आज़ादी के बाद से आज तक ‘पाकिस्तान’ और ‘गाय’ भारतीय राजनीति मे नरम और गरम हिन्दुत्वा का केन्द्र रहा और उसी के आड़ मे सरकार चलती और बनती रही। सूनते है पंडित नेहरू के समय मे भी पूरे भारत मे गौ कशी पर प्रतिबन्ध लागाने हेतु साधू संतो ने आंदोलन किया और संसद का घेराव किया मगर नेहरू ने लाठी चार्ज करवा कर संकेत दे दिया के गरम हिन्दुत्वा भारत निर्माण के लिए घातक है।

मगर एक कंगाल पाकिस्तान के आड़ मे राजनीति भारत करता रहा जिस मे शास्त्री जी की जान भी गई और इन्दिरा गॉधी ने पाकिस्तान तोड़ दिया और गरम हिन्दुत्वा मायूस होकर जयप्रकाश के साया मे आंदोलन छेड़ा और उस मे समाजवादी लोग भी जा मिले और फिर इन्दिरा के क़त्ल के बाद गरम दल भारत की राजनीति पर हावी हो गया।
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राजीव गॉधी भी गरम हिन्दुत्वा के सहयोग से 411 सीट संसद मे ले आये जबकी उन की मॉं बंगलादेश के बाद 352 सीट ही लाई थी।राजीव गॉंधी, नरसिमहा राव या बाजपेयी भी पाकिस्तान को ही सुपर पावर (super power) मान कर राजनीति करते रहे और इसी बीच चीन, मलेशिया, तुर्की, मिडिल ईस्ट तरक्की करता रहा। डा० मनमोहन सिंह का दस साल गरम हिन्दुत्वा और 2008 का रिसेशन के ‘शिकंजाह’ मे ही गुजर गया।
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2013 के बाद तो “सुपर पावर पाकिस्तान और गाय” ही राजनीति और भारत का केन्द्र रहा। मगर चीन हम से हर क्षेत्र मे पॉंच गुणा और सैन्य शक्ति मे 11 गुणा आगे हो गया।अब तो चीन-अमेरिका के ट्रेड वार से दुनिया को सैंगशन्स और टैरिफ़ मे ही 7-8 साल रहना है।अंततोगत्वा, अब तो भारत को अपनी 30 साल की बेवक़ूफ़ी और धार्मिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक तथा विदेशनीति की बरबादी को 20-30 साल तक ढोना होगा।

दुनिया की हालत अगले दस साल (2028) तक खराब रहने का अनुमान है. IMF का कहना है अगला डेढ़ साल बहुत खराब है, 90% देश रिशेसन मे है।

“न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दोस्ताँ वालो
तुम्हारी दास्ताँ तक भी न होगी दास्तानों में”