeraj Singh कुछ भी हो मैं आपको ये पोस्ट डिलीट नही करने दूंगा.

  • Mohammed Seemab Zaman, छोटा पोस्ट डिलिट कर देते हैं। यह सब तो serious पोस्ट है। आज कल के संदर्भ मे इस का शेर ही सिर्फ एक पोस्ट हो सकता था।

Neeraj Singh मैं तो कतई नहीं चाहता की संघ अपना मंसूबा बदले। बस मैं तो पूरी शिद्दत से चाहता हूं कि वक्त इनके के खाब की तारीब बदल दे

  • Mohammed Seemab Zaman ताबीर तो 26-28 जनवरी 2015 से ही बदलने लगा था। यह तो कोरोना और तेल का दाम जल्दी कर देगा ताबिर बदलने मे।

Vinay Kumar Singh एक सवाल है कि जिन देशों का मूल आर्थिक स्रोत तेल हो वे कितनो दिनों तक आर्टिफिशियल कमी बनाये रख सकते हैं सर और कोई कितने दिन तक उनकी आर्थिक सहायता कर सकता है। जो बिडेन को जवाब चीन रूस गठजोड़ की वजह से मिल रहा है सऊदिया तुर्की या ईरान के कारण नहीं

  • Mohammed Seemab Zaman, तेल वाले देश अभी तीन साल बाईडेन है तब तक तो यह आर्टीफिशिल कमी बनाये रखे गे। मेरा अक्टूबर-नवंबर का पोस्ट याद है न हम लिखते थे बाईडेन को दुनिया का अभी का सब बडा नेता पहचानता है वह इस का कभी कामयाब नही होने दें गे। लोग वही कर रहे हैं। यह सोंच रहे थे इन को मिडिल इस्ट या तुर्की का सपोर्ट मिले गा मगर आधी दुनिया चुप है क्योकि सब लोग अमेरिका को छोटा करना चाहता है।

Vinay Kumar Singh आप अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ हैं मैं इस मामले में शून्य हूँ लेकिन क्या यह सच नहीं है कि रूस को यूक्रेन में उलझने के लिए यूक्रेन को अमेरिका ने ही बलि का बकरा बनाया है ताकि रूस पहले अपनी समस्याओं से पार पाए न कि खुले तौर पर चीन के साथ लड़े। अगला नंबर चीन का होगा। जो काम अमेरिका ने यूक्रेन के साथ किया है वही भारत के साथ कर रहा है कि चीन से युद्ध की स्थिति में भारत की तरफ से लड़ने को कहकर। अगर दंगाजीवी पार्टी 2024 में भी सत्ता में आ जाती है तो यह तय है कि भारत चीन युद्ध होगा अगर सत्ता में वापसी की उम्मीद न हो तो यह 2024 से पहले होगा।

  • Mohammed Seemab Zaman, हम अंतरराष्ट्रीय मामले के जानकार नही हैं मगर चालीस साल से जो पढा और देखा है उस की वजह कर FB ने अवसर दिया तो लिखते रहते हैं। हम लोगो को मौका कहॉ मिला यह सब लिखने का, हिन्दी अखबार छापता नही और उर्दु अखबार मे जगह नही मिलती। विदेश मामले मे बेहुत सी चीज एसी होती है जो हम लोग जैसे आम आदमी को तीन चार या दस साल बाद मालूम होती थी मगर अब अलजजीरा, टरकिश टीवी, फ्रांस 24 तथा कुछ नया अंगरेजी अखबार यह सब भेद पहले खोल दे रहा है।आप ने जो लिखा है, वह मेरे नजर मे वैसा नही है। आप के सवाल पर तो एक पोस्ट लिखा जा सकता है।

Sanjay Nagtilak मोहन भागवत को कुछ फरक पडने वाला नहीं हैं, उनके पास सरकार, प्रशासन, न्यायव्यवस्था, मीडिया हैं. और देश के सभी संसाधनों पर उनके अपने लोगों का कब्जा हैं।बीजेपी सरकार का मुख्य उद्देश भारत की शिक्षा, रोजगार खत्म करके लोगों को मंदिर गोबर की तरफ मोडना था. उसमें वो सफल हुए हैं। और अगले 20-30 साल तक ईव्हीएम मशिन से चुनाव होते रहेंगे, इस लिए उनकी सरकार बनती रहेगी.देश में जब तक कोई बडा आंदोलन नहीं होगा तब तक बीजेपी की सरकार बनते रहेगी और जब देश के लोग शिक्षा, रोजगार मांगेंगे तब तब बीजेपी सरकार हिंदू मुस्लिम के बिच दंगा करवाएंगे या पाकिस्तानी बॉर्डर पर छूटपुट युद्ध।

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