Post of 29th January 2021
“ज़ाहिर की ऑंख से न तमाशा करे कोई
जो देखना तो दिदये दिल वॉ करे कोई”
(हक़ीक़त यह है कि ऑंखें अंधी नही होतीं, वह दिल है जो सिने मे वह ……….)
ईक़बाल का यह शेर आज भारत के उन सभी नेताओं, पत्रकारों, बूद्धिजिवीयो के नज़र है जो भाजपा/संघ को बूरा कह रहे हैं। कल राकेश टिकैत साहब के ऑख से आँसू निकला है, ज़ाहिर है यह कुछ वर्षो से अंधे हो गये दिल से आँसू निकला है। टिकैत साहेब बहादुरशाह ज़फ़र से आप की दोस्ती मुस्लिम आज तक नही भूलें हैं, मगर आप का समाज हम को भूल गया था, जिस के कारण आप को कल रोना पडा।
खैर देर आयद दुरुस्त आयद! टिकैत साहेब अब पिछे मुड़ कर नही देखना वरना किसानी हमेशा के लिये ख़त्म हो जाये गी। आप की बनाई इस सरकार ने भारत की बहुत बडी बरबादी कर दिया है जिस को संभालने मे दशकों लगे गा क्योकि देश मे कोई पंडित नेहरू अब नही है।
(आज हम देश के राष्ट्रवादी और देशभक्त/nationalist & patriotic नेता पर एक पोस्ट करे गें)