Post of 03-12-2022
हमारे संघ के बुद्धिजीवियों तथा आदरणीय विश्व प्रख्यात दार्शनिक, इतिहास वेत्ता, धाराप्रवाह हिन्दी वाचक डाक्टर मोहन जी नारा लगाते रहे “जय श्री राम” ताकि “चुनावी हिन्दु” पैदा हो मगर पैदा कर दिया संप्रदायिक समाज जो अब नारा लगाने लगा “ब्राह्मण भारत छोड़ो”, “Brahmins leave the Campus”, “Go back to Shakha” आदि इत्यादि (लिंक कौमेंट मे पढें).
हम को JNU दिल्ली मे चार विभागों के ब्राह्मण प्रोफेसर के चैम्बर के बाहर लिखे इस नारा से आश्चर्य नही हुआ क्योकि संघ ने जिस तरह से 12% विशेष धर्म के खेलाफ चालीस साल से नारा लगा कर समाज मे संप्रदायिक ज़हर घोला है उस का अंजाम यही होना है।हर आतंकी जानता है कि अंत मे उस को अपने गुरू से ही लड़ना है।
संघ के मोहन जी नारा लगाते रहे “जिन के पूर्वज हिन्दु थे, वह सब भी हिन्दु हैं” मगर मोहन जी ने अल बिरूनी (Al-Biruni, b.973-d.1051) की भारत की संस्कृति पर लिखी किताब Kitab Tarikh al-Hind नही पढ़ी।अल बिरूनी सुल्तान महमूद ग़ज़नी के साथ भारत आये थे और दस साल (1021-1031) भारत मे रह कर वापिस ग़ज़नी चले गये।अल बिरूनी बहुत बडे मुस्लिम बुद्धिजीवि थे और धाराप्रवाह फारसी, अरबी और संस्कृत पढते थे मगर किताब केवल अरबी जबान मे लिखी।
संघ या भारत के कथित बुद्धिजीवि अगर “किताब तारीख़ अल-हिन्द” पढ लेते तो कभी मुस्लिम समाज को तख्ता-ए-मशक़ बना कर समाज मे NRC, CAA का ज़हर घोल कर बहुसंख्यक समाज मे चुनावी हिन्दु नेता पैदा नही करते तो आज JNU मे चुनावी कम्यूनिस्ट या चुनावी समाजवादी नेता पैदा नही होता और न वह ब्राह्मण भारत छोड़ो लिखता।
#नोट: JNU ने शिरा दिवार पर लगा दिया है, अब मख्खी चिपके गी, छिपकिल्ली उस को खाने की कोशीश करे गी और घी के बर्तन मे गिरे गी और दुकानदार बनिया उस को बेचे गा, गॉव के लोगो की तबियत खराब होगी, लोग बनिया के दुकान को लूटे गा और बनिया को पिटे गा।दुआ है अल्लाह संघ को बचा ले।
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