26-02-2021 Post on FB
कल चीन के राष्ट्रपति शि जिंपिंग ने चीन मे “ग़रीबी उन्मूलन” का ऐलान कर दुनिया को एक एतिहासिक खबर दिया। चीन को चालीस साल लगा 77 करोड आबादी को ग़रीबी से मुक्ती दिलाने मे।
2013 मे शि जिंपिंग के चीन के राषट्रपति बन्ने के बाद चीन ने $243 बिलियन खर्च कर के आखरी 10 करोड आबादी को 1,80,000 गॉव में रोज़गार दे कर, मकान बना कर, रोड और बिजली की सुविधा दे कर प्रति दिन काम देकर 130 रूप्या ($1.69) देकर ग़रीबी ख़त्म किया। इस काम को करने मे 1800 सरकारी लोग मर गये और कल सब लोगो को पुरस्कार राष्ट्रपति ने दिया।
आज चीन दुनिया मे सर उठा कर चल रहा है।कल शि जिंपिंग ने कहॉ अब वह इन लोगो के जीवन स्तर (Standard of living) को ऊँचा बनाने पर काम करे गे। आज चीन $17 trillion की अर्थव्यवस्था है।
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अब आईये भारत जहॉ डॉ० मनमोहन सिंह के समय मे नरेगा और ऑगन-बाड़ी योजना से दस साल मे गॉव मे ग़रीबी की रेखा नीचे की गई थी। देहात मे लोगो को 100 दिन 200 रूपया का काम मिलता था और तेल का दाम कम था जिस से महँगाई कम थी।
पिछले सात साल मे “बौद्धिक ग़ुलामी” के कारण हाफ पैंट के सोंच के बूद्धिजिवी लोगों ने मोदी जी से नोटबंदी, GST, लिंचिग, तीन तिलाक़, NRC, 370, किसान बिल लाकर दुनिया मे अकेला कर आत्मनिर्भर का नारा लगवा दिया।
कल की खबर है बौद्धिक ग़ोलामों ने मोदी जी को सलाह दिया 100 सरकारी कम्पनी को बेच कर Rs 2.5 trillion ($34 billion) उगाही कर ग़रीबी ख़त्म करने को।
हम को कोई बताये $34 billion से क्या 60 करोड की आबादी की ग़रीबी ख़त्म की जा सकती है? कशमीर मे एक लाख फौज है और अरूनाचल, सिक्किम, चीन के 3,400 km में लाखों फौज तैनात है, क्या $34 बिलियन इस काम के लिये काफी है?
गौर से सोंचये हम लोगो ने 1989 से ज़हर फैला कर क्या पाया, क्या खोया?