Post of 17 March 2021

राम जन्मभूमि से चीन को “विश्वगुरू” बनाने के बाद अब संघ परिशान है कि अगले सौ साल के लिये अब आगे क्या? काशी विश्वनाथ या कृष्ण जन्मभूमि?

आदरणिय मोहन जी को इस का अन्तिम निर्णय लेना है।मोहन जी को मेरा सुझाव है कि श्रीकृष्ण का मुद्दा खडा करें क्यकि यादव लोग दो नाव पर सवारी कर रहे हैं। कुछ यादव लालू जी के तरह घोर सेकूलर हैं मगर अधिकतर संघी हो गये जैसे यूपी के मोलायम सिंह और उन का यादव समाज। मोहन जी अब राजपूत के तरह यादव को बरबाद किजये।

मोहन जी उत्तर भारत का ब्राह्मण आप के जाल मे फँस कर बरबाद हो गया और 1979 के बाद सत्ता से वंचित है यहॉ तक के दिल्ली मे दस साल मनमोहन सिंह रह गये। मोहन जी उत्तर भारत का ब्राह्मण संघ या बीजेपी को नही छोडे गा क्यकि दलित (मायावती) या Neo Buddhist या मंडल इन लोगो को सत्ता मे अगले चालीस साल नही आने दे गा। यह झक मार के आप चितपावनी का साथ देते रहें गे। इस वजह कर काशी विश्वनाथ का मुद्दा अभी नही उठाये।

अभी यादव को यूपी, मध्य प्रदेश और बिहार मे वरग़लाईये, यह आसानी से फँसे गें। आप लोगो ने लालू जी के बडे बेटा तेज़ प्रताप को गलत शिव भक्त बनाया था। वह त्रिशूल लेकर और शेर का खाल पहन कर घूमने लगा था। तेजस्वी या मोलायम, अखिलेश या 99% यादव श्रीकृष्ण भक्त हैं।

मोहन जी देखये आप चितपावनी ने इजिप्ट से बांसूरी, गाय, निला मुकुट तक लाकर इन लोगो को थमा चूके हैं।काशी मे अभी फेल हो जाईये गा क्योकि औरंगजेब वाला काग़ज़ अभी ब्रिटिश मयूज़ियम मे रखा है और आप के झूठ का पोल खूल जाये गा।

हम संघ के शुभ-चिंतक है क्योंकि हम पूराने संघी हैं, उमीद है मोहन जी मेरी बात माने गें और कृष्ण जन्मभूमि को ज़िंदा करे गें।

यह इजिप्ट का एक मुकुट है, शायद किसी भगवान का रूप है।
इजिप्ट मे चार-पॉच हजार साल पहले बांसूरी और विणा का प्रयोग होता था। लोग बांसूरी बहुत बजाते थे। यह इजिप्ट के पिरामिड मे पत्थर पर बनी तस्वीर मिली है।
यह किसान लोग इजिप्ट मे गाय को पोसते थे और दूध का व्यवसाय कर बेचते थे।
गाय इजिप्ट मे पूजी जाती थी। यह देवी हाथुर (Goddess Hathor) कही जाती थीं। यह King Thutmose III गाय के थन से दूध पी रहे हैं। यह पत्थर पर तस्वीर 3,500 साल पहले की है। जब गौतम बूद्ध भी भारत मे पैदा नही हुऐ थे।