Post of 8th November 2021

एशिया मे ASEAN ट्रेड समूह 1967 में बना, बीस साल बाद दूसरा समूह APEC (1989) बना। APEC के कामयाबी के बाद 2011 मे एशिया के 15 छोटे और बडे देश ने मिल कर Regional Comprehensive Economic Partnership (RCEP) बनाया। इस तीनो ट्रेड संस्था मे हिन्दुस्तान नही है।

RCEP मे चीन, जापान, फ़िलिपींस, साऊथ कोरिया, औसट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, बरूनाई, मलेशिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर, बर्मा, लाऊस, कंबोडिया, थाईलैंड और वैटनाम हैं।

एशिया के तीन बडे आर्थिक केन्द्र/देश चीन, जापान और साऊथ कोरिया हैं।RCEP के 15 देशो के समूह की आबादी 2.27 billion है और GDP $26 trillion है जो अभी $5.2 trillion का निर्यात करते हैं।

1 जनवरी 2022 से RCEP लागू हो जाये गा और यह 15 देश दस साल मे आपस मे 90% टैरिफ़ (tariffs) ख़त्म कर फ्री ट्रेड करे गें जिस से इस समूह का जीडीपी 2.1% और बढ जाये गा।जापान की सरकार का कहना है कि RCEP से जापान का GDP 2.7% बढे गा।

चीन ने जनवरी से शुरू होने वाले RCEP ट्रेड (आयात-निर्यात) के लिये 1.66 लाख उद्यमी, सरकारी अफसर और कर्मीयों को 600 ट्रेनिंग केन्द्र मे प्रशिक्षण दे कर इस “अमृत महोत्सव” के लिए तैयार किया है।चीन इस समूह से अपने हेवी प्लांट, मशीनरी, टेक्नोलोजी, रेयर अर्थ मेटल्स, लिथियम बैट्री, सोलर सेल तथा दूसरे सामान को आसानी से बेचे गा।

भारत जिस की आबादी 130 करोड है और 80 करोड लोग गरीब हैं वह एशिया या दुनिया के किसी भी आर्थीक, सामाजिक या सैनिक समूह जैसे, EU, ASEAN, APEC, RCEP, OIC, AU, NATO या AUKUS मे नही हैं।मगर हमारे सौ साल की सोंच वाले नेता और दार्शनिक विश्वगुरू का सपना देखते और देखाते रहते हैं। उत्तर भारत जैसे, यूपी, बिहार, बंगाल, आसाम, नौर्थ इस्ट वगैरह मे आज भी दंगा एक्सपो करते रहते हैं ताकि अल्पसंख्यक कोई भी व्यवसाय ऐसा न कर सके की 7-8 परिवार को नौकरी दे।जहॉ भी एसा हुआ वहॉ दंगा करा कर जला दिया गया जैसे जमशेदपुर, अलीगढ, कानपुर, मुरादाबाद, दिल्ली, सूरत, अहमदाबाद…

आज चीन महाशक्ति बन गया और एशिया को दूसरे देश तरक्की कर हम को नौकरी दे रहे है चाहे वह मलेशिया हो या सिंगापुर, इंडोनेशिया, बंगलादेश या खाडी के दूसरे मूस्लिम देश हों मगर हम अपन यहॉ दंगा करा कर जीडीपी जलाते रहे गें।

“FUTURE OF ASIA WILL BE WRITTEN IN FOUR LETTERS, RCEP”
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Some comments on the Post

Syed Abid Naqvi RCEP में एक दो को छोड़कर सारे देशों की अर्थव्यवस्था उद्योग आधारित है, भारत भी कई उद्योगों में मास्टरी हासिल कर चुका था, दुनिया वो उत्पाद भारत से ख़रीदने को मजबूर थी लेकिन दंगा आधारित शासन व्यवस्था ने सब बर्बाद कर दिया, ख़ैर जो होता है अच्छा ही होता है, भक्ति काल ख़त्म होने दीजिए तब हम भारतीयों को समझ में आएगा कि हम क्या खो चुके हैं, और जो हम खो चुके हैं वो अब वापिस नहीं मिलने वाला है, यह बहुत ताअज्जुब की बात है कि भारत जैसे विशाल देश को इस संगठन से अलग रखा गया है।

  • Mohammed Seemab Zamanसही कहा सारे देश की अर्थव्यवस्था उद्योग आधारित (entrepreneur based) है जिस मे हम मास्टरी हासिल कर चूके थे मगर सब को जला जला कर बर्बाद कर दिया। यही हम भी कहते हैं “खैर जो होता है अच्छा ही होता है”, यह बर्बादी इन्ही के वक्त मे नज़र आ गई और यही भगत रहे हैं।यह कभी गौर किया है, भारत जैसा विशाल देश किसी मे नही है। आज तक किसी ने नही लिखा यह। जब हम ने गौर किया तो यह लिखना शुरू किया है।आप के इस कौमेंट को ज़मानियात पर डाले गें।

Md Shahid सर, हम यूनिवर्सल उस्ताद हैं….अब समस्या ये है कि, हमें उस्तादी उस्तादों से करनी है

  • Mohammed Seemab Zaman Md Shahid साहेब अल्लाह का शुक्र मनाये यह उस्ताद अभी सत्ता मे आ गये, अगर कुछ होने के बाद आते तो क्या करते यह सोंचये। जो हुआ सही हुआ वरना एशिया का दूसरा देश इतनी तेज़ी से तरक्की नही करता जितना अभी दस साल मे किया है। यह इन्ही उस्तादों के वजह कर हो गया।

Javed Hasan सर क्या रिसेप भी दूसरा बेल्ट एंड रोड एनिसिटिव जैसा साबित होगा

  • Mohammed Seemab Zaman इस मे दोनो शामिल है। रोड और बेल्ट से तो चीन सेंट्रल एशिया, मिडिल इस्ट और अफ्रिका मे घुसा है।

Abdul Bari यह ऐक तल्ख हकीकत है आप इस वक्त कही पर नही है।दंगा अब आपकी पहचान बन चुकीं है । दंगे पहले भी हुआ करते रहे लेकिन उस वक्त सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नही हुआ करता था जिससे आपकी असलियत लोगो को नही मालूम हो पाती थी । आज सारी दुनिया आपको देख रही है ।