3 October 2022

टाईम्स ऑफ इन्डिया अखबार ने संघ के जेनरल सेक्रेटेरी दत्तात्रेय होसबले साहेब के विजयदशमी के अवसर पर देश की जनता को दिये संदेश को ग़रीबी, बेरोज़गारी का हेडिंग दे कर लम्बी खबर छापी है।संघ के एक बडे नाते तथा केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी साहेब ने भी दो दिन पहले इसी बेरोजगारी, भूखमरी की बात कही है।

होसबले साहबे ने कहा कि भारत की 20 करोड जनता ग़रीबी की रेखा (भूखमरी) से नीचे हैं, 20 करोड जनता रोज औसतन 274 रूपया कमाती है, 7 कोरड युवक बेरोज़गार है वगैरह वगैरह..

होसबले साहेब को पता है कि 21वी सदी के 23 साल मे 13 साल से अधिक समय से संघ की सरकार भारत मे रही है मगर संघ की सरकार ने बेरोजगारी और भूकमरी को कम नही किया बल्कि बढा दिया।

हमारे एक कांग्रेसी मित्र S M Taqui Imam साहेब ने कल सही लिखा “संघ में आज तक clarity देखने को नहीं मिली।जो कहा जाता है उसपर अमल नहीं होता और जो अनकही बातें है वही अमल का केंद्रबिन्दु है।इतनी बड़ी संस्था का मूल उद्देश्य अगर केवल एक धर्म विशेष का विरोधमात्र है तो फिर ये एक #निरर्थक प्रयास के सिवा कुछ नहीं।”

तक़ी साहेब ने सही कहा दुनिया कि सब से बडी संस्था और पार्टी जो मलेशिया से अमेरिका तक फैली है, उस का केवल भारत मे एक धर्म विशेष (14%) का विरोधात्मक ही उद्देश्य रहा जो आज अमृत काल मे निरर्थक साबित हुआ। न खुदा ही मिला न विसाले सनम।

21वी सदी मे चीन आर्थीक तथा सैन्य महाशक्ति और विस्तारवादी हो गया तो हमारे संघ के नेता लोगो ने अब धर्म विशेष के विरोध के केंद्रबिन्दु से हट कर #ग़रीबी_भूखमरी का एक नया #शब्दावली (Vocabulary) खोज निकाला। जय अल हिन्द।

https://timesofindia.indiatimes.com/india/rss-leader-flags-poverty-lack-of-jobs-inequality/articleshow/94606697.cms?fbclid=IwAR1URKLOsuoTuTaOy6JXuYw2Lm4k6o_3cEE_vps24CkeeEmTwtFkl4bXIyI
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Some comments on the Post

Shalini Rai Rajput कारपोरेट गोदी गठबंधन संग की पहुंच से बाहर होता जा रहा है। रावण जिसकी नाभि में डॉनी का अमरित ( माल) भरा है। इसका मारना अब संग की बात नहीं रही।

  • Mohammed Seemab Zaman “संघ, कोरपोरेट” यह सब कहना अब कोई मायनी नही रखता है। अब तो एक घर्म विशेष के विरोध के कारण अंधे हो गये दिल का क़लई अमेरिका, चीन और रूस ने खोल कर रख दिया तो नया शब्दावली खोज कर लोग को फिर भटकाने का काम शुरू किया है। कहॉ थे चालीस साल से? नज़र नही आ रहा था चीन और मिडिल ईस्ट तरक्की कर रहा है.

एम एम हयात मोदी अमित शाह लॉबी संघ से बड़ी हो गई है इसलिए संघ परेशान है

  • Mohammed Seemab Zaman सूनये, यह सब फिर भटकाने वाली बात है। यह लोग क्या आसमान से टपके थे 2014 मे? या यह लोग 2000 से सत्ता मे नही थे। क्या संघ ने इन लोगो को trained नही किया? जो training मिला, यह लोग उसी पर काम कर रहे हैं। यह कहना गलत है संघ परिशान है, यह सब झूठ का narrative बनाया जा रहा है और इन दोनो पर ठिकरा भोडे जा रहा है।अब दुनिया बदल गई तो संघ के लोग रंग बदल रहे हैं। हम तो 2015 से लिख रहे थे यह लोग fail करें गें।

Shambhu Kumar

मेरा रंग रूप बिगड़ गया मिरा यार मुझ से बिछड़ गया
जो चमन ख़िज़ाँ से उजड़ गया मैं उसी की फ़स्ल-ए-बहार हूँ

  • Mohammed Seemab Zaman यह लोग यही गलत फहमी मे रह गये कि यही लोग चमन (भारत) के “फ़स्ले-ए-बहार” हैं। बहुत अच्छा हुआ यह लोग सत्ता मे आ गये और इन की क़लई खूल गई कि यह सोंच सत्ता के लायक नही है, यह सिर्फ नारा लगाने कर लोगो को भटका सकते हैं।अब तो पूरी दुनिया मे मेरे यार बिगड़ गये।

Kamal Siddiqui होसबले साहेब के मानने और जागने से अब क्या होगा!

  • Mohammed Seemab Zaman अब कुछ नही होगा, दुनिया बदल गई है। सूना नही, दुबई ने विज़िट विज़ा दो महिना का कर दिया, employment visa के लिए sponsor ख़त्म कर दिया। यह सब बता रहा है कि अब Abu Dhabi दूसरा Dubai होगा।

Neeraj Singh मैं परसों आपकी नितिन गडकरी वाली पोस्ट के समय काफी व्यस्त था इसलिए उस पर कमेंट नही कर पाया।
पहले संघ का नियंत्रण हमेशा जनसंघ, और भाजपा व संघ के सभी अनुसांगिक संगठनों पर रहता था। पर जिस मोदी के भरोसे संघ पूर्ण बहुमत की सत्ता पा गई, उस मोदी को गुजराती कार्पोरेट ने हाईजैक कर लिए। 2019 में दुबारा सत्ता वापसी के बाद प्रधानमंत्री पद की संघ की पहली पसंद नितिन गडकरी थे लेकिन गुजराती कार्पोरेट्स ने धाराप्रवाह हिंदी वाले जानवरों के डॉक्टर को पहली बार उनकी हद दिखा दी।
संघ अपने स्थापना से 90 सालों तक जितना एक्सपोज नही हुआ उससे कई गुना ज्यादा उसकी करतूतें मात्र 8 सालों में पब्लिक डोमेन में आ गई।आडवाणी, राजनाथ, दत्तात्रेय या गडकरी जैसे सभी उसी जहरीली विचारधारा की परवरिश है जिसको आरएसएस कहा जाता है।बहुत अच्छा है कि मोगैंबो को पहली बार मोडी कार्पोरेट मोगैंबो मिला है।

  • Neeraj Singh, Mohammed Seemab Zaman साहब जो आरएसएस और गुजराती कार्पोरेट्स के बीच खींच तान की बात मैने कल अपने इस कमेंट में बोली थी। ठीक वही बात वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेई अपने इस वीडियो के आखिर में बोल रहे है। सफलता का नशा सर पकड़ ही लेता है।https://fb.watch/fXRefcMUYy/