Post of 15 Nov 2023
हिनदुस्तान के मुसलमानो ने फलस्तीन के सपोर्ट पर 1 million का मार्च तो छोड़ये एक लाख का भी जलूस भारत के किसी शहर मे नहीं निकाला मगर मिडिल ईस्ट के देश को गाली बक रहे हैं कि वह फलस्तीन के लिए चुप हैं।
*हम भारतीय मुस्लिम आज़ादी के बाद भारतीय मीडिया (हिन्दी-अंग्रेज़ी) पढ़ कर अपने दिल को अंधा बना लिया है जैसे भारतीय बहुसंख्यक समाज ने ग़लत इतिहास गढ़ कर और नारा लगा कर नरसिम्हा राव द्वारा भारत का LOC को LAC बना कर भारत का नक़्शा बदल दिया। आज आज़ादी के 75 साल बाद भारतीय नेता 80 करोड़ को पाँच किलो अनाज बाँट कर भारत की ग़रीबी को दुनिया को बता रहे हैं। हम भारतीय मुस्लिम चाहते हैं कि भारत की तरह मिडिल ईस्ट या तुर्की जो डेढ़ सौ साल (1878) बाद फिर अपने पैर पर खड़ा हुआ है वह पश्चिमी ताक़तों के 1948 में बिछाये जाल में फँस कर फिर 100-200 साल के लिए गुमनामी में चला जाये।
*भारतीय मुस्लिम सोवियत संघ मे स्टैलिन का मुस्लिम पर ज़ुल्म को नहीं पढ़ा कि वह Atom Bomb का टेस्ट कज़ाखस्तान मे open में करता था जहॉ आज भी बच्चे deformed पैदा होते हैं मगर भारतीय मीडिया पढ़ कर यही मुस्लिम Bolsheviks का नारा लगा कर कम्युनिस्ट हो गया और भारतीय राजनीति में अपना झूठा मुक़ाम बना लिया।
*यूरोप जो मानवाधिकार का झंडा उठाए फिरता है वहॉ बोस्निया मे 1994 में लाखों औरतों का रेप और बच्चे का क़तल आम हुआ तब कोई भारतीय मुस्लिम नहीं रोया न जलूस निकाला।बोस्निया की औरतों की शादी इसी सऊदी अरब ने सऊदी और दूसरे अरबों से कराई और एक मकान सऊदी में दिया और एक बोस्निया मे बना कर दिया।
*सोवियत संघ के खिलाफ अफ़ग़ानिस्तान मे इसी मिडिल ईस्ट के पैसा और लीडर (बिन लादीन) ने तोड़ा और आज तक सेंट्रल एशिया के देशों मे पूरानी मस्जिदों और आसारे क़दीमा को पुनर्जीवित कर रहा है।हम अपने आँख से 2019 में समरकंद में इमाम बुख़ारी की मज़ार को देख कर आये हैं जिस को सोवियत संघ ने Fertilizer Storage Godown बना रखा था।
यह फलस्तीन मुस्लिम या सऊदी अरब का संकट नहीं है यह जिस ने इसराइल बनाया है उनलोगो का प्रोब्लम है।जब तक रूस यूक्रेन में नहीं आया था तब तक लगता था कि पश्चिमी ताक़तें और अमेरिका इसराइल बना कर मुस्लिमनों की हमेशा के लिए घेराबंदी कर दिया मगर यह किसी को समझ में नहीं आ रहा है कि सऊदी अरब ने रूस को OPEC का सदस्य बना कर यूक्रेन में झोंक दिया।
द्वितीय विश्वयुद्ध (WWII) के 75 साल बाद बदली दुनिया मे “इसराइल-फलस्तीन” यूरोप और अमेरिका का प्रोब्लम है, मुसलमानों का नही, क्योंकि अब दुनिया Unipolar ताक़तों के हाथ में नहीं है दुनिया Multipolar ताक़तों के हाथ मे आ गई है।
#नोट: हम यहॉ भारतीय मुस्लिम को कहें गे मेहरबानी कर के इस्लाम पर मुस्तनद किताब पढ़ें और अपना इतिहास पढ़ें।भारतीय मीडिया या उर्दू नाम वालों का विडियो देख कर कथित “बुद्धिजीवी” नहीं बनें।दूसरों को बुरा कहना बंद करें, फलस्तीन के लिए नेमाज़ का एहतमाम करें और इजतमाई दुआ करें।
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Some comments on the Post
Mohammed Seemab Zaman हम इस पोस्ट को बहुत छोटा कर लिखा है। हम बहुत दिन से इस को लिखने को सोंच रहे थे मगर दो दिन पहले लंदन मे Pro- Palestine 1 million Rally और पेरिस मे anti-semitism का लाखों का जलूस जब निकल गया और इंग्लैंड मे सूनाक की बेबसी देखा तो सोंचा अब Proof मिल गया है और हम ने आज यह पोस्ट कर दिया। अभी तो बहुत कुछ होना बाक़ी है जो हिन्दुस्तान-पाकिस्तान-बांग्लादेश के लोग देखें गें।
- Zeenat Khan, Mohammed Seemab Zaman सर कल का आपका कमेंट इजराइल अमेरिका यूरोप की प्रॉब्लम है मुस्लिम मुल्क की नहीं.. उसपे आज लोग काफ़ी बवाल कर रहे और हमें टैग कर कर के सवाल पूछ रहे..जबकि एकदम सामने की बात है जो उनके समझ नहीं आरही बर्बाद होती economy के बीच वह कब तक इजराइल को billions डॉलर की ऐड देते रहेंगेअब उनकी ही आवाम आवाज़ उठा रही उसको कैसे ख़ामोश करेंगे
- Mohammed Seemab Zaman, Zeenat Khan साहिबा, कल रात में हम ने ख़ास कर यह लिखा था क्योंकि हम ने सोंच रखा था कि आज यह पोस्ट करें गें।इस मे हम ने इमाम बुख़ारी के मज़ार और मस्जिद की मिसाल दिया है। इस मे तो हम ने पूरे उज़बेकिस्तान की कहानी नहीं लिखी जो देख कर आये हैं।
Asif Khan बिल्कुल सच लिखा आपने।
- Mohammed Seemab Zaman, Asif Khan साहेब, बहुत कम लिखा है।
- Asif Khan, Mohammed Seemab Zaman सर, यहां लोग वाकई में अंधे और बहरे हो चुके हैं। मीडिया ने बना दिया।हर जगह बड़ी जल्दी है जैसे सुपर पावर यही हैं। हिकमत तो बिल्कुल भूल ही गए हैं।
Firoz Siddiki आपका बहुत-बहुत शुक्रिया सर आपने यह पोस्ट किया इस पोस्ट को पढ़ने के बाद काफी कुछ समझ में आ गया. मैने कल जो कमेंट किया था आज मुझे उसका जवाब मिल गया.जजाक अल्लाह खैर
- Mohammed Seemab Zaman, Firoz Siddiki साहेब कल ही हम ने सोंच लिया था कि आज यह पोस्ट करे गें, इस वजह कर कल रात आप के पोस्ट पर कौमेंट लिख कर सोये थे।
Abdul Raheem AMU में मार्च निकालने पर कार्रवाई हो गई, बाक़ी जगह भी डर की वजह से नहीं निकाल रहे हैं. लंदन, पेरिस में rule of law है; वहाँ घर, दुकान नहीं तोड़े जायँगे. यहाँ के उर्दू नाम वाले भी concerned हैं. तभी (ग़ैर-मुनासिब ही सही) अ़रब, Türkiye से सवाल कर रहे हैं. किसी पर लानत मलामत ना की जाये, ना अ़रब, Turkiye पर, ना हिंदी मुसलमानों पर. कल को सही पढ़कर, सीखकर contribution देंगे.
- Mohammed Seemab Zaman, Abdul Raheem साहेब, क्या फलस्तीन के लिए खसूसी नेमाज़ और इजतमाई दुआ में भी घर और दुकान तोड़ दिये जाये गें? एक महीना से ज़्यादा हो गया आप हम को यह बताइये कितनी मस्जिद में रोज़ फलस्तीन के लिए दुआ हुई या आज तक हो रही है?दुनिया में हर कोई concerned है,लंदन के जलूस में लोग अमेरिका से हवाई जहाज़ से आये थे।इसी वजह कर आख़िर में नोट में लिखा है “नेमाज़ का एहतमाम किजये और इजतमाई दुआ किजये” जलूस नहीं निकालये।
Kamil Khan सर अभी बहुत कुछ पाकिस्तान भारत और बंगला देश में होना बाकी है, ये बात भारतीय मुस्लिम के लिए इस पोस्ट मे सब मजबूत बात है, क्योंकि हम लोग वो बदलाव के ज़माने से गुज़र रहे हैं जो कई सदियों बाद हो रहा है, हम को एक जुट और शिक्षित होना होगा, ये जितने भी यू ट्यूबर हैं इनकी बातों में नहीं आना है ये सब जज़्बती बातें कर के अपनी दुकान चला रहे हैं और हम को गुमराह कर के खुद पैसा कमा रहे हैं.
Mohammad Amir सर, ये सऊदी के शेख बहुत पैसे वाले होते है अपने हर तरह के शौक भी पूरे करते है, जैसा कि आपने अपनी पोस्ट में बताया कि ये सौदियों ने बोसिनिया की औरतों से शादी की एक घर सऊदी में दिया एक घर बोसिनिया में दिया, ऐसा ये और मुल्कों की औरतों के साथ भी करते है और उन मुल्कों की औरतों को फायदा भी मिलता है लेकिन ये सऊदी लोग कभी भारतीय मुस्लिम औरतों के साथ अपने घर क्यों नही बसाते उन्हे क्यों एक घर सऊदी में एक घर भारत में बना कर देते
- Mohammed Seemab Zaman, Mohammad Amir साहेब, 1980-90 के दशक में हैदराबाद के मुस्लिम औरतों के साथ किया है। हम सऊदी में ऐसी औरतों से मिल चुके है।कितना हम से लिखवाइये गा?
Mir Talib Ali लाजवाब पोस्ट जिसको समझने के लिए गहरी समझ चाहिए।
- Mohammed Seemab Zaman, Mir Talib Ali साहेब, बहुत छोटा पोस्ट किया है, हो सकता है अभी भी लोग समझ नहीं पाये।कोई अरब मुल्क अपने को इस में उलझा कर अपने को बर्बाद नहीं करें गा और अपना #नक्शा नही बदले गा, न जोडर्न, न मिस्र और न लेबनान।मिडिल ईस्ट 50 साल के जद्दोजहद के बाद यहॉ पहुँचा है, अभी 5-10 साल और लगे गा जिस ने यह प्रोब्लम बनाया है वह सब लोग इस से अपने को अलग कर लें गें।
Talib Mewati Sir आपकी पोस्ट को पढ़कर शुकून मिलता है, बड़ी गहराई से पढ़ता हूं मैं, फिर दुनियां पर नज़र डालता हूं तो दुनियां उसी तरफ़ जा रही है, बहुत बहुत shukriya sir
- Mohammed Seemab Zaman, Talib Mewati साहेब शुक्रिया। पोस्ट को पढ कर उस को बेस बना कर फिर आगे पढिये, मगर in between the lines चीज़ों के पढ कर याद रखिये।दो दिन से जो खबर ग़ज़ा हासपिटल पर देख रहे हैं वह सब झूठ है। वहॉ कोई प्रतिरोधी ताक़तों नही मिले न टनल मिला। यह सब खबर और विडियो झूठ है। दुआ किजये अल्लाह रहम करे और अमन व अमान हो।
Bhanu Pratap Singh Itna Sach koi bharteeya musalman likh payega, ye nahi socha tha, doordarshita se bhara Hua lekh
- Mohammed Seemab Zaman, Bhanu Pratap Singh साहेब, भारतीय मुस्लिम की सोंच पर हिन्दी अख़बार और टीवी को थोप दिया गया है। Media का दुनिया में यही रोल होता है कि लोगों को अपनी सोंच पर ढाल दिया जाये ताकि वह असल इतिहास और भूगोल भूल जाये।किसी बहुसंख्यक को देखा है कि आज तक यह लिखते या बोलते की मंदिर के नाम पर नरसिम्हा राव या संघ ने जो ज़हर समाज में घोला गया वह भारत का नक़्शा बदल दिया? LOC को LAC बना दिया फिर अभी चीन विस्तारवादी हो गया। मंदिर तो बन गया मगर नक़्शा बदल गया।मुस्लिम दुनिया मे अभी जो नेता हैं, वह अपनी बर्बादी देखे हुए हैं, इस वजह कर cautious हैं और जाल में फँसना नहीं चाहते हैं।
सौबान रजा इनको करना कुछ नहीं है बस जो बेचारे अपने संसाधनों से आगे निकल रहे हैं उनकी टांगें डगमगाने के लिए ऊल-जलूल बातें लिख करके अपनी गंदी मानसिकता जाहिर कर रहे हैं। आज उसी का परिणाम है कि विश्व में सबसे ज्यादा प्रताड़ना हम भारतीय मुस्लिमों को ही झेलना पड़ रहा है
- Mohammed Seemab Zaman, सौबान रजा साहेब, हिन्दी मीडिया पढ़ कर बना ज़हन है, जो हुआ वह सही हुआ, मगर अब भविष्य बहुत अच्छा है।
Syed Asman Mustafa Kazmi बर्रे सग़ीर के मुसलमान अव्वल दर्जे के करप्ट हैं दिमाग़ी पसमांदगी की हालत ये है कि टीवी पर बैठकर कुछ प्रभावशाली स्पीकरों ने क़ुरआन हदीस में अपनी कहानियां मिलाकर जो भी कथा सुना दी उसी को हक़ीकत समझ लेते हैं खुद तहक़ीक़ करने की ज़हमत तक नहीं करते ,ये आज अरब और मिडिल ईस्ट को गालियां दे रहे हैं लेकिन अपने मुसलमान पड़ोसी के रास्ते को तंग करने में ज़रा भी नहीं झिझकते हैं तो इनका क्या है ये बस सोशल मीडिया पर मज़े ले रहे हैं.
Adil Khurshid कम्युनिस्ट वाली बात से पूरी तरह सहमत हूं , लेकिन इज्राहेल मुस्लिम दुनिया की प्रॉब्लम नहीं है इस बार से सहमत नहीं।
- Kamil Khan, Adil Khurshid इजराइल को पश्चिम बचा रहा है तो इजराइल पश्चिम की ही परेशानी हुई, पश्चिम कब तक अपना पैसा इजराइल पर लुटाता रहेगा, जबकि पश्चिम ईसाई है, रही बात मुस्लिम की तो जैसे ही पश्चिम ज़रा सा पीछे दबेगा इजराइल मुस्लिम के रहम पर होगा, जब ये लोग हमास से नहीं लड़ पा रहे हैं तो किसी देश से कैसे लड़ पाएंगे.
Arshad Husain हर बात पर इत्तेफाक रखता दिमाग को बंद करती है. और मैं आपकी इस बात पर इत्तेफाक नहीं रखता कि ये प्रॉब्लम सिर्फ उन्हीं लोगों की. मैं तो इजरायल को मिडल ईस्ट में एक ऐसी छावनी के तौर पर देखता हूं. जहां से अदृश्य आदेश पारित किए जाते हैं.
Baasit ALi Hasan बेहतरीन जनाब. कुछ ऐसी किसी पोस्ट का इंतजार था.शायद अब कुछ हमारे जज्बाती मुस्लिम भाईयों को कुछ सब्र आ जायें. जिस क़ौम को शुक्र और सब्र करने पर सबसे ज्यादा अहमियत दी गई वो क़ौम इतनी जज्बाती.
Faysal Khan हमारे पास अपने लिए सारे जवाज़ होते हैं सबसे ज्यादा आबादी मे हम हैं सवाल और ज़िम्मेदार दूसरों को ठहराते हैं।
Usman Khan Raja बेबस जमात।
Parmod Pahwa यूरोप में फिलिस्तीनी झंडे पर पाबंदी के बाद लोगो ने तरबूज़ की फांक के पोस्टर लगाने शुरु कर दिये और लिखने लगे कि ये फिलिस्तीन का झंडा नहीं है, तरबूज़ है। अभी हमारे दिमाग इतने खुले नहीं हैं.
Ashwani Suhag आप ने कुछ रोज़ पहले अपनी एक पोस्ट में लिखा था कि मिडल ईस्ट ब्लिंकिन से डरा/दबा नहीं जब फ़िलिस्तीन का मामला मिडल ईस्ट का है ही नहीं तो ब्लिंकिन इसके पास क्या करने पहुँचा था ? और जब इनका इस लड़ाई से कोई मतलब नहीं है तो ब्लिंकिन इनको डराने के लिये क्यों गया ? और ये डरे भी नहीं तो ये किस चीज़ को लेके ब्लिंकिन से नहीं डरे ?