Post of 27th January 2021

उमीद है कल लाल क़िला के #पवित्र प्राचीर पर दूसरा झंडा देख कर भारत रत्न प्रनब मुखर्जी जी और नरसिमहा राव की आत्मा को स्वर्ग मे शांति मिला होगा। यह दोनो नेता कांग्रेसी थी मगर इनके राष्ट्रभक्ती और देशभक्ति का Myth and Reality कुछ और था।

प्रनब मुखर्जी जी ने अपनी किताब मे लिखा है 2014 मे जब बीजेपी सरकार को बहुमत मिला तो उन को इतमिनान हुआ। मोदी जी के सरकार को इन्होने शपत दिलाया और सेवानिवृत्ति के बाद धोती पहन कर नागपुर मे शाखा attend कर के अपने nationalism & patriotism का सबूत दिया और भारत रत्न लिया।

दूसरे कांग्रेसी नेता नरसिमहा राव थे जो बडे विद्वान थे और बाबरी गिरवा कर डर से चीन को पटना से आसंसोल (320 km) तक जमीन देकर नया बोडर मान लिया। एक तीसरे बूद्धिजिवी नेता सुब्रमण्यम स्वामी हैं जिन को मोरारजी देसाई ने 1978 मे चीन से दोस्ती करने को भेजा और विदेशमंत्री बाजपेयी जी 1979 मे चीन गये थे। यह सुब्रमण्यम स्वामी 2018 मे अमेरिका मे चीन के होटल मे खाना खा कर अमेरिका मे VHP नेता के साथ तस्वीर खैंचवा कर nationalism & patriotism का सबूत देते हैं और चीन अरूनाचल मे 60 km रोड बना देता है और गलवान के पहाड़ से rare earth metals निकाल रहा है।

तीन दिन पहले पुलवामा कॉड पर विदेश मे पैदा भारतीय नेता सोनिया गॉधी ने मोदी जी के सरकार पर nationalism & patriotism पर सवालीया निशान लगा कर joint parliamentary committee (JPC) से जॉच की मॉग की, मगर कोई कांग्रेसी नेता कुछ नही बोला और न कोई पोस्ट लिखा।

कल जो लाल क़िला पर दूसरा झंडा लगा वह देशद्रोह है, जुरम है क्योकि 74 साल से लाल क़िले पर लगे झंडा की रखवाली सेना के संत्री करते थे। वह सेना के जवान कल कहॉ थे? सवाल है उन को कब और किस ने हटाया?