प्राचीन मिस्री सभ्यता ने न केवल भगवान और देवी-देवता दुनिया को दिया जो आज तक कुछ देशों मे पूजे जाते हैं, बल्कि छ: (6) और चीज़ें दीं जो आज तक दुनिया मे इस्तमाल की जाती हैं।
काग़ज, वेंडिंग मशीन, काजल, आईना, गोदना और दूध से बना मक्खन और पनीर।आज हम ऑख और गोदना पर लिखे गें। मक्खन और पनीर पर बाद मे पोस्ट करें गें।
#ऑख मिस्र के भगवान होरस की ऑख को दर्शाता है।ऑख को मिस्र मे Eye of Ra (رع) यानि सूरज भगवान की ऑख भी कहा जाता था। पूजा या सजावट मे ऑख का प्रयोग बहुत किया जाता था।
यह ऑख फिरौन के ताज मे भगवान शिव के नॉग सॉंप के साथ होता था। इस का लौकेट भी औरतें पहनती थी ताकि बूरी नजर से बची रहें।
दुनिया मे ज़ेवर और औरतो का सिंगार मिस्र के सभ्यता से आया।वहॉ ऑख का काजल (Eyeliner) काले पाऊडर को तेल या बत्तख के चरबी मे मिला कर केवल रानी, शहज़ादी और उच्च वर्ग (Upper Class) के लोग लगाते थे। यह मिस्र के रेगिस्तानी सूरज के गर्मी से ऑख को बचाता था और बूरी नज़र से बचने का टोटका था।आज भी मघ्य पूर्व, उत्तरी अफ्रिका और भारत मे धार्मिक और सामाजिक प्रथा मे प्रचलन है।
#गोदना (Tattoos) भी मिस्री सभ्यता से दुनिया को मिला। पहले मिस्र मे समझा जाता था कि प्राचीन मिस्र मे वेश्या या नाचने वाली तवायफ़ गोदना करती थीं। मगर पिरामिड के खूलने से पता चला की देवी हाथुर (Goddess Hathor) के गरदन पर “ऑख” का गोदना है।बाद मे बहुत से औरतों के ममी मे भी गोदना मिला है।
प्राचीन काल से आज तक औरतें आसानी से बच्चा पैदा हो (childbirth) इस के लिये जॉघ (thighs) और पेट के नीचे ऑख या दूसरा खास गोदना करवातीं थीं और हैं।