Post of 17th April 2024
मिस्री सभ्यता 5000-7000 साल पूरानी है और वहॉ पूरानी चीज़ें आज भी सही सलामत या खंडहर के शक्ल मे मौजूद है, जो हजारो साल बाद भी दुनिया के शोधकर्ता के शोध का विषय है।
मिस्र के सभी पुरावशेष प्राचीन मिस्र के लोगों की खगोल विज्ञान और वास्तुकला के बीच संबंध के गहरी समझ को आज भी प्रमाणित करते हैं।
#मिस्र सभ्यता का प्राचीन लक्ज़र कार्नक मंदिर, त्रिमूर्ति भगवान अमुन-रा, उन की पत्नी मुत और बेटे खोंसु को समर्पित है।यह ऐतिहासिक कार्नक मंदिर आज हजारो साल बाद भी “सूरज भगवान” के एक शानदार प्राकृतिक घटना का गवाह है।
मिस्र के सूर्य भगवान, मंदिरों की धुरी पर हर साल एक विशेष दिन 21 दिसम्बर को सुबह ठीक 6:31 बजे मंदिर पर लंबवत (perpendicular) रूप से उगते है, जिस की किरणें पूर्वी द्वार से परम पावन (Holy of the Holies) से होते हुए मुख्य द्वार तक जाती है।
वह विशेष दिन जो अभी के कैलेंडर मे 21 दिसम्बर का दिन होता है, आज हजारो साल बाद भी मिस्र मे सर्दियों के शरूआत को दर्शाता है।हर साल हजारो विदेशी लोगो की भारी भीड़ इस घटना का व्यवस्थित तरीके से देखती है और विश्व की प्राचीन सभ्यता का आनंद उठाती है।
#कार्नक मंदिर के सुर्य भगवान के सौर घटना की तरह 22 अक्टूबर को हर साल दक्षिणी मिस्र में अबू सिंबल में रामसेस के जन्मदिन और राज-तिलक के दिन महान मंदिर, होली ऑफ होलीज़ (परम पावन) में भी सूरज लंबवत होता था और आज भी है।उस की किरणें फिरऔन ऱाजा रामसेस की मूर्ती के चेहरा पर पडती थीं और हैं।
#पहली तीन तस्वीर कार्नक मंदिर की है और चौथी तस्वीर आसवान मे रामासिस मंदिर (अबू सिंबल) की है। इस मंदिर की खोज अबू सिंबल नाम के मिस्री नागरिक ने रेगिस्तान में किया था।
See insights and ads
All reactions:
427Anish Akhtar, Asghar Ali Khan and 425 others