Post of 9th September 2024

“ज़ाहिर की आँख से न तमाशा करे कोई

जो देखना तो दिदह दिल वॉ करे कोई” (इक़बाल)

(“हक़ीक़त यह है कि आँखें अंधी नहीं होती, वह दिल है सिने में वह अंधा हो जाता है”)

जून में संघ की तीसरी बार सरकार बनी और उस के बाद सुबह उठ कर पांडेय जी, शर्मा जी, वर्मा जी, दुबे जी, तिवारी जी, स्वामी जी वग़ैरह वग़ैरह संघ को और संघ की सरकार के व्यक्ति विशेष को बुरा और कोसना शुरू कर देते हैं और रात तक कोसते रहते हैं।

यह, वही पांडेय जी, शर्मा जी….. वग़ैरह लोग हैं जो 2012 से संघ और संघ की सरकार बनाने में सब से आगे थे और टीवी, अख़बार से लेकर सोशल मीडिया पर कांग्रेस को कोसते और डा॰ मनमोहन सिंह को भारत का सब से बड़ा चोर नेता बताते थे। हम सब को सपना देखाते थे कि संघ सत्ता में आये गा तो हम लोगों को विश्वगुरु बना देगा।

यह सब बुद्धिजीवी जो अपने को देवी सरस्वती का उपासक कहते हैं, वह बारह साल बाद आज अपने बुद्धी को U-turn ले कर संघ के आदरणीय तथा सेवकों को बुरा कह रहे हैं कि इन लोगों ने समाज में ज़हर घोल कर देश बर्बाद कर दिया, चीन विस्तारवादी हो गया, नेपाल नक़्शा बदल लिया, उत्तर दक्षिण भारत में औरतों को नंगा रोड पर घूमाया जा रहा है, बेरोज़गारी बढ़ गई, महंगाई बढ़ गई, पॉच किलो अनाज और चार सौ रुपया बीड़ी-तम्बाकू पर लोग निर्भर हो गया, वग़ैरह वग़ैरह।

भारत में पिछले 10-15 साल मे जो हुआ वह सही हुआ वरना बहुसंख्यक समाज को अगले सौ साल यह अफ़सोस रहता कि हम लोगों ने संघ की सरकार नहीं बनाई वरना हम लोग “जगत गुरू” हो जाते। अब तो हालत यह है कि हमारे सब पड़ोसी देश जो आज़ादी के बाद 2012 तक हमलोगो के सामने “पिद्दी और पिद्दी का शोरबा था” वह भी आँख देखा रहा है और हमारे इतिहास-भूगोल को बदल रहा है।सब्र रखो, अभी तो बहुत कुछ होना बाक़ी है।

हम हमेशा कहते रहे हैं कि संघ का रहना भारत में बहुत ज़रूरी है, इस से अल्पसंख्यकों को फ़ायदा ज़्यादा है, नुक़सान कम है और बहुसंख्यकों को नुक़सान ज़्यादा है, फ़ायदा कम। अब मेरी बात यह पांडेय जी और शर्मा जी…. वग़ैरह बोल रहे हैं।

#नोट: नीचे विडियो देखये। पेंटागौन किशोर से मेरी इल्तिजा है कि देवी सरवस्ती को बदनाम न करो यह कह कर की हम सरवस्ती के उपासक है और बुद्धि है।आप की बुद्धि 2011 मे कहॉ थी जब आप पेंटागौन से वापस आकर गुजरात में अवतारीत हुऐ और संघ की सरकार बनाया? और आज कोस रहे हैं।

ظاہر کی آنکھ سے نہ تماشا کرے کوئ

جو دیکھنا تو دیدہ دل واں کرے کوئی

(حقیقت یہ ھے کی آنکھیں آندھی نہیں ہوتی ‘ وہ دل ھے سینے میں وہ اندھا ھو جاتا ہے)

https://www.facebook.com/mohammed.seemabzaman/videos/1551927342359617