Post of 18 June 2022

दो दिन पहले यूरोपियन यूनियन (ईयू) के चार बडे नेता फ्रांस के मैकरौन, ईटली के डरैगही, जर्मनी के शूल्ज़ तथा रूमानिया के निकोला यूक्रेन गये और ज़ेलेंसकी से भेंट कर यूक्रेन को हर संभव मद्द करने की पुष्टी किया।मैकरौन ने कहा रूस-यूक्रेन लडाई के बाद वह ज़ेलेंसकी से पूछ कर ही पुटिन से फोन पर बात करते हैं।

कल ईयू कमीशन ने यूक्रेन और मौलडोवा को ईयू की सदस्यता देने की सूची मे नाम डाल दिया, मगर इस मे दस साल से ज्यादा समय लगे गा।पिछले दस साल से स्विडेन, डेंमार्क तथा फिंलैण्ड नही चाहता था यूक्रेन ईयू का सदस्य बने जबकि अब यह तीनो देश NATO का सदस्य बन्ना चाहते हैं जिस को तुर्कीया नही बन्ने दे रहा है।स्विडेन, डेंमार्क तथा फिंलैण्ड को तुर्कीया आतंकवादियों का गेस्ट हाऊस कहता है।

यूक्रेन की आबादी चार करोड है और जनसंख्या घनत्व 73/sq. km है।1200 AD मे मंगोल ने कब्जा कर इन की आबादी को बरबाद किया और उस के बाद 600 साल तक यूक्रेन दूसरों के कब्जा मे रहा।यूक्रेन मे तीनों अब्राहिमिक धर्म वालो की अच्छी खासी आबादी है।

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इतिहास के ऐनेलीसिस से 2017 मे इस्राईल के प्रधानमंत्री नेतनयाहू ने एक सभा मे कहा कि भविष्य मे इस्राईल को अपने “वजूद का ख़तरा” है।नेतनयाहू ने कहा Hasmonean Kingdom केवल 80 साल ही रहा और 63 BC मे रोमन साम्राज्य ने कब्जा किया।नेतनाहू ने कहा इस बार हम लोगो को कोशीश करना है कि सौ साल रहें यानि 20 साल ज्यादा रहें।

पिछले हफ्ता पूर्व इस्राईली प्रधानमंत्री यूहुद बराक ने एक इस्राईली अखबार को साक्षात्कार मे कहा है कि इस बार हम लोग 80 वी सालगिरह (1948) मनाने के पहले ही टूटे गें।उन्होने कहा इस के पहले दो सल्तनतें दाऊद ऐलैहिस्सलाम (David) और हसमोनियन (Hasmonean) 80 साल मे ख़त्म हो गईं थीं।

इस्राईली इतिहासकार मौरिस कहते हैं कि नेतनयाहू और बराक का कहना सही है क्योकि कोई हकूमत अरब को कब्जा कर यहॉ हकूमत नहीं कर सकती है।

वहीं लेखक डा० रमज़ी बारूद लिखते हैं कि हजारो साल से मिडिल ईस्ट मे मुस्लिम, क्रिसचन और यहूदी एक साथ शांति से रहे हैं, आखिर अभी क्यों नही रह सकते हैं (लिंक कौमेंट मे पढें)

#नोट: Please इस पोस्ट को पढ और समझ कर कौमेंट किजये गा, क़ुरआन या बाईबूल का हवाला नही दिजये गा।पढ़िये और लाईक और शेयर किजये।
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Some comments on the Post:

  • Mohammed Seemab Zaman Dr Ramzy Baroud के लेख को ज़रूर पढ़िये और फिर यूक्रेन लडाई को सोंचये। यूरोप के सारे नेताओ की परिशानी को देखये। सत्तर साल के मिडिल इस्ट के लडाई-मार काट के बाद फिर यूरोप मे लडाई शुरू हो गई।
  • Hasan Rajput, Mohammed Seemab Zaman सर हसमोनियन .??
  • Arif Kamal, Very well written and explained article.

सिराजुद्दीन जैनुल खान जबरजस्त जानकारियों से लबरेज पोस्ट,आपका कोई सानी नहीं सरजी,अल्लाह आपको सलामत रखे आमीन

  • Mohammed Seemab Zaman, सिराजुद्दीन जैनुल खान साहेब, आप सारी कहानी समझ गये, शुक्रिया। इस को हम दो दिन सोंचने के बाद लिखा है, समझ मे नही आ रहा था कैसे लिखें। आखिर आज पोस्ट कर दिया।
  • सिराजुद्दीन जैनुल खान, Mohammed Seemab Zaman सर आपने ओ सच लिखा है जो बड़े बड़े विद्वान और मौलवी नही लिख पाते या लिखना नही चाहते,आपकी ये पोस्ट परत दर परत इतिहास के पन्ने खोल के रख दी है.

Kamil Khan मतलब गंगा जमुना सरस्वती के संगम की कोशिश हर तरफ से हो रही है.

Abdul Bari बेहतरीन पोस्ट सर ..जब भी कोई यूक्रेन रूस की जंग का एनालिसिस करे उसका धार्मिक पहलू जरूर देखे । बगैर इसके यह जंग किसी को समझ मे नही आयेगी.

  • Mohammed Seemab Zaman, Abdul Bari साहेब, आप ने इस पोस्ट के छुपे पेहलु को ऊजागर कर दिया। यही वजह है यह पोस्ट दो पार्ट में है।

Khursheeid Ahmad अर्जे कनआन ( फलस्तीन ) पर यहूदियों ने दो बार हुकुमत की है पहली बार दाउद अलैहिस्सलाम से लेकर इराक़ी बादशाह बख्त नस्र के हमला करने तक.
दूसरी बार उस समय जब ईरानी बादशाह साइरस ( ज़ूल क़रनैन ) ने फलस्तीन पर विजय प्राप्त की और यहूदियों को वहां की सत्ता दे कर वापस ईरान चला गया लेकिन फिर लगभग अस्सी वर्ष बाद रूम वालों ने फलस्तीन पर कब्ज़ा कर लिया. और अब 1948 से यह तीसरी बार है

Faysal Khan वो डर रहे हैं कि वो फिर से भगा दिये जाएंगे और यहां के एक इस्लामियात में डिग्री लेकर मुल्ला बने डाक्टर नजूमी साहब ने क़ुरआन हदीस सामने रख कर यहूदी रवायतों(ख्वाबों) को ऐसे बयान किया मानों यहूदीयों का आबाद होना अल्लाह की तरफ़ से तैय है यानी ग्रेटर इजराइल बन्ना ही बन्ना है और अरब को अल्लाह ने तबाह करने के लिए पैदा किया है. इंडिया पाकिस्तान का मुसलमान उन्हीं मौलवी साहब की मेहनत से ज्योपालिटिक्स की समझ से बिल्कुल खाली हो गया है।

  • Mohammed Seemab Zaman हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के मौलवी को क्यो कोसते हैं? आप हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के मुसलिम दानिशवर, पढे लिखे, प्रोफेसर या दूसरे सामाजिक नेताओं के जहालत को क्यो नही कोसते हैं, जो पढ़ता कम है और बोलता-लिखता ज्यादा है। मुस्लिम मे सब से बडी कमज़ोरी यब है कि पढना छोड दिया है और विडिव, टीवी और सूनने कहने पर ज्यादा ध्यान देता है।
  • Sikander Kaymkhani, Faysal Khan bilkul वो मौलाना इंडिया में पैदा हुआ पाकिस्तान में पला बढ़ा.
  • Sikander Kaymkhani, Mohammed Seemab Zaman सर जी हम भी भेड़ों की तर्ज पर ही चलते आये है हमारे आलिम ही हाकिम रहे है हमारे ।आज़ादी की लड़ाई के वक़्त से अब भी अक्सर आलिमो की बाते ही 100% मान ली जाती बिना हुज्जत के बिना सोचे.
  • Hasan Rajput, Mohammed Seemab Zaman जी सर यह देखिए इसका जीता जागता उदाहरण !!इम्पार ऐसा लगता है जेसे बीजेपी के लिए काम कर रहा हो.
  • Mohammed Seemab Zaman, Hasan Rajput साहेब, एम जे खॉन के वालिद politician रहे थे। इन्होने Agriculture की पढ़ाई पढ़ी है और अभी शायद प्रोफेसर हैं। और यह पौलिटिकस भी करते हैं ताकि MP/MLA बनें। किसी ने बहुत कोशीश किया की हम इन के IMPAR से जुटें मगर हम इंकार कर दिया। बहुत मोखतसर मे लिखा है, मगर देख लिजये ऐसे लोग मुस्लिम के लिडर बनना चाहते हैं.
  • Hasan Rajput, Mohammed Seemab Zaman सर मेने इनसे सवाल किए मुस्लिम समाज समुदाय को ले कर उल्माओ और धार्मिक इदारे को ले कर इन्होंने कुछ जवाब नही दिया !!
  • Mohammed Seemab Zaman, Faysal Khan साहेब, मेरे वालिद साहेब 35 साल सरकारी नौकरी किया और रिटायर हो कर 22 किताब ईकबाल पर लिख कर ईकबाल को समझने की नई पहचान दिया। क़ुरान के हाफ़िज़ नही थे मगर उन से क़ुरान की किसी आयात का पूछते तो वह दस मिनट मे क़ुरान मे आप को देखा देते। मगर जब वह मज़मून मे हदीस कोट करते थे तो किसी मुफ़्ती से पूछ कर करते थे। मेरे यहॉ कई मुफ़्ती अकसर उन से मिलने आते रहते थे। वह कहते थे हम ने इस की तालीम किसी उस्ताद से नही सिखी, इस वजह कर आप लोगो से तसदीक करते हैं।मगर आज कल के पढे लिखे लोगो से मिलये गा तो वह अपने को मुफ़्ती से बडा हदीस और क़ुरान का माहिर बताने लगता है। FB पर देखते नही हैं लोग हदीस कोट करता है मगर हदीस की Original book जिन्दगी मे कभी देखा नही होगा.
  • Faysal Khan, Mohammed Seemab Zaman सर आप सही कह रहे हैं सबसे ज़्यादा नुकसान इन्हीं पढ़े लिखे जाहिलों ने पोहचाया है जो दीन से यातो बिल्कुल बेहरा होकर लिबरल हो जाते हैं या फिर दीन का मतलब एक्स्ट्रीमिज़म समझ कर सीधे इंकलाब बरपा करने की ठान लेते हैं और जो मुल्ला मौलवी पंद्रह बीस साल लगाकर दीन सीखते हैं तवाज़न अख्तियार कर के चलते हैं उल्मा सू घोषित कर देते हैं।

Sikander Kaymkhani ज़मान सर बस यूँही जानकारियां देते रहे अल्लाह आपको तंदरुस्ती दे और इल्म में इज़ाफ़ा करे.

Azaz Siddiqui इस पर आपके क्या कॉमेंट्स है, लिखिए sir

एम एम हयात नतीजा क्या निकलेगा कुछ नही पता चल रहा.

Rais Ahmed आप की दूसरी पोस्टों से अलग हटकर नई जानकारी के साथ।

Azam Quadri Shandar post

Rafeek Ahmad Mashallah achhi jankari

Mohd Shaan अच्छी जानकारी प्राप्त हुई “सर”