Post of 12th February 2022

बाबर की तैमूरी (मोग़ल) हकूमत भारत मे तक़रीबन 350 साल रही जबकि उस के पहले सुल्तान शहाबुद्दीन ग़ौरी के गोलाम सुल्तान क़ुतुबुद्दीन ऐबक उत्तर भारत के बहुत बडे हिस्से पर 1192 से मुस्लिम हकूमत की बूनयाद भारत मे डाली थी।

दिल्ली का क़ुतुब मिनार 1199 मे सुल्तान ऐबक ने उजबेकिस्तान के बोखारा शहर मे 1127 मे 150 फ़ीट ऊँचे कलान मिनार (کلان مینار) के तर्ज़ पर बनाना शुरू किया था जो 1220 मे 238 फ़ीट ऊँचा मिनार बन कर तैयार हुआ।आज तक दुनिया भर के इतिहासकार हैरान हैं कि क़ुतुब मीनार के अंदर और बाहर पत्थरों पर कुरान की आयतों को किसने और किस तरह तराशा।

भारत मे जिन लोगो ने समरकंद और बोखारा की शांदार परशियन ऐमारत की नक़्क़ाशी और भव्य भवन नही देखी है वह जा कर देख लें सारा हिन्दुत्वा का नशा उतर जाये गा और भूल जायें गें कहना कि क़ुतुब मिनार या ताजमहल शिव मंदिर था और हिन्दुओं की कला या धरोहर था।

———
यह जो दीया कुमारी कह रही हैं कि ताजमहल की जमीन जयपुर रोऐयल परिवार का था, वह सही है मगर सब नही था।यह आगरा की जायदाद/जागीर सब अकबर के वक्त से मोगलो का था।जोधा बाई अकबर की बीवी थीं और जहांगीर की बिवी भी राजपूतनी थीं जो ताज महल वाले शाहजहॉ की अम्माँ थीं। यानि दीया साहेबा मोगल आपके रिशतेदार थे।

दीया साहेबा आप तो जानती हैं अकबर राजपूत और ब्राह्मण का बहुत सम्मान करता था।24 घंटा आप ही लोगो के साथ रहता था, दिन मे मान सिंह, बिरबल के साथ और रात मे जोधा बाई और ब्राह्मण तान सेन का राग सूनता था।अगर अकबर या जहांगीर ने ताज महल के पास कोई जमीन जयपुर राजपूत घराना को दे दिया या ले लिया तो कोई ऐहसान या ज़ुल्म नही किया।

———
दीया साहेबा जब आप के पास ताजमहल के पास वाली जमीन का काग़ज है तो औरंगजेब के वक्त वाला ज्ञानवापी का भी काग़ज होगा।जहॉ आज मस्जिद है वहॉ जब मंदिर था तो दो राजपूत रानी पूजा करने गईं तो पंडित जी ने ग़लत हरकत कर मार दिया।औरंगजेब अगर बनारस मे नही रूकता तो पंडित जी बनारस के गवर्नर रफ़ा दफ़ा कर देते।शुक्र मनाये मोग़ल बादशाह औरंगज़ेब का मंदिर को मस्जिद बना कर राजपूत औरतों/ जयपुर घराना की इज़्ज़त बचा दिया क्योकि औरंगज़ेब की भी एक बीवी राजपूत थीं।

दीया साहेबा हम बहुत दिन से लिख रहें हैं और कह रहे हैं कि मिस्र सभ्यता पर शोध किजये शिव जी, राम जी कहॉ के भगवान थे और आज हाई कोर्ट ने भी कह दिया शोध किजये, PhD किजये और पता किजये मिस्री भगवान या अमीर तैमूर के मूल्क से क़ुतुब मीनार या ताजमहल आया।हम मिस्र और उज़बेकिस्तान दोनो जगह सब देख कर आये हैं।

629 Shares and 55 comments

https://www.dailysabah.com/opinion/op-ed/uzbekistans-heritage-and-its-post-pandemic-efforts
============
Some comments on the post

Mozaffar Haque बहुत शानदार लिखा है आप ने.. काशी विश्वनाथ मंदिर वाले काण्ड को इतिहासकारों ने बहुत विस्तार के साथ और प्रमाण के साथ लिखा है जिस में सीताराम नाथ, बी॰ एन॰ पांडे, ओम् प्रकाश प्रसाद इत्यादि शामिल हैं … लिखते हैं कि कच्छ की आठ महरानियाँ काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए गईं उस में से एक हसीन रानी को महंतों ने अग़वा कर लिया .. कच्छ के राजा ने औरंगज़ेब से इसमें हस्त्छेप की गुहार लगाई, औरंगज़ेब ने अपने फ़ौजी भेजे, इन्हों ने छान बीन की तो पाया कि एक बड़े देवता की मूर्ति के पीछे सुरंग है जहाँ से बदबू आ रही थी .. तलाशी में एक तहख़ाना मिला और वहाँ इस रानी की वस्त्रहीन शव के इलावा भी कई शव मिले, जो महिलाओं की थीं… जिन्हें बलात्कार / सामूहिक बलात्कार किया गया था … महंत को सज़ा दी गई …हद्द यह है कि मुग़ल बादशाह को अंग्रेज़ों से लड़ते हुए क़ैद कर लिया गया उस के परिवार को ख़त्म कर दिया गया और दीया जी का घराना बच गया, सम्पत्ति भी बच गई …. जिस की सरकार रही दीया जी का परिवार उसी से लाभ उठाता रहा, चाहे मुग़ल हों, अंग्रेज़ हों, कोंग्रेस हो या अब हिंदु हृदय सम्राट की सरकार ।

  • Mohammed Seemab Zaman, Mozaffar Haque साहेब, हम पोस्ट छोटा करने के चक्क्कर मे बहुत कुछ नही लिखा है। आप सीताराम या पांडे जी का हवाला दे कर लिख रहे हैं मगर यह औरंगज़ेब और ब्राह्मण गवर्नर का दस्तावेज़ ब्रिटिश मेयूजियम मे रखा है। उस मे है कि औरंगज़ेब अपने लोगो के साथ कलकत्ता जा रहा है और बनारस मे रूका था तो यह रानी ग़ायब हुई थी। गवर्नर साहेब को मालूम था वह औरंगजेब को कहा आप जाईये हम पता कर सज़ा दें गे मगर औरंगजेब नही माना और वहीं पडाव डाले रहा तो आखिर मे गवर्नर साहेब ने सच उगल दिया। यानि के 377 उस वक्त लागू नही था और आज भी नही है।

Kamal Siddiqui बहुत ही शानदार पोस्ट सरदिया साहिबा उस दौर में होती तो ये भी मुगल ही होती।मै तो कहता हूं कुतुब मीनार को विष्णु स्तंभ घोषित कर दोअब हनुमान चालीसा होगा वहांवसीम रिज़वी उर्फ जितेंद्र त्यागी खतना वाले को राजपुरोहित बना दो.

Arvind Srivastva खूब लतारा आपने सांसद साहिबा को। मजा आ गया। इसको बिना आपके नाम लेना चाहते हैं अपनी वाल पर गर इजाजत दें।

  • Mohammed Seemab Zaman, Arvind Srivastva साहेब, आप को इजाजत है। मगर हम ने लताड़ा नही है। आप बताई कोई बात हम ने ग़लत लिखा है? यह सब हम अखबार और मैगज़ीन पढ और ऑख से देख भी चूके हैं।

Neeraj Singh उदबिलाव जैसी मूछों वाले धाराप्रवाह हिंदी वाचक देश की भक्त मंडली को स्वर्णिम अतीत और वैदिक काल वाली tax free फिल्म अपने हर भाषण में दिखाते–सुनाते है। लेकिन कभी ये नही बताते है कि जब इस देश में हिंदुओं में इतने वीर और पराक्रमी योद्धा थे तो फिर इस देश में गुलाम वंश (वह शासक जो किसी विदेशी राजा या सल्तनत के अधीन शासन करने को प्रतिबद्ध) का शासन कैसे चल पाया? चाय दिया कुमारी हो या लालटेन सिंह सब के सब अपनी व्यक्तिगत पहचान पाने के लिए गड़े मुर्दे उखाड़ रहे है। यह हमारी अज्ञानता है कि हम इन धूर्तो से ये नही पूछते की जब अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण हेतु खुदाई हो रही है तो उसमे मिली बुद्ध की प्रतिमाएं और बौद्ध कालीन अवशेष दुनिया से क्यों छुपाए गए? हम इनसे यह भी नही पूछते है कि बद्रीनाथ में जिन भगवान बद्री की मूर्ति को विष्णु का अवतार बता कर पूजा करवाई जा रही है उसको छुपा कर वस्त्र पहना कर क्यों रखा जाता है? ज्यादातर मंदिरों में भगवान बुद्ध की मूर्तियों को रंगरोगन और और वस्त्र व फूलों से ढक कर शिवलिंग के रूप में पूजा क्यों करवाई जाती है?