22 April 2023

वर्षों की तैयारी के बाद, शंघाई इंटरनेशनल एनर्जी एक्सचेंज (INE) ने मार्च 2018 में चीनी मुद्रा युआन (Yuan) में कच्चे तेल का ख़रीद-बिक्री (अनुबंध) शुरू किया मगर सऊदी अरब तथा OPEC+ देश डॉलर ($) मे ही दुनिया में अपना तेल और गैस बेचते रहे।शंघाई एक्सचेंज INE मे अनुबंध (Futures) ब्रेंट क्रूड ऑयल पर ख़रीद-बिक्री आधारित है, जो तेल की कीमतों के लिए वैश्विक बेंचमार्क है।

हालांकि चीन के विकास और विश्वगुरु बनने के लिए तेल का आयात और आपूर्ती एक बहुत बड़ा मुद्दा है।आज दुनिया में चीन सब से बड़ा तेल और गैस का आयातक देश है क्योंकि इस की आबादी 1.4 billion है।मगर तेल उत्पादक देश ख़ास कर ओपेक और सऊदी अरब चीनी मुद्रा मे तेल बेच कर या व्यापार कर ज्यादा युआन रिजर्व जमा नहीं करना चाहते हैं और चीन यह बात अच्छी तरह से जानता है।

यही कारण है कि चीन ने अब हांगकांग और शंघाई एक्सचेंजों में सोना (Gold) के एक्सचेंजों के माध्यम से कच्चे तेल के युआन के अनुबंध को सोना (Gold) में परिवर्तित करने की क्षमता के साथ जोड़ दिया है।यानि, अब कोई भी तेल उत्पादक देश तेल चीनी मुद्रा में बेचे और चाहें तो वह एक्सचेंज से गोल्ड ख़रीद कर अपने देश ले जा सकते हैं।यह गोल्ड की सुविधा युआन के साथ पहले नहीं थी और न अभी डॉलर के साथ है।

सऊदी अरब 1946 से डॉलर मे तेल बेचता है।1971 मे अमेरिका द्वारा डॉलर ($) को Bretton Woods international monetary system से ख़त्म करने के बाद भी लगभग 50 वर्षों से, सउदी अरब तेल डॉलर मे ही बेच रहा है, जिस कारण अमेरिका की अर्थव्यवस्था को Petrodollar अर्थव्यवस्था कहा जाता है।

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इस साल सऊदी अरब की ऐतिहासिक यात्रा, GCC नेताओं के साथ बैठक और ईरान-सऊदी अरब की दोस्ती के बाद सऊदी और GCC और ईरान सरकार युआन में तेल बेचने को तैयार है। GCC के देश दुनिया के सबसे बड़े तेल और गैस निर्यातक हैं और चीन GCC का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार भी है।

चीन का यह Petroyuan प्रयोग कोई संयोग नहीं है, बलकि यह अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली में बदलाव के संकेत हैं। क्योंकि अब चीन मे तेल Bretton Woods gold monetary system पर आधारित ख़रीद-बिक्री होगी।

#नोट: भारत की आबादी चीन से ज़्यादा हो गई मगर भारत GDP और विकास में “हे राम से जय श्री राम” दंगा के कारण चीन से 2-3 पुश्त पिछे चला गया है।नीचे जीडीपी का ग्राफ देखें।