Post of 26th January 2021
उड़ बैठे क्या समझ के भला तूर पर कलीम
ताक़त हो दीद की तो तक़ाज़ा करे कोई (ईक़बाल)
लाल क़िला जिस मे भारत की फौज 70 साल से रहती थी और आजादी का झंडा जीस प्राचीर पर फहराया जाता था वहॉ आज किसी धर्म विशेष का झंडा फहराया गया। जनता मिडिया और सरकार से पूछती है, फौज कहॉ थी?
पिछले चालीस साल से भारत के नेता, संघ और मिडिया के लोग अपने को भगवान समझ बैठे हैं कि वह जो सोंचते है और बोलते हैं वह सही है। वह कलीम (मूसा अ०स०) की तरह उड़ कर तूर (पहाड़) पर जा बैठे हैं और समाज मे बदगुमानी पैदा कर दिया के वह खुदा से बात करते हैं और उन का हर फैसला खुदाई है।संघ भारत के बहुसंख्यक को समझाता रहा वह बनी इसराईल हैं और अमेरिका उन पर मनसलवा भेजे गा मगर चीन गलवान और अरूनाचल ने मनसलवा भेज रहा है।
आज इस सरकार के समय चीन विस्तारवादी योजना पर काम कर रहा है। क्या यह चीन का विस्तारवाद पहली बार हुआ है? यह तीसरी और चौथी बार है। कहा थे अदवाणी एड ऐसोसियेटस, नरसिमहा राव या देवरस, रज्जु भैया, भागवत या मोदी जी? क्या इन लोगो को चीन की तरक्की का पता नही था?
पूछये भारतीय बूद्धिजीवी, पत्रकारों, हर पार्टी के देशभक्तो से वह कहॉ सोये थे (?) जब जय प्रकाश आंदोलन हुआ, बाबरी शहीद हुई, मंडल-कमंडल समाज बना और आज किसान रोड पर आ गया।
क्या आज पहली बार लाल क़िला के प्राचीर पर झंडा फहरा कर देश मे सुरक्षा व्यवसथा या ख़ुफ़िया एजेंसी की धज्जि उडा है? पुलवामा हुआ, अमेरिका के राषट्पति ट्र्म्प के सामने राजधानी दिल्ली मे दंगा हुआ, चीन का गलवान मे घुसपैठ, अरूनाचल मे चीन द्वारा रोड और आवास निर्माण।
प्रेस वालो और ढोंगी देशभक्तों सब किया कराया तुम्हारा है। आँसू बचा कर रखो, अभी और रोना बाक़ी है!