Post of 21 August 2022

“مانگا کریں گے اب سے دعا حجر یار کی

آخر تو دشمنی ہے اثر کو دعا کے ساتھ”

2019 मे प्लीज़ वन्स मोर… का नारा जब हम ने दिया तो बहुत से तथाकथित सेकुलर राष्ट्रभक्त हम से ख़फ़ा हो गये थे।

मगर आज वही वन्स मोर वाले नेता “सरकार बनाना आसान पर राष्ट्र निर्माण मुश्किल।स्वार्थ छोड़कर दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाने” की बात कह रहे हैं!

कुछ दिन पहले इसी क़िस्म की बात सौ साल के सोंच वाले हमारे आदरणीय मोहन जी ने कहा “संघ की विचारधारा में निहित है कि एक अकेला नेता इस देश के सामने सभी चुनौतियों का सामना नहीं कर सकता। वह ऐसा बिल्कुल भी नहीं कर सकता, #नेता कितना भी #बड़ा क्यों न हो।एक संगठन, एक पार्टी, एक नेता बदलाव नहीं ला सकते….”

यशवंत सिन्हा जो समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर के सचिव रहे थे, जिन का बेटा आज आठ साल से सरकार मे केन्द्रीय मंत्री हैं, ने हाल ही मे कहा अंतरआत्मा से वोट देकर उन को भारत का राष्ट्रपति बनायें।

याद है न झंडा वाले पोस्ट को हम ने शुरू ही यह लिख कर किया था कि “आरएसएस बहुसंखयक समाज की संस्था है, इस पर किसी अल्पसंख्यक को टिका टिपण्णी करने का कोई अधिकार नही है।मगर मेरा कहना है कि हिन्दुस्तान मे आरएसएस रहना चाहिये, मगर वैसा आरएसएस नही जो पिछले पचास साल (इंदिरा गॉधी के समय) से अपने ideology को ले कर ही confused है कि देश/बहुसंख्यक समाज को किस दिशा मे ले जायें” (कुछ लोगों ने यह पारा हटा कर मेरे पोस्ट को शेयर किया तो कुछ पत्रकार ने शेयर ही नही किया)

सरकार तो सौ साल के सोंच की बन गई और लोग खुश हैं कि एक हज़ार साल बाद पहली बार कोई अल्पसंख्यक सरकार मे मंत्री नही है।मगर अब वही सरकार रो रही है कि एक पार्टी बदलाव नही ला सकती और सरकार बनाना आसान पर राष्ट्र निर्माण मुश्किल।मेरा कहना है, अभी तो मंदिर नही बना और रोना शुरू हो गया, आँसू बचा कर रखो मंडल-कमंडल वालों…..

इस पोस्ट को हम मोमिन के एक शेर पर ख़त्म करते हैं,

“मॉगा करें गें अब से दुआ हिजर-ए-यार की

आखिर तो दुश्मनी है, असर को दोआ के साथ”

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