Facebook Post of 1-11-2020

1990 मे रूस के टूटने के बाद दुनिया बडी तेज़ी से बदली और भारत भी तेज़ी से नई सोंच के साथ बदला मगर जिस तेज़ी से पिछले 5-6 साल मे दुनिया बदली हमारे बूद्धिजिवी को पल्ले कुछ नही पडा क्योकि यह उन के सौ साल की सोंच का “ऊरूज” था।

दो दिन मे अमेरिका का नया राष्ट्रपति चूना जाये गा मगर मेरा कोई preference नही है, बाईडेन जीतें या ट्र्म्प दुनिया मे अमेरिका को “The Great Reset” करना हो गा।अगर ट्र्म्प जीते तो दूसरे दिन से नैनसी पेलोसी उन के खेलाफ महाअभियोग लगायें गीं।अगर बाईडेन जिते तो अरदोगान और शाह सलमान इन के द्वारा ओबामा के समय मे मुस्लिम देशो के बर्बादी का बदला लेने लगे गें। रूस बाईडेन के साथ सटाओ-हटाओ की नीति रखे गा और यूरोप थोडा relax हो जाये गा।

चीन के साथ बाईडेन भी ट्र्म्प ही के नीति पर चलें गें मगर civilised way मे चीन का विरोध करें गे मगर चीन को उस के पिछले सात साल की कामयाब विदेशनीति का फायदा एशिया और अफ्रिका मे मिलता रहे गा। मगर WWII के बाद दुनिया की राजनीति फिर से नये सिरे से “Reset” होगी।

भारत की जो भी सोंच, सेकुलर, स्यूडो सेकुलर या कम्यूनिस्ट की पिछले 40 साल की थी उस का बहुत ख़तरनाक नतीजा हम लोग चीन के ऊरूज/उदय से देख रहे हैं।यह सदी अगले 40 साल चीन का ही होगा।

ऐसे बदले एतिहासिक वक्त मे हमारे महान देश भारत को भी अगले सौ साल के लिये “The Great Reset” करना हो गा।हम सब बूद्धिजिवी, पत्रकार, नेता तथा संघ के विचारक को 1989 से घातक सोंच को बदलना होगा।इस 5% के सोंच से भारत अगले सौ साल नही चल सकता है। मोग़ल बादशाह अकबर के “सुलह कूल” की नीति को अपनाना हो गा और सब का साथ, सब का विकास करना होगा।