Post of 1st March 2025
कल रात अमेरिका के राष्ट्रपति भवन के ओवल ऑफ़िस में जो तू-तू-मैं-मैं हुआ उस को देख कर हम के यक़ीन हो गया कि सौ साल बाद दुनिया यक़ीनन बदल गई है।
ट्रम्प-ज़ेलेंसकी का इपीसोड ट्रम्प और ज़ेलेंसकी किसी के फ़ेवर में नहीं है। यह बदली दुनिया का Last Scene नज़र आ गया।
कल रात यूरोप के बहुत से लीडर ने ज़ेलेंसकी को सपोर्ट किया है। पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टुस्क ने कल रात ही ट्वीट किया, “Zelensky we are with you.” मैकरोन ने कहा यह “Aggressor and victim” की लड़ाई है, जर्मनी के चांसलर शुल्ज़ ने भी ज़ेलेंसकी के सपोर्ट में बोला।
*ट्रम्प ने तो WWII के बाद चली आ रही ‘the Western Powers” की दुनिया को बदल दिया। मगर सवाल यह है कि इस बदली दुनिया मे अब यूरोप का क्या होगा? भारत का क्या होगा?
*यूरोप की कुल आबादी 48 करोड है मगर भारत की आबादी 140 करोड है। दोनों की अर्थव्यवस्था ख़राब है और दोनों जगह पिछले दस साल मे कोई निवेश नहीं हुआ है।
*यूरोप का कुछ मुल्क तो पैसा और तेल-गैस के लिए मिडिल ईस्ट के गोद मे बैठ जाये गा मगर भारत जो अपना “इतिहास-भूगोल” भूल गया है वह किस के गोद मे बैठे गा?
#नोट: कल रात ओवल आफिस का आखरी दस मिनिट का तू-तू-मैं-मैं पूरी दुनिया को चौंका दिया और नेतनयाहु की निंद उड़ा दिया होगा। किसी ने नही सोंचा होगा कि दुनिया इतनी तेज़ी से बदले गी और इस बदली दुनिया मे हम भारतीय एक तमाशबीन रह जायें गें। भारत सरकार के लिए एक शेर नज़र है,
“हम रहते हैं आप के दिल मे
कभी वक़्त मिले तो तलाश कर लेना”
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Some comments on the Post
Mohammed Seemab Zaman
हम दस साल से लिख रहे थे कि दुनिया बदल रही है मगर हमारे बहुसंख्यक समाज को समझ में नहीं आ रहा था और वह अल्पसंख्यक समाज की चूड़ी टाइट करने में लगे थे। यूरोप की आबादी 48 करोड़ है जब कि उत्तर प्रदेश की आबादी यूरोप की आधी है जहॉ पिछले कई दशकों से सिर्फ़ “गाय-गोबर” होता रहा है जिस का नतीजा है कि मज़दूर और लेबर पैदा होते रहे।
अब तो कोई मुल्क मज़दूर और लेबर भी नहीं लेगा क्योंकि AI का वक़्त आ रहा है।

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