Post of 9th June 2022

साठ साल से संघ राष्ट्रवाद पर निबंध (dissertation) जुलूस-जलसा कर जीडीपी जला कर और ग़लत इतिहास गढ़ कर लिखता रहा और चीन विश्वशक्ति हो गया।

संघ और उन की पार्टी ने 2011 से अमेरिका के गाईड बराक ओबामा के पर्यवेक्षण (Supervision) मे नया थीसिस लिखना शुरू किया, जिस मे हिन्दु-मुसलिम, राम मंदिर, तीन तिलाक़, एनआरसी, सीएए, एनपीआर, घुसपैठिया, 370, मोग़ल, ज्ञयानवापी, कृष्ण जन्मभूमि, सुली डील, हेजाब, बुलडोज़र आदी विभिन्न चैपटर लिखे जाते रहे और अंतिम चैपटर नूपुर शर्मा ने लिखा तो सौ साल बाद विदेश से पीएचडी (PhD) की उपाधि मिल गई।

जब पीएचडी एवार्ड हो गया तो सुफेद बाल वाले बुद्धिजीवि, पत्रकार तथा फरौफेसर लोग संध तथा हमारे आदरणीय विश्व प्रख्यात दार्शनिक डाक्टर साहेब का उपहास करने लगे।यही लोग आज बारह साल से मूँह मे पेठा लिए बैठा था या टीवी पर ताजमहल को शिव मंदिर बताते थे।

बूद्धिजीवियों और पत्रकारों या संघ के प्रचारकों को यह पता था कि भारत अपनी अर्थव्यवस्था, फरटीलाईजर तथा इंधन के लिए 80% तेल तथा 90% LNG विदेश से आयात करता है।मगर यह बुद्धिजीवी गौरवमयिए थे कि हम तो अब अमेरिका के बराक और ट्रेम्प के #बग़लबच्चा हो गये हैं, अब तो हम विश्वगुरू हो जाऐं गें।

भारत मे सब लोग बाहर से आये, दक्षिण या उत्तर भारत के हों या ग़ज़नी हों या तैमूर, मोगल या अंग्रेज और सब अपना धर्म ले कर आये और सब मिल जुलकर रहे। मगर तीस साल से कुछ लोग अपने को मूल निवासी कह कर इतिहास बदलने लगे और देश के सामाजिक ताना-बाना तथा अर्थव्यवस्था को बरबाद कर दिया।

अब देश के राजनीतिज्ञ या बूद्धिजिवी जिन का दिल अंधा हो गया था उन का संघ का उपहास करने या रोने से कुछ बदलने वाला नही है।आँसू बचा कर रखें, #बग़लबच्चा बनने से लाभ नही मिलने वाला है, डीलीट (D Litt) की डिग्री मिलनी बाक़ी है।

#नोट: निचे तस्वीर देखें, पिछले हफ्ता मिस्र मे तीन हज़ार साल पूरानी सैकडो बरोंज़ (Bronze) धातु की मूर्ती मिली है, जिस मे एक मूर्ती कमंडल लिए भगवान की भी मिली है।
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Some comments on the Post

Shehaab Zafer कमंडल तो कुछ जाना पहचाना लगता है.

  • Mohammed Seemab Zaman आप भी वहीं से आये हैं क्या?
  • Shehaab Zafer लगता तो यही है सर और आप भी बताते रहे हैं मनुष्य देवी देवता मंदिर कमंडल सब वहां मिलता हैnostalgic feelingहजारों वर्षों पुराने ऋषियों मुनियों की तस्वीरों में और कथाओं में यही कमंडल बचपन से देखा सुना जाना .

Kamil Khan सर आप ने तो संधियों के पूरे पाप ही गिनवा डाले , इतने पाप तो संधियों को खुद भी याद नहीं होंगे , इसका साफ मतलब है की आप इनकी एक एक करगुजारी गिन रहे थे

  • Mohammed Seemab Zaman, Kamil Khan साहेब, याद आता गया और लिखते गये। जानते हैं शाहीन बॉग़ से यह बात जग ज़ाहिर हुआ, उस के बाद पूरी दुनिया की नज़र संघ के लोगो पर टीक गई। उस का अन्त पिछले हफ्ता हो गया।

Neeraj Singh बौद्धिकता के नाम पर संघ ने जो कचरा समाज पिछले 30 में फैलाया है वह वही साफ करेंगे यह एक सुखद एहसास है। बाकी इन सालो में देश की कितनी छवि खराब हुई है अर्थव्यवस्था को कितना नुकसान हुआ है, धार्मिक उन्माद कितनी बगुनाह इंसानी जिंदगिया लील गया उसका हिसाब तो नही हो पायेगा, लेकिन यह दौर लोकतंत्र को बहुत महत्वपूर्ण सबक सिखा जायेगा।