=================
====================
Post of 24-09-2022
भाजपा के सवाल- “ देश टूटा कब,जिसे जोड़ने निकले हैं राहुल गाँधी – भाजपा” ?
मीडिया के सवाल – “ क्या ये अडवाणी जी की रथ यात्रा की तरह की कोई यात्रा है ?
जवाब – गुजरे इतिहास के पन्नों और वर्तमान परिस्तिथि को सत्य की आँखों से !
“आज राहुल गाँधी जी की #भारतजोड़ोयात्रा और माननीय
अडवाणी जी की रथ यात्रा में एक बुनियादी फ़र्क़” पर जवाब
इतिहास के पन्नों से। एक विवेचना !
अडवाणी जी की रथ यात्रा गुजरात से शुरू हुई थी,और उनके सारथी में कई लोगों के अतिरिक्त एक मुख्य सहयोगी के रूप में आज के प्रधान मंत्री भी थे। क्योंकि अनेक चित्रों में देखे जा सकते है। इस यात्रा का उद्देश्य बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि विवाद भी था, किंतु उनकी यात्रा का मक़सद क्या था, यह बताने की ज़रूरत नहीं। सारा देश जानता था। और इस रथ यात्रा से ऊठा उन्माद और दो समुदायों के बीच बढ़ती कटुता से ध्रुवीकरण करके भाजपा को सत्ता में लाने का मक़सद था। जिसमें अडवाणी जी और भाजपा क़ामयाब भी हुए। ये और बात है के रथ यात्रा से पकी सत्ता की खीर अटल जी को परोस दिया गया।सच पूछिये तो देश में आपसी भाईचारा पर सबसे पहला चोट सांप्रदायिक सौहार्द को उसी समय हुआ, मगर अटल जी जैसे व्यक्तित्व के नेता ने कुछ हद तक उसे पाटने का भी प्रयास किया। यह यात्रा में निरंतर उन्माद, द्वेष, कटुता, और नफ़रत की चिंगारी भरी यात्रा ज़रूर देखी गई। जो धीरे धीरे दो समुदायों में दूरियाँ बढ़ाई भी किंतु इतने विशाल रूप में विकसित नही हो पाई। कारण था अटल जी का नेतृत्व। किंतु 2014 से इस चिंगारी हो ख़ूब हवा दी गई, और हर तरफ़ नफ़रत अपनी चरम सीमा को छूने लगा। एक तरफ़ महंगाई, बेरोज़गारी,आर्थिक त्रदसी और उसपर देश में नफ़रत का माहौल ने हर जाति, धर्म, पंथ और समुदाय को विचलित कर दिया।
सभी भारतीयों की तरह राहुल गाँधी जी ने भी इसे महसूस किया और कोंग्रेस देश की बड़ी और राष्ट्रीय राजनीतिक दल होने के नाते इस पर मंथन किया और निष्कर्ष के रूप में श्री. राहुल गाँधी ने #भारतजोड़ोयात्रा शुरू करने का आह्वान किया। क्योंकि आज़ादी की लड़ाई में महात्मा गाँधी, नेहरू, पटेल और मौलाना आज़ाद सरीखे हज़ारों नेताओं ने इसी तरह की यात्राएँ, सत्याग्रह, आमरण अनशन से अंग्रेज़ी हुकूमत को परास्त किया था। और आज भी कोंग्रेस के लिये यही मार्ग जाना पहचाना मार्ग भी है, जिसपर कोंग्रेस और इसके नेता श्री. राहुल गाँधी अनुसरण कर रहे हैं।
सही कहा भाजपा वालों ने किंतु कटाक्ष के शब्दों में,के कोंग्रेस के गिरते ग्राफ़ पर राहुल गाँधी को कोंग्रेस जोड़ो यात्रा करनी चाहिये ?
राहुल गाँधी ने जवाब दिया, के इस समय भारत जोड़ना ही ज़रूरी है। हम सभी भारतीय आपस में मोहब्बत से जुड़ें रहेंगे, तभी देश भी जुड़ा राहेगा। यह है राहुल गाँधी की सोंच,की देश पहले, देश में एकता, अखंडता, सद्भाव, सौहार्द, को बचाना पहले फिर सारी राजनीति, पार्टियाँ, चुनाव इत्यादि इत्यादि !
जय हिन्द। जय भारत।
========================
“कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है”। सामयिक विवेचना ! Post of 23-09-22
गुज़रे दो दिनों में मुस्लिम समुदाय के बुद्धिजीवियों का आदरणीय श्री मोहन भागवत जी से मिलना, और दूसरे मौलाना इलियासी साहेब के निमंत्रण पर कतिथ राष्ट्रपिता एवं संघ प्रमुख श्री मोहन भागवत जी का कस्तूरबा गाँधी मार्ग स्थित मस्जिद दौरा करना, दोनों ही अपने आप में आकस्मिक और आश्चर्यचकित करने वाला है।
वैसे हमारे मुस्लिम समाज के विद्वान ईमाम मौलाना इलियासी साहेब को ज्ञात हो की पहले भी कई बार, कई मौक़ों पर बाबरी मस्जिद विवाद के संदर्भ में संघ प्रमुख हमारे दिवंगत श्री वासुदेव जी भी जामिया देओबंद के मौलनाओं से मिल चुके है।किंतु संघ प्रमुख की हैसियत से, ना की राष्ट्रपिता की हैसियत से।जिस रोड पर इलियासी साहेब की मस्जिद है, वह राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी की पत्नी के नाम पर ही है, कस्तूरबा गाँधी मार्ग।
दूसरे हमारे अल्पसंख्यक समाज के बुद्धिजीवी वर्ग के 5 लोगों का संघ प्रमुख से मिलना। समुदाय, समाज के कल्याण हेतु किसी से भी मिलना और संवाद करना एक स्वास्थ्य और सार्थक प्रयास है।बशर्ते कि मिलने का उद्देश्य जनकल्याण हो, व्यक्तिगत कल्याण ना हो।और अगर ये मिलना संवैधानिक पद पर असीन लोगों के साथ होता तो और अधीक ऊपयोगी और फलदायी होता।
संघ एक बड़ी संस्था है, वर्चस्व बहूत है, परंतु संवैधनिक पद क़तई नहीं है।अगर सही में ये अल्पसंख्यक समाज के हित के लिये है तो देश के प्रधान मंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी से मिलना अधीक सार्थक क़दम होता, किंतु ऐसा प्रतीक होता है, के ये मिलना संवाद तो नहीं एक lobbying मात्र के सिवा कुछ दिखा नहीं।और ये lobbying का संवाद व्यक्ति विशेष की व्यक्तिगत अक्षांशों का आभास दिलाती है, ना की समाज के लिये। हर दौर में धार्मिक विवाद से राजनीतिक पहचान बनती है।संसद की सीटें मिलती है, समस्या का हल नहीं।जय हिन्द। जय भारत।