Post of 14th December 2021
मोहम्मद ज़ुबैर ख़ान, यह बीबीसी के पत्रकार हैं जिन्होंने एक लम्बा चौडा लेख Controversial Heading दे कर लिखा है।आखिर मे सबूख़ सैयद का हवाला देकर लिखा है कि “तबलीग़ी जमात की गतिविधियां सऊदी सरकार की नज़र में एक रूढ़िवादी माहौल पैदा कर सकती हैं और दोबारा चेतावनी करने का उद्देश्य रूढ़िवादी परंपराओं को छोड़ने की नीति भी हो सकती है”
ज़ुबैर ख़ान साहेब खुतबा कोट करते हैं कि “सऊदी अरब का मुल्क एक ही जमात (दल) और रास्ते पर चल रहा था तभी बाहर से कुछ जमातें आईं, इस एक जमात और एक मज़हब पर चलने वाले लोगों को बांटने की कोशिश की गई ताकि उनकी (सऊदी नागरिकों) एकता टुकड़े-टुकड़े की जा सके. यह जमात मूल रूप से हिंद (भारतीय उपमहाद्वीप) से है.”
आज चार दिन से भारत के उर्दु और हिन्दी नाम वाले जो तबलीग का इस्लामी तरीका नही जानते हैं या जो कभी तबलीग़ मे नही गये होंगे वह सऊदी अरब के ट्विट पर कलेजा पीट-पीट कर मातम कर रहे हैं।सऊदी अरब मे हम रहे हैं और मदनी स्टाइल (भारतीय तबलीगी जमात) के तबलीग़ मे गये भी हैं।
आज कल बर्रे सग़ीर मे हरी पगड़ी, लाल पगड़ी या हर गली मोहल्ला मे हर गरोह अपनी जमात बना कर दुकान खोल कर बैठा है और अपने को सही मुस्लिम साबित करने मे लगा है।यह लोग सऊदी अरब मे अपना गरोह बना कर वहॉ जा कर फितना पैदा कर रहे हैं जिस तरह से हिन्दुस्तान/पाकिस्तान मे फितना पैदा करते रहते हैं।हम ने बहुत कुछ देखा है।
हम चार साल पहले उजबेकिस्तान के शहर समरकंद ईमाम बोखारी के मज़ार पर सलाम करने गये थे।वहॉ के ईमाम मस्जिद ने हम को मज़ार, म्यूज़ियम और नया मद्रसा घूमाया।मद्रसा के निदेशक अपने आफिस से निकल कर आये और हमारे बीवी बच्चो को पूरा मद्रसा घुमाया।हम ने कहा आप लोग हिन्दुस्तान/पाकिस्तान से मौलवी/मौलाना नही लाईये बलकि खुद का पैदा किजये वरना यहॉ भी लोग गरोह बना देंगें।आप लोगो को जो 10-20 साल लगे मगर खुद के लोगो को पैदा किजये।उन्होने कहा हम लोग खुद पैदा करें गें।अल्लाह से दुआ और उमीद है यह मद्रसा अगले 20-40 साल मे “उलमाये हक़” पैदा करे गा।
सऊदी अरब ने सही किया है इस तरह के गरोह के तबलीग को बन्द कर के।आज भी भारत का तबलीगी जमात (दिल्ली मरकज़) पूरी दुनिया मे काम कर रहा है और हम जानते हैं उस मे सऊदी अरब के लोग भी शामिल हैं।
#नोट: ज़ुबैर खान और दूसरे अगर आप आलिमे दीन नही हैं तो इस मसले पर बात नही किजये और आप की बात मुसतन्द नही मानी जाये गी।अगर आप “उलमाये सु” हैं तो बिल्कुल ही नही किजये।इस पर बात करने का हक़ सिर्फ और सिर्फ “उलमाये हक़” को है।
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Some comments on the post
Mohammed Seemab Zaman हम चार दिन से इस टौपिक पर हिन्दी और उर्दु नाम वालों को #खुशी और #ग़म का इज़हार करते देख रहे थे। आज ज़ुबैर खान का बीबीसी पर जब लेख देखा तो बहुत ग़ुस्सा आया।बीबीसी के पत्रकारों की आदत है वह वैसे ही आदमी को बोलाते हैं जो फितना की बात करे। इस्लाम के टौपिक पर वैसे ही मुस्लिम को contact करते हैं जो controversial बात बोले। इन्होने एक खान साहेब को भी कोट किया है, उस पर तो हम कुछ लिखा ही नही।यह कहते हैं रूढ़िवादी समाज फिर न पैदा हो इस का डर है। यही सब लोग “वहाबी-वहाबी” कर कलेजा पिटता था जो हम बंद करवाया। अब लगा दूसरा राग गाने।
- Alauddin Azmi निज़ामुद्दीन वाली तब्लीगी जमात को प्रतिबंधित किया है?
- Hisamuddin Khan न तबलीगी जमात न देवबन्द न वहाबियत दुनिया इससे मतलब नहीं रखती बस जो इस्लाम का नाम लेवा हो और वाकई किसी हद तक दोन पर चलता नजर आये मकबूल भी हो जाये उससे बैर हो जाता है।कोई कौम इनतिहा पसन्द कियो हो जाती है वेस्ट जो हर बात की जड खोदता है कभी इस मुद्दे पर कोई खोज बीन क्यो नही करता।
Abdul Bari सर इस मौजू पर आपकी पोस्ट का इंतजार था जो खत्म हो गया । बहुत बेहतरीन पोस्ट है । अल्लाह आपको सेहतायब रखे और हम लोगो को इसी तरह रास्ता दिखाते रहे।हमारे यहां कुछ ख़ास किस्म के लोग है जिनका काम सुबह शाम सिर्फ और सिर्फ सऊदी और दिगर अरब देशों को कोसना है। जो अपने घर सही से चला नही पाते वोह सऊदी अरब को कैसे चलना है लंबी लंबी सलाह देना शुरू कर देते है । भाई पहले अपनी साफ सीधी कर लो फिर दूसरी की सफे देखना।अल्लाह हिदायत दे हम हिंद पाक के मुसलमानों को ।
- Mohammed Seemab Zaman हम यह अपने वालिद साहेब से सिखा है, जब किसी मस्ला को लोग controversial बना कर exploit करने लगते थे तब वह एक मज़मून लिखते थे। बहुत बार तो मैगज़ीन के एडिटर कहते थे आप इस टौपिक पर एक मज़मून लिखये ताकि वह टौपिक दफ़न हो जाये।
عبد الحسیب हिन्द , पाक , बंगलादेश, में जितना फिरकापरस्ती है उतना ही फसाद है , अरब मुल्कों में फिरके के ऊपर फसाद न के बराबर है , थोड़ा बहुत है तो वो भी शिया सुन्नी का ,लेकिन यहां हर मौलवी अपना अपना गिरोह बनाकर घूमता है , हाल ही में पाकिस्तान में श्रीलंकाई शहरी की मौत इसी फसाद की कड़ी है , अरब कंट्री बहुत सही करती है जो दीनी निजाम अपने पास रखती है , वरना वहां भी फ़सादियों की कमी नही होती,खैर इन सबके बीच तब्लीगी जमात के ऊपर इंडियन मीडिया अलग ही नैरेटिव पेश कर रहा है.
Sahil Farooqui कुछ दिनों से ख़बर सुनने में आ रही है के सऊदी अरब ने तब्लीगी जमात पर पाबंदी लगा दी है, गूगल करने पर आपको सिर्फ इंडियन मीडिया हाउसेज का ही लिंक मिलेगा, जिसमे ऐसी बात कही गयी है,बहुत तलाश करने के बावजूद मुझे किसी इंटरनेशनल न्यूज़ चैनल का लिंक नही मिला जिसमे ऐसी कोई बात कही गयी हो के सऊदी ने तब्लीगी जमात पर पाबंदी लगाई हो,अगर सऊदी अरब ने तब्लीगी जमात पर पाबंदी लगाई होती तो trt world और al jazeera दो चार न्यूज़ ज़रूर प्रकाशित करते क्योंकि ये दोनो चैनल हर छोटी बड़ी बात पर सऊदी अरब की खिंचाई करते ही रहते हैं, लेकिन इन दोनों मीडिया हाउसेज पर भी ऐसी कोई न्यूज़ नही है,तब सवाल ये उठता है के तब्लीगी जमात पर पाबंदी की ख़बर सिर्फ इंडियन मीडिया में ही क्यों है ?क्या इंडियन मीडिया के लोग ज़्यादा अक्लमंद हैं ? या इंडियन मीडिया में सारे आइंस्टाइन के नाती भरे हुए हैं जिन्होंने इस खबर को क्रैक कर लिया?और बाकी दुनिया के जर्नलिस्ट इस खबर की भनक भी न ले पाएहक़ीक़त ये है के तब्लीगी जमात पर पाबंदी लगाने की ख़बर झूटी है और इंडियन मीडिया का प्रोपगेंडा हैवास्तविकता ये है के सऊदी अरब ने तब्लीगी जमात पर कोई पाबंदी नही लगाई हैबल्कि उत्तरी अफ़्रीका के संगठन ‘अल अहबाब’ पर पाबंदी लगाई है जो दावती और तब्लीगी काम भी करता है ट्वीट में साफ साफ संगठन का नाम लिखा हुआ हैसऊदी अरब के मिनिस्ट्री ऑफ इस्लामिक अफेयर्स का ये ट्वीट साफ साफ लिखता है के अल अहबाब नाम का संगठन जो दावती और तब्लीगी काम करता है उसके बारे में जुमा के ख़ुतबे में लोगों को आगाह किया जाएइसलिए इंडियन मीडिया की किसी ख़बर पर बवाल करने और छाती पीटने से पहले ख़बर की तस्दीक कर लेना चाहिए।
Asif Malik बहुत अच्छी पोस्ट हे पिछले 4 दिन से यही देख रहा हूँ तबलीगी जमात को बेन किया लेकिन किलिअर नहीं हो पा रहा था आप ने किलिअर करदिया शुक्रिया जनाब इंशाल्लाह अल्लाह के रास्ते में और जो काम हमारे नबी ने शोरु किया वोह जारी रहे गा.
Mohd Kashif आज तब्लीग़ी जमाअत के ख़िलाफ़ सऊदी अरब के इस्लामी व धार्मिक मामलों के मंत्रालय के बयान के परिपेक्ष में जमीअत उलमा ए हिन्द के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने हिन्दुस्तान में सऊदी के राजदूत श्री सऊद मोहम्मद बिन साती से मुलाक़ात के दौरान कहा कि तब्लीग़ी जमाअत के सिलसिले में सऊदी अरब के धार्मिक मामलो के मंत्रालय का बयान पूरी दुनिया के मुसलामानों के लिए बहुत ही चिंता का विषय बन गया है। चूँकि तब्लीग़ी जमाअत देवबंदी मकतब ए फ़िक्र की जमाअत है इस लिए यह बात दारुल उलूम देवबंद और जमीअत उलमा ए हिन्द के लिए भी चिंता की बात है। सऊदी अरब सरकार अपने देश के अंदर जमाअत के बारे में क्या विचार रखती है हमें इससे कोई बहस नहीं है और न हमने कभी इस सिलसिले में कोई बात की है लेकिन इस वक़्त धार्मिक मामलो के मंत्रालय की जानिब से तब्लीग़ी जमाअत पर जिस तरह के इलज़ाम लगाए गए हैं, सिर्फ़ तब्लीग़ी जमाअत के लिए ही के लिए नहीं बल्कि तमाम मुसलामानों और ख़ास तौर पर दीन और मज़हब से जुड़े लोगों के लिए तकलीफ़ का विषय है। हमने यह चाहा कि हम अपनी इस तकलीफ़ और जज़्बात को सऊदी अरब के राजदूत के द्वारा धार्मिक मामलो के मंत्रालय सऊदी सरकार तक पहुंचाएं और उनके इस बयान के नतीजे में क्या मुश्किलात और ख़राब नतीजे दीन से जुड़े मुसलामानों को पहुँच सकते हैं , इनसे अवगत करा दें, मुझे बड़ी ख़ुशी है कि राजदूत मोहतरम ने मेरे ख़त को पढ़ा और इस विषय पर वार्तालाप किया और इस सिलसिले में मुझे बेहतर से बेहतर योगदान देने का उन्होंने आश्वासन दिया है। और यह भी कहा कि तुम यह समझ लो कि यह ख़त धार्मिक मामलो के मंत्रालय तक पहुँच चुका है। वहां से मुझे यह भरोसा है कि तुम्हारी उम्मीद के मुताबिक़ जवाब आएगा। मैं मोहतरम राजदूत का उनके हुस्न व इख़लाक़ और अच्छे माहौल में बातचीत करने पर बहुत आभारी हूँ और मुझे उम्मीद है कि इंशा अल्लाह वह हमारे बेहतरीन प्रवक्ता साबित होंगे और हमारी इस बातचीत व तहरीर के इंशा अल्लाह ख़ातिर ख़्वाह नतीजे सामने आयेगें।~ Arshad Madani
- Mohammed Seemab Zaman Mohd Kashif साहेब, इस खबर का हम को लिंक provide किजये यह कहॉ छपा है। यह खबर बनाई हुई लगती है। इस मे आखिर मे लिखा है राजदूत मोहतरम ने कहा “मुझे भरोसा है कि तुम्हारी उम्मीद के मोताबिक” जवाब आये गा। अरबी मे #तुम या तुम्हारा लवज नही होता है। यह किसी गरोह का फैलाया हुआ झूठ है। आप हम को अखबार का लिंक दिजये।
Mohammed Imran بہت شاندار لکھے ہے جناب اللہ آپ کو لمبی زندگی سے نوازے
Gulzar Syed हिन्द पाक में फिरकापरस्ती पर आपकी बात से सो फीसद मुत्तफ़िक़ हुँ मगर अफसोस तो इस बात का है कि सऊदी अरब ने बेन का रीज़न ये दिया है कि “तब्लीगी जमात आंतकवाद का दरवाज़ा है” जबकि जमात का कोई भी फर्द आजतक किसी भी संदिग्ध गतिविधि में नही मिला है।मुसलमान को मुसलमान का काफिर कहा जाना भी अब्दुल वहाब साहब के वक़्त में यही सऊदी से शुरू हुआ था और आज मुसलमान मुसलमान को आंतकवादी भी यही से कह रहा है।बेहद अफसोस।
- Mohammed Seemab Zaman Gulzar Syed साहेब आप के दोनो सवाल: आतंकी और अब्दूल वहाब का जवाब अगर हम यहॉ दे तो बहुत बडा हो जाये गा। कभी किसी पोस्ट मे इस का जवाब लिख दे गें।
- Yusuf Prince Mohammed Seemab Zaman सर,आपकी उस पोस्ट का भी बेसब्री से इन्तेज़ार रहेगा।जज़ाक’अल्लाह ख़ैर