Post of 20 March 2025
संघ का मुख्यालय नागपुर “हिन्दुत्वा” और अम्बेडकर के हिन्दु “धर्म परिवर्तन” का वैटिकन कहा जाता है। यही वह शहर है जहॉ के संघ के नेता विशेष, परिवहन और हाईवे मंत्री गडकरी साहेब का संसदीय क्षेत्र है जो 11 साल से संध के केन्द्र सरकार में मंत्री हैं।
गडकरी साहेब जो 11 साल सत्ता मे मंत्री रह कर, मुस्लिमानो के भारतीय समाज और संस्कृति में वैज्ञानिक योगदान की कमी पर जिस दिन झूठा आँसू बहा रहे थे, उस के दूसरे दिन इन्हीं के हिन्दु समाज के पढ़े लिखे और वैज्ञानिकों ने इन्हीं के शहर में आतंक फैला कर दंगा और आगज़नी कर इन को आईना देखा दिया।
हमारे विश्व प्रख्यात दार्शनिक, धारा प्रवाह हिन्दी वाचक संघ प्रमुख हमेशा कहते हैं कि संघ और संघ परिवार अपना काम करते रहता हैं। आज उसी परिवार ने संघ के दरवाज़े पर दंगा और आगज़नी कर शहर मे कर्फ़्यू लगवा दिया। मुस्लिम समाज तो 1935 से दंगा का कर्फ़्यू झेल रहा है मगर आज ज़िंदगी में पहली बार संघ प्रमुख और गडकरी साहेब कर्फ़्यू झेल रहे हैं।
संघ के वैटिकन मे आगज़नी को देश और दुनिया ने देख लिया। देश के कथित बुद्धिजीवी, वरिष्ठ पत्रकार और स्वामी जी, शर्मा जी, वर्मा जी, दूबे जी, त्रिपाठी जी, बनर्जी जी, चट्टोपाध्याय जी सब की बोलती बंद हो गई, सब shocked हैं।
एक बहुत मशहूर मुहावरा है “आप के ऑंख के अंदर कुछ चला गया है, पलक झपक लें।” देखना यह है कि देश बचाने के लिए पहले संघ प्रमुख ऑंख झपकते (Blink) हैं या INDIA के नेता लोग Blink करते हैं।
#नोट: मेरा कहना है, संघ और संघ प्रमुख Blink करें गें क्योंकि इस दंगा और आगज़नी से मलेशिया से लेकर उत्तर अमेरिका तक संघ के फैलाये हिन्दुत्वा को बहुत बड़ा धक्का लगा है।
स्वामी जी, शर्मा जी, दूबे जी.. अभी तो और कुछ होना बाक़ी है, फिर अंधे हो गये दिल में रौशनी आये गा और सुंदर भारत बने गा:
“अगर फ़िरदौस ब-रू-ये ज़मी अस्त
हमी अस्तो, हमी अस्तो, हमी अस्तो।
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ONE YEAR OLD POST AND RIOT & ARSON IN #RSS HEADQUARTER, NAGPUR
एक साल पुराने पोस्ट पढ़ लिजये, मगर हम ने इस मे ट्रम्प के दोबारा राष्ट्रपति बनाने की संभावना नही देखा था, जो दुनिया और भारत के व्यापार को बर्बाद करने की मुहिम पर काम कर रहे है।
हल्ला तो यह उड़ाया जाता रहा था कि चीन की सब कम्पनी भारत आ रही है मगर कोई नही आया और न आये गा क्योंकि चीन की कम्पनी सऊदी अरब और यूएई मे manufacturing plant लगाना शुरू कर दिया जहॉ हम भारतीय जाकर मज़दूरी करें गें।
चीन की BYD कार कम्पनी की बैट्री जो 5 मिनट मे बैट्री चार्ज कर 500 km चले गी वह सऊदी अरब में बैट्री बनाने की फैक्ट्री जल्द लगाये गी और हम लोग संघ (RSS) के मुख्यालय नागपुर में दंगा करा कर औरंगज़ेब (1618-1707) की तीन सौ साल पुरानी क़बर खोद रहे हैं।
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#ELECTION_2024 WILL SEAL THE FATE OF INDIA FOR NEXT 50 YEARS (POST ON 19 MARCH 2024)
हम ने 2019 में नारा दिया था “Please once more….” ताकि पिछले पॉच साल (2014-19) मे जिन अंधे हो गये दिल वालों ने देश बर्बाद किया है वही भुगतें।पिछले पॉच साल में मेरा नारा कामयाब रहा, अब अंधे हो गये दिल भुगत रहे हैं और अभी वर्षों भुगते गें।
मेरे नारा का बेस था भारत का इतिहास और भूगोल और 26 जनवरी 2015 मे बराक का भारत आना और उस के बाद का शोर-व-ग़ुल और विश्वगुरू का सपना की बराक और पश्चिमी देश हिन्दुस्तान को दूसरा चीन बना दे गा।
यही सपना हमारे बहुसंख्यक समाज तथा संघ के विचारक, प्रचारक, राजनीतिक पार्टियों के नेता, बुद्धिजीवी और पत्राकार देखने लगे मगर वह सब लोग भारत का हज़ारों साल का इतिहास और भूगोल भूल गये कि एशिया के दूसरे देश अब अंधे हो गये दिल को दूसरा चीन नही बन्ने दें गें।
पिछले पॉच साल (2019-24) में जो घटना घटी वह सब मेरे एनेलेसिस में था; भारत में सरकारी बैंक डूबे गा, समाज में एक धर्म के खेलाफ घोले ज़हर के कारण विदेशी निवेश नहीं आये गा, तेल और गैस का दाम बढ़े गा, विकास पैदा नहीं होगा, बेरोज़गारी बढ़े गी, ग़रीबी बढ़े गी, विदेशनीति असफल होगी और चीन विस्तारवादी होगा।
मगर हम ने यह नही सोंचा था कि कोरोना वबा आये गा और फ़ॉल ऑफ काबूल होगा और फिर रूस यूक्रेन जंग होगी और इसराइल-प्रतिरोधी ताक़तों का मार-काट होगा और दुनिया तेज़ी से सौ साल बाद बदल जाये गी।
कोरोना में तो कम-व-बेश सभी देश बर्बाद हुआ मगर सब से ज़्यादा अमेरिका, भारत और ब्रिटेन बर्बाद हुआ। अमेरिका मे 1 million (दस लाख) से ज़्यादा लोग मरे और भारत का तो कोई आँकड़ा नहीं है मगर लाश नदी-नालों में बहती दुनिया ने देखा। भारत में ग़रीबी ऐसी बढ़ी कि 2029 तक 60% से ज़्यादा लोगों को 5 किलो अनाज सहायता सरकार देती रहे गी। अमेरिका और ब्रिटेन कोरोना के चार साल बाद भी आर्थिक तौर पर अभी तक संभला नहीं है।
#नोट: मेरे “प्लीज़ वन्स मोर…” नारा का उद्देश्य पूरा हो गया, 11 सरकारी बैंक डूब गया, कोई विदेशी निवेश न पश्चिमी देशों से आया न ही वहाबी कहे जाने वाले देशों से आया, बेरोज़गारी और ग़रीबी बढ़ गया, असफल विदेशनीति के कारण चीन विस्तारवादी हो गया मगर न पश्चिमी देशों ने संज्ञान लिया न वहाबी देशों ने चीन की आलोचना किया…
“#चुनाव_2024 अगले 50 वर्षों के लिए भारत का भाग्य तय करेगा”


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