FB Post of 10th Nov. 2020

“सम्प्रदायिकता पर तेजस्वी का स्टैंड साफ और कड़ा नही है और यादव लोग हर पार्टी मे हैं, अभी सब से ज्यादा बीजेपी मे हैं।अगर यह जीता भी तो हम को शक है यह कामयाब होगा की नही”

यह मेरा कौमेंट था तेजस्वी पर क्योकि बिहार मे यादव लोग MY के समीकरण को इज़्ज़त नही दे रहे थे।यादव लोग यह गलत फहमी पाल लिये हैं कि “लालू-राब्री” हमेशा यादव क़ौम मे पैदा होते रहे गे। तेजस्वी rare opportunity भगवान ने यादव क़ौम को बिहार मे दिया है, जो यादव लोग ने खो दिया।

नये जेंरेशन के यादव लोग यह नही भूलये गा, राब्री देवी को चौका से उठा कर बिहार के गवर्नर किदवई साहेब ने मुख्यमंत्री बनाया था। किदवई साहेब ने लालू जी को बिहार बाबरी दंगा से बचाने का ईनाम दिया था वरना लालू जी (यादव) की कहानी वहॉ चारा घोटाला मे ख़त्म थी।

किसी भी क़ौम को सौ साल मे एक नेता मिलता है जो उस क़ौम को अगले सौ साल के लिये पहचान देला देता है। बिहार मे श्री बाबू भूमिहार को नेता मिले, के बी सहाय काय्सत को मिले, ब्राह्णण को ललित नारायण और जगन्नाथ मिश्र मिले, नाई को कर्पूरी ठाकूर और कुर्मी मे नितीश कुमार।

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अच्छा हुआ बीजेपी को ज्यादा सीट आया है, यह लोग कुछ नही कर पाये गें। आजादी के बाद भारत की आर्थिक और विदेशनीति सब से खराब हालत मे है। चीन और कोरोना ने भारत और दुनिया मे तबाही मचा दिया है। अब तो RBI भी बाजार से कर्ज उठाने मे असफल है। यह कहना अभी बहुत मोशकिल है अगला दो साल भारत का क्या होगा?