02-03-2021 Post on FB

आदरणीय श्री मोहन भागवत जी ने हैदराबाद मे पुस्तक विमोचन के समय अन्त: मध्य-पूर्व (Middle East) के अपने पूर्वजों को स्मरण करते हुऐ भारतीय व्यवसायों को टेंडर (Tender) में उच्च मूल्य के भाव देकर दोहन न करने की सलाह बहुत ही गुप्त रूप मे दे दिया।

श्री भागवत जी ने कहा कि मंथन के बाद 2000 साल मे हम को रत्न भी प्राप्त हुआ लेकिन उस प्राप्ती का कोई अर्थ न रहा। अपनी बात को कहते हुऐ आगे वह कहते हैं कि अन्दर से कई प्रकार की त्रुटि रह गई और हम कट गये और बट गये, चरित्रवान थे उतने न रहे।

श्री मोहन भागवत जी के कहने का अर्थ था कि दो हजार वर्ष पहले जब मध्य पूर्व से उन के पूर्वज आये थे तो भारत रूपी रत्न प्राप्त हुआ था, जो गिरते चरित्र के कारण खंडित और विखंडित हुआ।

निचे हम मिस्र की धार्मिक सभ्यता मे ख्याति प्राप्त एंव प्रचलित कंवल पर बैठी देवी (लक्ष्मी) और नाग देवता की तस्वीर डाल रहे हैं, जिसे देख Syed Imran Balkhi साहेब कहते कि श्री भागवत जी इसे कैसे भूला पाते, बेरोजगारी दूर करने के लिये मध्य-पूर्व तो याद आना ही था।

Cobra the God in Egyptian Civilisation
The god of the Nile. Goddess Maat: justice, truth, right, cosmic order.
Roman period Egyptian Gold finger ring, probably 2nd century AD.