6 August 2024
बंगलादेश 1971 में पाकिस्तान से आज़ाद हुआ और शेख़ मुजिबुर्रहमान बंगलादेश के 1972 जनवरी से 15 अगस्त 1975 तक प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति रहे।
बांगलादेश बन्ने और 1973 में “ऑयल इमबार्गो” के बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जय प्रकाश आंदोलन से उत्पन्न देश में Anarchy को रोकने के लिये 25 जून 1975 को भारत में Emergency लगाया और उसी साल भारत के स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 1975 की सुबह मुजिबुर्रहमान और उन के ख़ानदान को ढाका मे कत्ल कर दिया गया, जिस की कोई इंटेलिजेंस रिपोर्ट भारत को नहीं थी।
मुजिबुर्रहमान के क़त्ल के बाद उन की बेटी शेख़ हसीना ने पिता की पार्टी “अवामी लीग” का कमान सँभाला और 1996 मे पहली बार बंगलादेश की प्रधानमंत्री बनीं।
2004 मे शेख़ हसीना जब विपक्षी नेता थीं तो उन पर एक सयासी जलसा में बम से हमला हुआ जिस में सैकड़ों लोग मरे मगर शेख़ हसीना बच गईं। 2007 मे शेख़ हसीना को arrest कर जेल भेज दिया गया मगर 2009 में वह दूसरी बार प्रधानमंत्री बनीं और 5 अगस्त 2024 तक पद पर रहीं।
शेख़ हसीना ने पिछले 15 वर्षों में भारत, चीन, जापान, वग़ैरह से निवेश करा कर बंगलादेश की खूब तरक्की कराई। भारत-पाकिस्तान के आज़ादी (1947) के बाद से चल रहे 19000 एकड़ ज़मीन और 19 गाँव के जटिल मस्ला को भारत से सुलझाया और समझौता कर उस को बंगलादेश का अटूट अंग बना लिया।
शेख हसीना के प्रधानमंत्री कालखंड मे बर्मा मे 50 साल में तीसरी बार 2017 मे रोहिंगया मुस्लिम पर अत्याचार हुआ, लाखों लोग बांगलादेश मे आकर पनाह लिया। शेख़ हसीना ने सभों का स्वागत किया और दुनिया मे पहली बार उन की पहचान एक अंतरराष्ट्रीय नेता के रूप मे होने लगी। मुस्लिम दुनिया ने बंगलादेश की मद्द किया ख़ास कर तुर्की ने बहुत मद्द किया और आज तक कर रहा है।
2017 के बाद ट्रम्प ने चीन को खुले आम चुनौती देनी शुरू किया और बर्मा मे फ़रवरी 2021 में गृहयुद्ध शुरू हो गया और भारत के उत्तर दक्षिण की सियासत बहुत तेज़ी से बदलने लगी, जिस को यहॉ विस्तार से लिखना ज़रूरी नहीं है क्योंकि अभी वहॉ बहुत कुछ unfold होना बाक़ी है।
1945 (World War II) के बाद 1973 मे दुनिया का Geopolitics पहली बार “Oil Embargo” से बदला और दुनिया धिरे-धिरे बदलने लगी, मगर अब पिछले कई सालो से दुनिया बहुत तेज़ी से बदलने लगी है।
मेरा मान्ना है कि शेख़ हसीना अपने खित्ता (बर्मा-नौर्थ ईस्ट-चीन) और ख़ास कर रूस-यूक्रेन युद्ध और इसराइल-प्रतिरोधी ताक़तों के मार-काट के “जियोपौलिटिक्स” को समझ नहीं पाईं और वह अपने खित्ता के पूरानी सोंच लेकर बैठी रह गईं।
#नोट: बंगलादेश मे एक महीना से चल रहा “रिज़र्वेशन आंदोलन” भी एक बहाना था शेख़ हसीना की सल्तनत को खत्म कर बर्मा और पूरे नौर्थ ईस्ट की सियासत को बदलने का जिस तरह से जय प्रकाश आंदोलन (1974) “Indra is India” को ख़त्म करने का आंदोलन था जिस से उत्तर भारत की पूरी सियासत को अगले 50-60 साल के लिए बदल दिया गया।
दुआ किजये कि बंगलादेश मे जल्द लोकतंत्र बहाल हो और खित्ते में अमन हो और वह इस बदली दुनिया मे तरक़्क़ी कर अपनी ग़रीबी और बेरोज़गारी खत्म कर मलेशिया के तरह दूसरा “एशियन टाइगर” बने।