Post of 9th March 2021
इन से मिलये यह मुकेश कुमार सुराना हैं जो चैयरमैन है एचपीसीएल के और कह रहे हैं सऊदी अरब के हौकिशनेस (अभद्रता), के कारण भारत को कोई दूसरा रास्ता उर्जा के लिये 2030 तक सोंचना होगा।
इन्होने कहा हमारे तेल मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान की बात सऊदी अरब नही सून रहा है और तेल का उत्पादन नही बढ़ा रहा है और बहरा बना बैठा है। जब की सुराना यह भी कहते हैं भारत 86% तेल OPEC+ से ख़रीदता है और केवल 19% सऊदी अरब से ख़रीदता है।
सुराना साहेब भी कुऑ के मेढक ही निकाले OPEC+ मे रूस के पुटिन भी है तो हम लोग तेल कहॉ दूसरे रास्ते से लाये गे, मैक्सिको से? सात साल मे संघ के मोदी जी या धर्मेन्द्र प्रधान साहेब ने एक नया नूकूलियर पावर प्लांट नही लगाया और ने सोलर या विंड उर्जा के लिये लिथियम बैट्री बनाया और यह सऊदी अरब को #अभद्र कह रहे हैं। खैर यह चुनाव के कारण समाज मे ज़हर घोल रहे हैं।
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मोदी, धर्मेन्द्र प्रधान और सुराना से लोग पूछे जब 2017 जनवरी मे अबूधाबी के शेख ज़्याद भारत आये या 2019 मे सऊदी अरब के प्रिंस सलमान आये तो जो पैसा या रिफाईनरी का वादा किया वह क्यो नही अब तक आया? क्या वजह हुई के मोहन भागवत जी को मध्य पूर्व याद आया?
वही शेख ज़्याद 2019 मे इंडोनेशिया गये तो उर्जा, माईंस, इंफ़्रास्ट्रक्चर मे $22.9 निवेश कर रहे हैं (लिंक कौमेंट मे पढे)।
प्रधान और सुराना साहेब, संघ के बौद्धिक ग़ुलामी के कुऑ से निकलये और भारत के बारे मे सोंचये। चीन बहुत तेज़ी से तरक्की किया है मगर वह तेल के दाम से नही रो रहा है क्योकि वह कजाकिस्तान और रूस से पाईपलाईन से गैस/तेल ले रहा है, जर्मनी और यूरोप आईजरबाईजान से पाईपलाईन से गैस/तेल ले रहा है।
भारत क्यों नही तुर्कमेनिस्तान-पाकिस्तान (TAPI) से गैस/ तेल पाईपलाईन से ले रहा है?
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