25 June 2022 Post

“मै असल का ख़ास सोमनाती
आबा मेरे लाती व मनाती
तु सैयद हाशमी की औलाद
मेरे कफ़े ख़ाक ब्राह्मण ज़ाद” (इक़बाल)

कल मेरे “14 BRICS Summit & Vande Matram” के पोस्ट पर Mozaffar Haque साहेब ने पंडित जवाहर लाल नेहरू की किताब “डिस्कव्री ऑफ इंडिया” को कोट करते हुऐ लिखा कि “1938 की बात है पंडित नेहरू लाहौर गये थे तो इक़बाल से मिलने उनके घर “जावेद मंज़िल “ भी गए।बहुत सारी बातें हुईं, बात चीत के दौरान पंडित जी ने देश में हिंदु -मुस्लिम तनाव का ज़िक्र किया, तो इक़बाल ने पंडित जी से कहा था कि West Asia असल में Muslim Asia है और आने वाले समय की global politics में इस ख़ित्ते की अहमियत बहुत बढ़ जाएगी, लिहाज़ा अगर subcontinent में हिंदुओं ने मुसलमानों से अच्छा व्यवहार नहीं किया तो West Asia के मुस्लिम देशों के साथ देश के relations ख़राब हो जाएँगे…..”

यहॉ हम लोगो को बताते चले पंडित जी और इक़बाल दोनो काशमीरी और दोनो ब्राह्मण ज़ाद थे।इक़बाल का गोत्र सपरू था।मगर इक़बाल के जद्दे आले ने एक सैयद बुज़ुर्ग के हाथों इस्लाम क़बूल किया था और बाद मे वह खानदान सियालकोट चला गया।

हम अकसर लिखते हैं कि बहुसंख्यक समाज के ख़ानदानी पढे लिखे बूद्धिजिवी कभी मुस्लिम के घर जा कर शाम की चाय ही पी लिया करो ताकि दुनिया समझ मे आ जाये और विश्वगुरू बन सकें क्योकि वह लोग उर्दु, फारसी, अरबी, अंग्रेज़ी, हिन्दी, चाईनिज़ वगैरह हर ज़बान के किताबों का इल्म रखते हैं।बहुसंख्यक समाज खुद ही लिखते हैं और खुद ही पढते हैं और दूसरो को कहते हैं यही सत्य है और यही सही इतिहास है।

1922 मे छ: सौ साल पूराना औटोमन एम्पायर ख़त्म हुआ, 1923 मे संघ बना और 1935 मे बिहार के भागलपुर मे हिन्दु-मुस्लिम दंगा बडे पैमाने पर कराया गया।इक़बाल या जिन्नाह (जो गॉधी जी के गुजराती हिन्दु से मुस्लिम हुऐ) जानते थे, मोग़ल (1526-1857) और औटोमन एम्पायर (1300-1922) ख़त्म हो गया है मगर निकट भविष्य मे विश्व राजनीति मे फिर “West Asia/Middle East का वक्त आये गा और दुनिया फिर इसी एशिया और अफ्रिका के इर्द-गिर्द घूमे गी।

#नोट: बहुसंख्यक समाज ने यह नही सोंचा होगा, इक़बाल की 84 साल पहले कही बात आज नूपुर शर्मा की एक बदतमीज़ी सच कर दे गी और भारत की अहमियत इस खित्ते मे कम हो जाये गी. (Likes 429 others, 35 comments, 63 shares)
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Some comments on the Post

Mohammed Seemab Zaman पता नहीं ओबामा ने अरब स्प्रिंग करा कर कौन सी फिल्म हमारे बहुसंख्यक समाज के बुद्घिजीवियो को देखा दी थी! जो वह एशिया का नक्शा भूल कर अमेरिका और यूरोप की तुष्टिकरण करने लगे। कोई हम को बताये, आठ साल मे क्या मिला वेस्ट का तुष्टिकरण करने से?
आज तो ओबामा के उप-राष्ट्रपति रहे राष्ट्रपति बाईडेन फिर वही मिडिल ईस्ट का तुष्टिकरण करने 15-16 जुलाई को रेयाद जा रहे हैं। इस मिटिंग के बाद हम लोग एशिया या वेस्ट मे कहॉ खडे रहें गें यह किसी बहुसंख्यक के बुद्धिजीवी या पत्रकार या नेता ने सोंचा है?

  • Sushila Sushila, Mohammed Seemab Zaman जी आप बहुसंख्यक समाज़ की जगह संघ समाज़ लिखे तो बड़ी कृपा होगी।क्यूंकि बहु संख्यक समाज लिखने से सभी लोग उसमें शामिल हो जाते हैं।जबकि कुछ लोगों की सोच ही संकीर्ण है।फिर मेरे जैसे लोगों के जहन में एक सोच आती है कि हम कुछ भी कर लें ये हमे अपने मे से एक नही मानेगे।हम से नफरत ही करेंगे।
  • Mohammed Seemab Zaman, Sushila Sushila साहेबा, सही कहा कुछ लोगो की सोंच ही संकीर्ण है, हम भी आप की बात से सहमत हैं। मगर सारा बहुसंख्यक समाज आज 8-9 साल से चुप है। गौर नही किया यशवंत सिन्हा सारे विपक्ष के राष्ट्रपति उमीदवार है। क्या 130 करोड मे यशवंत सिन्हा ही एक वाहिद बूद्धिजीवी रह गये हैं?

Islam Hussain बढ़िया पोस्ट, 7 मई वाली पोस्ट में भी अपने इक़बाल के वाकये का ज़िक्र किया था।

Salimuddin Ansari अभी कल की ख़बर है मलेशिया में जा कर काम करने वाले भारतीय मूल के नेपाली नागरिकों ने निपूर शर्मा के सपोर्ट में विडियो बनाई और वह वायरल हो गई जिसकी वजह से चार अफ़राद गिरफ़्तार हुए। इन के इलावा और लोग भी इस विडियो में दिखाई दे रहे थे। जिन की वहां की पुलिस तलाश कर रही है।
इन लोगों ने लाइव आकर माफ़ी भी मांगी लेकिन तीर कमान से निकल चुका था। अब उन लोगों पर सेडिशन का चार्ज लग रहा है।

Kamil Khan मुझे तो आज तक यही नहीं समझ आया के पाकिस्तान जैसा महत्वपूर्ण जमीन का टुकड़ा बहुसंख्यक समाज देश से अलग क्यों कर दिया , शायद मराठी बुद्धिजीवियों ने सोचा होगा भविष्य में ज़मीन से व्यापार का कोई महत्व नहीं रहेगा , व्यापार हवा और समंदर से होगा , पर ये लोग धोखा खा गए

  • Md Iqbal, Kamil Khan अलग करना या जोड़ना इनके बस में नही था,जो किया सब अंग्रेज़ों ने किया,यूरोपियन ने मिडिल ईस्ट को भी छोटे देशों बांट दिया ताकि यूरोप के लिए भविष्य में खतरा न बने, फिर इंडिया जैसे बड़े देश के मुसलमानों को कैसे छोड़ देते,सारा बंटवारा अंग्रेज़ों का किया हुआ है इसी में सवर्ण हिन्दुओ की लॉटरी लग गयी, किस्मत से राज पाट मिल गया,

Anish Akhtar शानदार…इकबाल की नज़र इतना दूर तक सच होते देख लेती थी बहुत खूब.

Parmod Pahwa हम इक़बाल साहब की बेटी साहिबा से मिले थे जो लाहौर मे रहती है. उन्होंने बचपन में नेहरू जी को देखा था जब वो उनके अब्बा से मिलने आए थे. इक़बाल कहते थे कि जवाहर दरवेश है , इसके सामने ऊँचाई पर नही बैठना चाहिए.

  • Mohammed Seemab Zaman, Parmod Pahwa साहेब, जवाहर लाल का ही बनाया भारत ही आज तक है। सब उन का ही बनाया है जिस को लोग जोड-तोड कर विश्वगुरू का सपना देखाते रहते हैं। बहुत अफसोस होता है, हम लोग जवाहर लाल को छोड कर ओबामा के चक्कर मे पड गये और दो पुश्त बरबाद कर दिया।

Shalini Rai Rajput रियाद और मास्को का साथ आना समय की मांग है। संभवतः यही होगा भी।

  • Mohammed Seemab Zaman रेयाद मौस्को के क़रीब आये गा। पुटिन और लावरोव यह जानते हैं कि रेयाद से ज्यादा मौस्को को इस की जरूरत है। देखा नही रही हैं, दो दिन मे इंग्लैंड और इस्राईल के विदेशमंत्री तुर्किया पहुँच गये। बहुत फ़ास्ट डेवलौपमेंट हो रहा है। यह सब भविष्य मे चीन को रोकने की तैयारी हो रही है मगर यह सफल नही होंगे क्योकि अब फिर एशिया-अफ्रिका का युग आना है।

एम एम हयात आला पोस्ट ❤️

  • Mohammed Seemab Zaman, Mozaffar साहेब के कौमेंट के बाद, कल से सोंच रहे थे इस को लिखने का। हम लोगो को लिखने का मौका कहॉ मिलता था, FB ने तो यह मौक़ा दिया है लोगो को सच बता सकें।
  • एम एम हयात, Mohammed Seemab Zaman जी सर सोशल मीडिया आने से कुछ बेहतर हुआ हो या ना हुआ हो लेकिन मुसलमानों को बहुत फायदा हुआ है आप लोगों ने सही तथ्यों के साथ बात को लोगों तक पहुंचाने का काम किया है.
  • Mohammed Seemab Zaman, एम एम हयात साहेब, सोशल मीडिया से भारतीय मस्लिम लोगो को बहुत भायदा हुआ है। पहले लोग हिन्दी अखबार पढ कर उसी को सच समझते थे और उर्दु सहाफ़त भी उसी क़िस्म की नैरेटिव के साथ जिंदा रही। मगर एक नोकसान नये जेनरेशन को यह हुआ कि वह Video देख कर किताब पढने का शौक खत्म कर दिया।भारतीय मीडिया (उर्दु/हिन्दी) ने कभी अरब या मीडिल ईस्ट के बारे मे सच नही लिखा, नतीजा हुआ पढा लिखा भारतीय भी गुमराह होता रहा। सोशल मीडिया और अलजजिरा/ ट्रकिश टीवी वगैरह ने दुनिया मे मीडिया के Western narrative को ख़त्म कर दिया।

Azaz Siddiqui बेहतरीन जानकारी sir.

Nasir Siddiqui इकबाल दूर अंदेश इंसान थे, जिनकी तेज जहनियत का लोहा आज तक पूरी दुनिया मानती है।
Farhanul Haque
Bahut achha likha hai
آنکھ جو کچھ دیکھتی ہے لب پہ آ سکتا نہی
ںمحو حیرت ہوں کہ دنیا کیا سے کیا ہو جائے گی

Kalim Khan, Mohammed Seemab Zaman सर सो-मनात पर आपकी पोस्ट का इंतजार है