Post of 14 Nov 2023

पिछले 30 वर्षों में अमेरिका और चीन की दोस्ती आसमान चूमती रही।दोनों देशों ने अपनी दोस्ती का फ़ायदा उठाया।अमेरिका महाशक्ति बना रहा और चीन आर्थिक तथा सैन्य महाशक्ति बनता गया।

अमेरिका ने अपने आधुनिक शोध के उत्पादों का निर्माण चीन में किया जहॉ मज़दूरी कम थी और ट्रेड यूनियनों पर प्रतिबंध था।चीनी उद्योग ने अमेरिकी घरों को इलेक्ट्रॉनिक्स और फर्नीचर से भर दिया और चीनी कारखाने की नौकरियों ने करोड़ों चीनियों को गरीबी से बाहर निकाल दिया और आज चीन में ग़रीबी ख़त्म हो गई।

चीन ने अपने अरबों-खरबों डॉलर मुनाफ़ा का अमेरिकी सरकारी बांड (Govt. Bond) ख़रीदा जिससे अमेरिका की उधार लेने की लागत कम रही और अमेरिका के सरकार और सैनिकों को वेतन मिलता रहा।

2008 के मंदी के बाद जब चीन मे 2013 में शि जीनपिंग राष्ट्रपति बने तो ओबामा और पश्चिमी देश चीन से डरने लगे और चीन पर अंकुश लगाना शुरू किया और भारत तथा यूरोप में दक्षिणपंथी नेताओं को बढ़ावा दिया मगर पिछले दस साल मे मिडिल ईस्ट-तुर्की-रूस-चीन-ईरान (METRIC) ने सारे दक्षिणपंथी नेताओं का ज़वाल कर दिया चाहे वह भारत हो, फ़्रांस हो या इंग्लैंड या इटली।

आज दुनिया के बदले जिवपौलिटिक्स मे अमेरिका से ज़्यादा चीन के दोस्त दुनिया में हो गये और 30 साल मे चीन अमेरिका से बड़ी शक्ति बनता नज़र आने लगा।

चीन से अमेरिका अपनी दोस्ती को पुन: ज़िंदा करने के लिए कल San Francisco मे 21 देशों के समूह APEC 2023 सम्मेलन में बाइडेन शी जिनपिंग को गले लगायें गें और चीन से मिडिल ईस्ट में शांति के लिए मद्द माँगें गें।

#नोट: बदले जियोपौलीटिक्स के कारण कल इंग्लैंड में पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरून को विदेशमंत्री बनाया गया। कैमरून चीन और मिडिल ईस्ट के दोस्त माने जाते हैं।यह आश्चर्यजनक है कि ब्रिटेन के कैबिनेट मीटिंग में अब दो प्रधानमंत्री बैठे गें क्योंकि वर्तमान प्रधानमंत्री असफल हो गये।

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