Post of 6th March 2021 “वह सकूते शाम सेहरा मे ग़रूबे आफताबजिस से रौशन तर हुई चश्म जहॉबीने ख़लील” यह शेर ईक़बाल ने सौ साल पहले कहा था जब यूरोपियन साम्राज्य ने सकूत शाम कर 1918 मे औटोमन एम्पायर का… Continue Reading →
Post of 29th January 2021 “ज़ाहिर की ऑंख से न तमाशा करे कोई जो देखना तो दिदये दिल वॉ करे कोई” (हक़ीक़त यह है कि ऑंखें अंधी नही होतीं, वह दिल है जो सिने मे वह ……….) ईक़बाल का यह… Continue Reading →
Post of 26th January 2021 उड़ बैठे क्या समझ के भला तूर पर कलीम ताक़त हो दीद की तो तक़ाज़ा करे कोई (ईक़बाल) लाल क़िला जिस मे भारत की फौज 70 साल से रहती थी और आजादी का झंडा जीस… Continue Reading →
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