Post of 6th October 2022
कल विजयदशमी के शुभ अवसर पर #ओपेक(+) देशो ने तेल इंडस्ट्री को जीवित रखने के लिए नवंबर महीने से 20 लाख बैरल कम तेल बाजार मे बेचने का फैसला किया।दो हफ्ता से तेल का दाम गिर कर $80-79 पर आ गया था मगर फिर $93 से ऊपर चला गया।
13 देशो के ओपेक समूह का कहना है कि उन लोगो का पूरे साल तेल का दाम $100 रखने का target था ताकि भविष्य मे इसी पैसा से तेल का कुऑ खोद कर और तेल निकाल कर दुनिया को आपूर्ति किया जा सके ताकि भविष्य मे विकास पैदा हो।
यमन हूथी विद्रोहियों ने दो दिन पहले कहा था कि सऊदी अरब से विदेशी तेल कम्पनी चली जाये वरना वह लोग तेल पाईप लाईन पर मिज़ाईल मारें गें और समुंदर मे तेल से भरे जहाज़ को यमन से नही जाने दें गें।अफगानिस्तान मे इधर इमरान खॉन के हटने के बाद बम पटक कर अशांति फैलाया जा रहा है।ईरान मे अयातुल्लाह खमेनाई के बेटे और अयातुल्लाह रईसी के बीच भविष्य के होने वाले अयातुल्लाह के बर्चस्व की लडाई के कारण गृह युद्ध की हालत बनती जा रही है।यह सब मार-काट मे अमेरिकी हाथ है।
रूस-यूक्रेन लडाई मे शांति समझौता का कोई आसार नज़र नही आ रहा है।ओपेक (+) देशो के दस दूसरे सदस्य जिस मे रूस भी शामिल है मगर इस साल के अंत तक उस की तीन साल की सदस्यता ख़त्म होने वाली है।ओपेक समूह के 13 देश खास कर सऊदी अरब चाहता हैं कि रूस ओपेक (+) का सदस्य रहे ताकि अमेरिका और यूरोप पर दबाओ बना रहे।
अमेरिका कल ओपेक के निर्णय से बहुत मायूस (disappointed) हो गया क्योकि सऊदी अरब उस की बात नही मान रहा है और तेल का दाम कम नही होने दे रहा है।इस 20 लाख बैरल की कटौती मे, केवल दो मूल्क सऊदी अरब और रूस 10 लाख बैरल की कटौती करे गा जबकि बाकी दूसरे 21 देश मिल कर 10 लाख कम तेल का उत्पादन करें गें।
ब्रिटेन अगले महीना कतर तथा नार्वे से 10-20 साल का गैस ख़रीदने का अनुबंध करने जा रहा है।चीन पहले से कतर और रूस से 20 साल का गैस ख़रीदने का एगरिमेंट किये हुआ है।कतर ने जर्मनी को गैस देने से इंकार कर दिया, जिस के कारण फ्रांस और जर्मनी कतर से ग़ुस्सा मे हैं और FIFA मैच को फ्रांस और जर्मनी मे बडे टीवी स्क्रीन पर पब्लिक प्लेस पर नही देखाने का फैसला किया है।
#नोट: भारत बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद open market से तेल और गैस ख़रीदता है।भारत की 130 करोड आबादी है मगर किसी भी देश से तेल या गैस पाईप लाईन से नही लेता है।पूरा देश धाराप्रवाह सुंदर सुंदर गौरवमयिए भाषण सून सून कर ओत प्रोत है।
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Comments on the Post
Salim Khan सर कुछ जगह इलैक्ट्रिक व्हीकल को लेकर लोग बहुत उत्साहित दिखाई पड़ते हैं खासकर तेल वाले मुल्कों पर अन्दरूनी खुनस रखते हैं, इस पर आपके विचार हमें चाहियें
- Mohammed Seemab Zaman जो उत्साहित हैं उन से पूछये “बैट्री” कहॉ से आये गा। तेल का दाम बढ़ने से चीन मे rare earth metals production महगॉ हो गया और बैट्री नही मिल रही है। यह सब हवा मे उत्साहित हैं। यूरोप मे तो 2030-32 तक सब जगह इलैक्ट्रिक व्हीकल हो जाये यह अब possible नही लग रहा है। रूस-यूक्रेन लडाई ने rare earth metals पर सवालिया निशान लगा दिया।
- Majid Ali Khan, Mohammed Seemab Zaman आत्मनिर्भर भारत बन रहा है तो फिर बैलगाड़ी से काम चलेगा, साईकिल से चलेंगे.
Javed Hasan ओपेक+ का ये फैसला ऑयल एंबार्गो अक्टूबर 1973 के जैसा ही परिणाम देगा भविष्य में.. उस वक्त वो अरबों के खिलाफ इजराइल का साथ दे रहे है और वर्तमान में यूक्रेन का रूस के खिलाफ संयोग से ये महीना भी अक्टूबर ही है. देखते है यूक्रेन की सहायता और तेल गैस के झटके को मशरीक की सरकार और अवाम कितने दिन बर्दास्त करेगी