FB Post of 22-10-2021

दिवाली के शुभ अवसर पर एक जुटता देखाते हुऐ कृप्या मिस्री सभ्यता का लालटेन और मेड इन चाईना “ऊँ” लिखा लालटेन इस्तमाल नही करें।

भारतीय समाज देशभक्ती और राषट्र-प्रेम देखायें और जिस #दिया मे भारतीय समाज का ख़ून पसीना लगा है उसी दिप को जला कर हर्ष और उल्हास से हम सब लोग राम जी की दिवाली मना कर राम-राज कायम करें।

ध्यान दिजये गा यह लालटेन भी हजारो वर्ष पुरानी मिस्री सभ्यता का प्रतीक है।सब का साथ, सब के विकास का यह मतलब नही है कि हम #दिप जला कर दिवाली मनाने की हम भारतीय संस्कृति ख़त्म कर दें और अब मिस्री सभ्यता और Made in China Lantern से दिवाली मनायें या देश के प्राचीन क़ुतुब मिनार को चाईनिज़ झालर से रौशन करें।

आजादी के अमरित महोत्सव के समय देश बहुत कठिन दौर से गुजर रहा है, अर्थव्यवस्था खराब है, बैंक डूब गया, माल्या-निरव मोदी भाग गया, आसमान मे उड़ने वाला भारतीय ब्रांड एयर इंडिया टाटा को दान दे दिया गया, मुकेश अंबानी के रिलाएंस जो मुस्लिम को नौकरी नही देती थी उस के बोर्ड मे अरामको का सऊदी अरब का नागरिक बोर्ड का सद्स्य बन गया।नक़ली राष्ट्रवाद के नारा से गुमराह नही होईये।

अब समय आ गया है बिना धर्म और जाति भेद भाव के हम सब लोग एक जुट होकर भारत वर्ष को विश्वगुरू बनाने मे लग जायें और चीन का मोकाबला करें।जय हिन्द, जय भारत।

https://www.globaltimes.cn/page/202110/1236746.shtml?fbclid=IwAR2ErjjVKDbDKpFYB8eM9TswQrVObo8_CkI0jvOqYSn4xgvBqTO3Ky0-8cA
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Some comments on Post

Ashutosh Chandra Thakur सर लालटेन जो गांव में देखने को मिलता है कही वो तो नही । हमारे घर पे आज भी दिवाली में कुम्हार मिट्टी से बने दिए पहुंचा देते हैं और छठ के लिए मिट्टी के ही सारे बर्तन । लेकिन अब सब बदल गया है , शहर में ऐसे बर्तन तो दिखते ही नहीं है सब फैंसी बर्तन में चेंज हो गया है । लेकिन वो मिट्टी के बर्तन , क्या खूब दिखते हैं दिवाली और छठ पूजा में । और हमने अपने घर में आज तक यानी वो चाइनीज झालर वाले लाइट नहीं लगाए । दादाजी कहते हैं कि दिवाली छठ को कम से कम फैंसी मत बनाया जाए ये सब करके । पूरे छत पर बस मिट्टी के दिया और फाइबर वाली डब्बा या शीसा वाला जिसका इस्तेमाल दीपक के लिए होता है गांव में वही जलता है

  • Mohammed Seemab Zaman क्या जमाना था, हम लोग मिट्टी का दिया दिन मे पोंछ कर रखते थे और रूई को धूप मे सूखाया जाता था। फिर शाम मे दिया बना कर जलाते थे। छठ मे रोड साफ किया जाता था, फिर ठेकुआ/पकवान/गागर लोगो के यहॉ से आता था। मेरी दादी सब बच्चो को खेला देती थी।
  • Ashutosh Chandra Thakur गांव में वो सब अब भी मौजूद है सर । दिन में दिया पोंछ का शाम को जलाना । छठ में रोड साफ सफाई और दिवाली से पहले पूरा रेनोवेशन घर दरवाजे का । हमारी मम्मी और दादी पूरी रात जग के बनाती है अर्घ्य के सारे सामान । उस रात घर में मुश्किल से ही कोई सो पाता है । बिहार में ये कार्तिक मास का माहौल ही अलग होता है ।

Mozaffar Haque ज़बरदस्त पोस्ट … दीवाली का इसलामीकरण क्युँ कर रही है भाजपा, हिंदुत्व को इसका विरोध करना चाहिए .. यह लालटेन तो पूरे middle east में use होता है .. ख़ास कर रमज़ान में और यह ख़ास Egyptian design है …

  • Ansar Ahmad, Mozaffar Haque मैने सऊदिया में मिस्री की दुकान पर रमज़ान में लालटेन टंगा देखा है.
  • Mozaffar Haque, Ansar Ahmad साहब, यह सिर्फ़ मिस्री की ही दुकान पर नहीं बल्कि, रमज़ान में सारे hotels में, सारे restaurants में और सारे malls में hypermarkets में , हत्ता कि सड़कों की सजावट में भी दिखे गा … jeddah corniche पर जगह जगह सजाया गया है इस से …

Kamal Siddiqui बहुत ही अच्छी पोस्टदीवाली का पर्व दिया जलाकर ही मनाना चाहिए, लेकिन सर इस बार तो हमेशा से ज्यादा चाइना से बहुत सारे सामान आयात हुआ है फ़िर उसका क्या होगा 🤔

  • Mohammed Seemab Zaman इस पोस्ट को खूब शेयर किजये ताकि लोग Made in India का नारा लगा कर हम लोगो को गुमराह नही करे और चीन से $100 billion का मास्क, वेंटीलेटर, स्टील, भगवान की मूर्ती, पटेल की मूर्ती, या दिवाली का लैम्प नही खरिदे। please इस को खूब शेयर किजये।

Shalini Rai Rajput मिस्र से बहुत कुछ आया.

  • Mohammed Seemab Zaman वहॉ तो मंदिर और पिरामिड मे 7000 साल पूराना शिव जी और शिव लिंग भी मौजूद है।जरूरत है शोध करने की।

Skand Kumar Singh हिन्दी चीनी भाई भाई।मैं तो झूला झूलूँगी पिया के संग।थक हार कर चीन की फाइव जी हवा हवाई(हुवा हाई)टेक्निक भी लेनी है जो कि अमेरिका से पॉच गुना सस्ती है।अब एक अकेला मोदी बेचारे क्या क्या करें।उपर से चीन तैल रिजर्व कर रहा है,भारत से युद्ध के लिए।अमेरिका अगर लड़ा तो एशिया में ही लड़ेगा,चीन भी यूरोप में ना लड़ेगा।लड़ाई एशिया में भारत में होगी।झूला झूलने को लेकर।

Celebration of Ramadan in Egyptian by Lantern. It is 1400 years old tradition.