امتیں گلشن ہستی میں ثمر چیدہ بھی ھیںاور محروم ثمر بھی ھیں’ خزاں دیدہ بھی ھیں उम्मतें गुलशन-ए-हस्ती में समर-चीदा भी हैंऔर महरूम-ए-समर भी हैं ख़िज़ाँ-दीदा भी हैं (मोहम्मद इकबाल की जवाब-ए-शिकवा: XXVII) #ABSTRACT: “पिछली शताब्दी में, यूरोप और अमेरिका… Continue Reading →
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